प्रथम विश्व युद्ध क्यों हुआ (कारण और परिणाम) | First World War in Hindi

पहला विश्व युद्ध (First World War) दुनिया के इतिहास का पहला ऐसा युद्ध था जिसमें दुनिया के सैंकड़ों देशों ने हिस्सा लिया |

दुनिया के ज़्यादातर युद्धों से खुद को अलग रखने वाला भारत उस समय ब्रिटिश रूल के अधीन था, इसलिए भारत के सैनिकों ने भी ब्रिटन की तरफ से इस लड़ाई में हिस्सा लिया था |

भारत से 13 लाख सैनिक इस लड़ाई में लड़े थे, जिनमें 62000 के करीब सैनिकों की जान चली गई थी |

इस युद्ध के कारण पुरे विश्व में भयंकर तबाही हुई, दुनिया भर में 1 करोड़ 70 लाख लोग मारे गये जिनमें 60 लाख आम नागरिक भी शामिल थे |

उस समय की जनसंख्या के हिसाब से ये बहुत बड़ा आँकड़ा था | ये लड़ाई अलाइड पावर्स (Allied Powers) और सेंट्रल पावर्स (Central Powers) के बीच लड़ी गई थी |

अगर अलाइड पावर्स की बात करें तो इनमें दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्तियाँ ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और अमेरिका के साथ जापान, इटली, चीन और दूसरे बहुत से देश शामिल थे |

इटली और जापान जहाँ पहले विश्व युद्ध में अमेरिका और ब्रिटन के साथ मिलकर लड़े थे वहीं दूसरे विश्व युद्ध में वो इनके खिलाफ और जर्मनी के साथ मिलकर लड़े थे |

अलाइड पावर्स के बाद अगर बात करें सेंट्रल पावर्स की तो इसमें जर्मनी, ऑस्ट्रीया-हंग्री, ऑटोमोन एंपाइयर और बल्गेरिया शामिल थे |

विश्व इतिहास का ये सबसे बड़ा युद्ध 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 के बीच यानी 1914 से 1918 तक लड़ा गया था |

अगर इस युद्ध के प्रभाव की बात करें तो ये युद्ध दुनिया के सभी महाद्वीपों युरोप, अफ्रीका, अमेरिका, एशिया, और ऑस्ट्रेलिया तक फैल गया था और 100 से अधिक देशों ने इस युद्ध में भाग लिया था |

इसलिए इस युद्ध को द ग्रेट वॉर या वॉर टू एंड ऑल वॉर्स भी कहते हैं |

इतना बड़ा महाविनाश आख़िर क्यूँ हुआ ये जानने के लिए हमे पहले विश्व युद्ध के कारणों को जानना होगा |

प्रथम विश्व युद्ध के कारण First World War Reason in Hindi

First World War in Hindi

जर्मनी की वजह से शक्ति संतुलन बिगाड़ना

1871 में जर्मनी का एकीकरण हुआ, जिसके बाद धीरे धीरे जर्मनी ने अपनी ताक़त को बढ़ाना शुरू किया | जर्मनी के बड़ी ताक़त बनने से पहले युरोप में ब्रिटेन और फ्रांस दो बड़ी शक्तियाँ थी |

ये दोनो शक्तियाँ नहीं चाहती थी कि जर्मनी बहुत बड़ी शक्ति बन जाए और उनके लिए ख़तरा पैदा हो जाए | जर्मनी इसलिए चिंतित था क्यूंकी भौगोलिक तौर पर वो रूस और फ्रांस के बीच में था और उसे इन दोनो ताक़तों से ख़तरा था |

साथ ही ऑटोमोन साम्राज्य का धीरे धीरे पतन होता जा रहा था, जिसके बाद ऑटोमोन साम्राज्य के अधीन आने वाले देश आज़ाद हो गये जिनमें रोमेनिया, बुल्गारिया और ग्रीस जैसे देश थे |

इस तरह बड़ी बड़ी शक्तियाँ खुद को एक दूसरे से बेहतर साबित करने में लगी थी | सभी बड़े एम्पायर नये नये हथियार और ज़्यादा से ज़्यादा कॉलोनीज बनाना चाहते थे |

जिस तरह भारत एक ब्रिटिश कॉलोनी था उसी तरह अफ्रीका में भी ब्रिटिश के साथ साथ फ्रेंच और जर्मन कॉलोनीस बनाने की होड़ लगी थी | जर्मनी के बड़ी शक्ति के रूप में उभरने के कारण युरोप में ताक़त का संतुलन खराब हो गया था और ये पहले विषव युद्ध का बड़ा कारण बना |

गुप्त संधियाँ

युरोप में बड़ी बड़ी शक्तियाँ खुद को और ताक़तवर बनाने के लिए दूसरी शक्तियों के साथ सीक्रेट अलाइयेन्सस बनाने में लगी थी | ताकि युद्ध की स्थिति में वो मिलकर किसी एक के खिलाफ लड़ें और उसे हरा दें |

