अहमद शाह अब्दाली का इतिहास Ahmad Shah Abdali History in Hindi

ahmad shah abdali history in hindi

भारत के इतिहास में पानीपत की लड़ाई के बाद अहमद शाह अब्दाली को एक विलेन के रूप में देखा जाता है | लेकिन अफ़ग़ानिस्तान के लोग अब्दाली को फादर ऑफ नेशन या बाबा ए क़ौम भी कहते हैं |

अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के लिए अब्दाली एक हीरो था वहाँ के लोग अब्दाली को एक दयालु इंसान मानते हैं | लेकिन दोस्तों जो इंसान एक राजा बन जाता है और अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहता है वो दयालु और कोमल हृदय का व्यक्ति नहीं हो सकता |

आइए जानते हैं कैसे अहमद ख़ान अफगानो के लिए एक हीरो और भारत के लिए एक विलेन बन गया था | जानते हैं अहमढ़ शाह अब्दाली की पूरी कहानी (Ahmad Shah Abdali History in Hindi)

अहमद शाह अब्दाली का जन्म Ahmad Shah Abdali Birthplace

अहमद शाह अब्दाली जिसे हम अहमद शाह दुर्रानी के नाम से भी जानते हैं उसका जन्म 1722 में हेरात, अफ़ग़ानिस्तान में हुआ था | 

उसके पिता मोहम्मद ज़मान ख़ान हेरात के गवर्नर और उनके कबीले के सरदार थे | उनकी मा का नाम ज़र्घुना अलोकाज़ई था | उस समय अफ़ग़ानिस्तान में बहुत सारी छोटी छोटी ट्राइब्स थी | फ़ारस (Persia) का सुल्तान नादिर शाह इन सभी कबीलों पर कब्जा करता जा रहा था | 

अहमद शाह अब्दाली के पिता और भाई को एक दूसरे कबीले ने बंदी बना लिया था | लेकिन नादिर शाह ने अब्दाली के पिता और भाई को कैद से आजाद करवाया था |

जब नादिर शाह ने अहमद शाह अब्दाली की लड़ने और लोगों को अपने साथ मिला लेने की क़ाबलियत को देखा तो वो उससे बहुत प्रभावित हुआ | उसने अब्दाली को अपने सेना में शामिल कर लिया और उसे अब्दाली रेजिमेंट का मुखिया बना दिया |

नादिर शाह उस समय में ही अब्दाली के अंदर एक सुल्तान के गुण देख रहा था | नादिर शाह ने अब्दाली के कान में अपने खंजर से एक छेद कर दिया और कहा की जिस दिन तुम सुल्तान बनोगे तो ये जख्म तुम्हें मेरी याद दिलाएगा |

अब्दाली ने नादिर शाह के साथ बहुत सी लड़ाइयाँ लड़ी और कहा जाता है कि जब नादिर शाह ने 1739 में भारत में लूट मचाई थी उस समय भी अब्दाली साथ आया था | नादिर शाह ने उस समय भारत में खूब लूट मचाई थी | उसने मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह से कोहिनूर हीरा, मयूर तख्त और बहुत सारा धन लूट लिया था | 

अब्दाली भारत की इस अकूत संपदा को देख हैरान रह गया था इसलिए उसने बाद में कई बार भारत में लूट मचाई थी |

दुर्र इ दुर्रानी का ख़िताब Durr-i-Durrani (Pearl of Pearls)

नादिर शाह को उसी के दरबार के कुछ लोगों ने षडयंत्र के तहत मौत के घाट उतार दिया था |

जिसके बाद अफ़ग़ानिस्तान के हिस्से की बागडोर अहमद ख़ान ने अपने हाथ में ले ली और उसे शाह की उपाधि मिल गई | अहमद शाह ने खुद को नादिर शाह का अफ़ग़ान में उत्तराधिकारी घोषित कर दिया |

उसकी ताजपोशी के वक़्त साबिर शाह नाम के दरवेश ने अब्दाली को दुर्र इ दुर्रानी का खिताब दिया जिसका अर्थ होता है पर्ल ऑफ पर्ल्स यानी मोतियों का मोती, इसके बाद से उसके कबीले के दुर्रानी कबीले के नाम से भी जाना जाने लगा |

दुर्रानी साम्राज्य ईरान से लेकर भारत की सीमा तक फैला हुआ था | इतिहास के अनुसार दुर्रानी साम्राज्य 20 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ था |  