इस तरह से बने अलाइयेन्सस के फलस्वरूप जो अलाइयेन्स बने उनके नाम

  • ट्रिपल एंटेंट,
  • ट्रिपल अलाइयेन्स
  • और बॉल्कान्स थे |

ब्रिटन, फ्रांस और रूस ने मिलकर ट्रिपल एंटेंट बनाया था और ट्रिपल अलाइयेन्स में इटली, ऑस्ट्रीया-हंग्री और जर्मनी शामिल थे | इन अलाइयेन्स के बनने से देशों के बीच एक अविश्वास पैदा हो गया और ये भी पहले विषव युद्ध का बड़ा कारण बना |

अब आपको बताते हैं इस युद्ध का सबसे तत्कालीन कारण जिसने इस युद्ध को शुरू किया था |

प्रथम विश्व युद्ध का तत्कालीन कारण क्या था First World War Immediate Cause in Hindi

बाल्कान वॉर्स के बाद ऑटोमोन के अधीन आने वाले क्षेत्र छोटे छोटे देशों में बंट चुके थे | इसके बाद बोस्निआ पर ऑस्ट्रीया-हंग्री ने कब्जा कर लिया | लेकिन वहाँ पर बहुत बड़ी संख्या में लोग ऑस्ट्रीया हंग्री से आज़ादी चाहते थे |

इसी बीच ऑस्ट्रीया हंग्री के होने वाले सम्राट आर्च्ड्यूक फ्रॅन्ज़ फर्डिनॅंड अपनी पत्नी के साथ बोस्निआ की यात्रा पर निकल गये | जहाँ उनपर 28 जून 1914 को एक सर्बीयन नागरिक ने हमला कर दिया और दोनो की मृत्यु हो गइ |

ऑस्ट्रीया हंग्री के लिए ये बहुत बड़ा झटका था और वो किसी भी कीमत पर सर्बीया से इसका बदला लेने चाहता था | क्यूंकी ऑस्ट्रीया हंग्री जर्मनी के साथ अलाइयेन्स में था, इसलिए उसे पूरा विश्वास था की वो सर्बीया को आसानी से झुका देगा |

उसने सर्बीया को होने वाली प्रिन्स की हत्या में शामिल बहुत से अफसरों पर कार्यवाही के लिए कहा लेकिन सर्बीया ने इससे इनकार कर दिया और ऑस्ट्रीया हंग्री ने 28 जुलाइ 1914 को सर्बीया पर हमला कर दिया |

जहाँ ऑस्ट्रीया हंग्री को जर्मनी का साथ मिल रहा था वहीं सर्बीया ने रशिया से मदद माँगी और रशिया, सर्बीया की तरफ से युद्ध में कूद गया | अभी भी फ्रांस  और ब्रिटेन जैसी बड़ी शक्तियाँ इस लड़ाई से दूर थी |

पर जर्मनी क्यूंकी फ्रांस और रशिया के बीच में था तो उसे लगा कि इससे पहले की फ्रांस रशिया का साथ देने के लिए युद्ध में कूदे, फ्रांस पर हमला कर देना चाहिए |

ये जर्मनी की सबसे बड़ी भूल थी क्यूंकी फ्रांस की इस लड़ाई में भाग लेने की कोई मंशा नहीं थी | पर जर्मनी ने डर की वजह से बेल्जियम पर हमला कर दिया ताकि वो उस रास्ते से फ्रांस पर हमला कर सके |

बेल्जियम पर हमले की खबर के बाद फ्रांस और ब्रिटेन भी इस लड़ाई में कूद गये | उधर जर्मनी और ऑस्ट्रीया हंग्री के समर्थन में ऑटोमोन एंपाइयर भी प्रथम विषव युद्ध में कूद गया |

प्रथम विश्व युद्ध First World War in Hindi

भयंकर युद्ध शुरू हो चुका था | ऐसा युद्ध इससे पहले किसी ने नहीं देखा था | युद्ध में नये नये हथियार, मशीन गन्स और तोपों का इस्तेमाल शुरू हो गया |

सभी देश हर तरह के ख़तरनाक से ख़तरनाक हथियार बनाने में जुट गये |

बड़ी बड़ी ट्रेंचस का निर्माण किया गया और सैनिकों को लंबे समय में तक इन ट्रेंचस में रहना पड़ता था | लाखों सैनिक मारे जा रहे थे, कुछ दुश्मनो की गोलियों से तो कहीं ज़्यादा गंदी जगह पर रहने के कारण बीमारियों से |

इस लड़ाई में शुरू में जर्मनी एक बड़ी ताक़त बनकर उभरा | वो लगातार जीतता जा रहा था | लेकिन जब वो पेरिस से 30 मील की दूरी पर था तो यूके और फ्रांस की फोर्सस ने उसे रोक दिया |

दूसरी तरफ रूस के साथ भी जर्मनी की भयंकर लड़ाई चल रही थी | शुरू में रूस ने जर्मनी के अधीन ईस्ट प्रशिया और पोलॅंड को कब्ज़े में ले लिया था |

लेकिन धीरे धीरे जर्मनी ने रूस के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया |

रूस की आर्थिक हालत युद्ध की वजह से बहुत ज़्यादा खराब हो गयइ थी और 1917 में रूस में क्रांति हो गई, जिसके बाद रूस इस युद्ध से बाहर हो गया |

इसका जर्मनी को बहुत फायदा हुआ क्यूंकी एक तरफ से उसपर अब कोई दबाव नहीं था | अब उसकी लड़ाई फ्रांस और ब्रिटेन से थी | लेकिन इसी बीच अमेरिका भी इस लड़ाई में कूद गया |

शुरू से अमेरिका इस लड़ाई में नहीं आना चाहता था क्यूंकी वो देशों की लड़ाई के बीच हथियार बेचकर खूब पैसे बना रहा था | पर ग़लती से जर्मनी ने यूके के उन समुद्री जहाज़ों को डुबो दिया जिनमें अमरीकी नागरिक थे |

बार बार ऐसे करने में अमेरिका सकते में आ गया और उसने युद्ध में कूदने की ठान ली | इसके अलावा जर्मनी पहले से मेक्सिको को अमेरिका पर हमला करने के लिए उकसा रहा था ताकि अमेरिका का ध्यान उस लड़ाई की और ही रहे |

लेकिन अमेरिका जर्मनी की चाल को समझ गया और उसे सबक सीखने के लिए ब्रिटन और फ्रांस के साथ आ गया | 1917 में अमेरिका के आने के बाद जर्मनी की हार का सिलसिला शुरू हुआ |

प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम First World War Result in Hindi

कुछ ही समय के अंदर जर्मनी, ऑस्ट्रीया-हंग्री और ऑटोमोन एंपाइयर की करारी हार हुई | इस लड़ाई के बाद ऑस्ट्रीया हंग्री एंपाइयर के बहुत से टुकड़े कर दिए गये और ऑस्ट्रीया और हंग्री अलग अलग देश बन गये |

ऑटोमोन एंपाइयर के भी टुकड़े हो गये और कुछ समय बाद तुर्की बना | लेकिन इस युद्ध की मार सबसे ज़्यादा जिस देश पर पड़ी थी वो था जर्मनी |

जर्मनी के साथ वेरसैल्लीएस की संधि की गयइ | इस संधि के तहत जर्मनी के 10% हिस्से को उससे छीन लिया गया, उस पर भारी जुर्माना लगाया गया, उससे उसके उपनिवेश छीन लिए गये, जर्मनी की एयर फोर्स और नेवी को लगभग समाप्त कर दिया गया और जर्मनी अब सिर्फ़ 1 लाख सैनिक ही रख सकता था |

इस संधि के तहत जर्मनी को इतना ह्युमिलियेट किया गया की हिट्लर ने इसी संधि को आधार बना कर जर्मनी को दूसरे विषव युद्ध में धकेल दिया |

प्रथम विश्व युद्ध से जुड़े सवाल FAQ’s About First World War in Hindi

फर्स्ट वर्ल्ड वॉर कब हुआ था ?

फर्स्ट वर्ल्ड वॉर 1914 से 1918 के बीच लड़ा गया था |

फर्स्ट वर्ल्ड वॉर क्यों हुआ था ?

फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के बहुत से कारण थे जैसे कि जर्मनी का ताक़तवर होना, राष्ट्रों के बीच गुप्त संधियां आदि | लेकिन इसका तत्कालीन कारण था ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के उत्तराधिकारी आर्चड्यूक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी का बोस्निया में हुआ क़तल |

प्रथम विश्व युद्ध में कितने राष्ट्रों ने भाग लिया?

वैसे तो 100 से ज्यादा देशों ने प्रथम विश्व युद्ध में भाग लिया लेकिन अलाइड पावर्स में ब्रिटेन, जापान, रूस, फ्रांस, इटली, सर्बिया और अमेरिका आदि थे। जबकि दूसरी तरफ सेंट्रल पावर में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, बुल्गारिया और ऑटोमन साम्राज्य था।

Robin Mehta

मेरा नाम रोबिन है | मैंने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की थी इसलिए इस ब्लॉग पर मैं इतिहास, सफल लोगों की कहानियाँ और फैक्ट्स आपके साथ साँझा करता हूँ | मुझे ऐसा लगता है कलम में जो ताक़त है वो तलवार में कभी नहीं थी |

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