अब्दाली भारत को लूटना चाहता था इसलिए उसने बार बार भारत पर आक्रमण किए |

अहमद शाह अब्दाली के आक्रमण Ahmad Shah Abdali Attack on India

1747 से लेकर 1769 तक अब्दाली ने भारत पर 9 बार आक्रमण किया | 1747 से 1753 के बीच ही इनमें से 3 बार उसने पंजाब पर आक्रमण किया | 1748 में उसने सिन्धु नदी को पार करके लाहोर और सरहिंद पर कब्जा कर लिया लेकिन इसके बाद वो मुगलों से मनुपूर में मु’इन-उल-मुल्क के नेतृत्व में लड़ रही सेना से हार गया |

इसके बाद वो वापिस अफ़ग़ानिस्तान चला गया लेकिन दिसंबर 1749 में वो फिर से वापिस आया और इस बार उसने जीत हासिल की |

मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह ने उसे चहर महल जिसमें गुजरात, औरंगाबाद, सियालकोट और पसरूर क्षेत्र आते थे उनसे इकट्ठा होने वाला धन देने का वादा किया | जो की मुहम्मद शाह ने नादिर शाह को 1739 में ही दे दिए थे |

लेकिन बाद में मुहम्मद शाह मुकर गया इसलिए अहमद शाह ने फिर से हमला कर लाहौर पर कब्जा कर लिया | उसने चार महीने तक लाहौर में लूट मचाई और कश्मीर पर भी अपना अधिकार कर लिया | 

इस लड़ाई के बाद मु’इन-उल-मुल्क या मीर मनू की जिंदगी बख्श दी और उसे लाहोर और मुल्तान दे दिया | इसके बाद वो फिर से अफ़ग़ानिस्तान चला गया |  

मीर मनू की मृत्यु के बाद ये इलाक़ा फिर से अब्दाली के कंट्रोल से चला गया और एक बार फिर उसने भारत पर हमला कर दिया और इस बार वो दिल्ली तक पहुँच गया |

28 जनवरी 1757 को अब्दाली दिल्ली पहुँचा था उसने दिल्ली में बहुत कत्लेआम मचाया | सिर्फ़ दिल्ली ही नहीं बल्कि आगरा, मथुरा और वृंदावन में भी उसने लोगों को नहीं छोड़ा | मार्च 1757 में जब हैज़े की वजह से बहुत से सैनिक मरने लगे तो अब्दाली ने भारत छोड़ दिया |

जाने से पहले वो अपने बेटे तिमूर को लाहोर का गवर्नर बना गया और रोहिल्ला प्रमुख नजीब-उद-दौला को दिल्ली की कमान सौंप दी | इस समय मराठा भारत में एक बहुत बड़ी शक्ति बन चुके थे | उन्होने अब्दाली के पुत्र तिमूर को पंजाब से खदेड़ दिया था | कुछ समय पंजाब में रुकने के बाद मराठा वापिस दिल्ली आ गये थे | 

मराठाओं के पंजाब तक पहुँचने से अब्दाली के साम्राज्य को ख़तरा बढ़ गया था | वहीं अब्दाली दिल्ली और पंजाब को खोने के बाद उसे फिर से हासिल करने की चाह में एक बार फिर से भारत पर हमला करता है |

इस बार पानीपत के मैदान में पानीपत का तीसरा युद्ध 1761 में लड़ा जाता है | इस लड़ाई में मराठाओं को भारी नुकसान होता है और मराठा ये लड़ाई हार जाते हैं | पानीपत में जीतने के बाद अब्दाली वापिस लौट जाता है लेकिन उसके जाने के बाद भारत में सिखों की ताक़त बढ़ने लगती है |

इसके बाद एक फिर से अब्दाली भारत पर आक्रमण करता है लेकिन इस बार उसका मकसद सिखों को कुचलना होता है | मलेरकोटला के पास कूप नाम की जगह पर अब्दाली सिखों का बहुत बड़ा कत्लेआम करता है | इसमें वो आम नागरिकों को मौत के घाट उतार देता है | इस हमले में वो 25000 के करीब सिखों को मार देता है |

सिख इतिहास में इस दिन को वड्डा घल्लुघारा यानी ग्रेट किलिंग के नाम से जाना जाता है | इसके बाद भी वो 3 बार भारत पर हमले करता है | इन हमलों में वो सिखों को अपना निशाना बनाता है | वो सिखों के धार्मिक स्थलों को भी नहीं छोड़ता | 

लेकिन आख़िर में 1772 में उसकी मृत्यु हो जाती है | हालाँकि अफ़ग़ानिस्तान के लोग अहमद शाह अब्दाली को अपना हीरों ही मानते हैं आपकी इस बारे में क्या  राय है आप हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं |

Mohan

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