बाबा हरभजन सिंह की कहानी Baba Harbhajan Singh Story in Hindi

क्या कोई जवान शहीद होने के बाद भी अपने देश की रक्षा में ल्गा रह सकता है ? क्या कोई सैनिक मरने के बाद भी हर समय दिन रात देश की सरहदों की पहरेदारी कर सकता है ?

यकीन नहीं होता ना लेकिन ये सच है | भारतीय सेना के जवान अपने देश की रक्षा में हर समय लगे रहते हैं | 

वो अपनी जान की परवाह किए बिना सीमा पर डंटे रहते हैं पर आज हम आपको एक ऐसे सैनिक की कहानी बताने जा रहे हैं जो मरने के सालों बाद भी आज भी देश की रक्षा कर रहा है | 

जी हाँ, ये सच है वो सैनिक है हरभजन सिंह जिसे सेना के जवान बाबा हरभजन सिंह के नाम से पुकारते हैं |

baba harbhajan singh story in hindi

हरभजन सिंह वो सैनिक थे जिन्होने अपने साथी को बताया था कि उनका शव कहाँ दबा हुआ है | उनके नाम से एक मंदिर भारत चीन की सीमा पर बनाया गया है जिसमें सैनिक और आम लोग भी उनके दर्शन के लिए पहुँचते हैं |

अपने सेना के जवानों के हैरतअंगेज किस्से सुने होंगे जिन्होने सेना में रहते हुए या फिर शहिद होकर अपने देश की सीमाओं की रक्षा की | लेकिन बाबा हरभजन सिंह तो मृत्यु के इतने सालों बाद भी लगातार अपने देश की सीमाओं की रक्षा में लगे हैं | 

क्यूंकी हरभजन सिंह लगातार अपने देश की सीमा की रक्षा कर रहे हैं इसलिए सेना में उन्हें शहादत के बाद भी तनख़्वा मिलती रही |

यहाँ तक की उन्हें नियमित छुट्टियाँ भी दी गई और रिटायरमेंट की आयु में उन्हें सम्मान से रिटायरमेंट भी दी गई |

ये कहानी अविशवशनिय है लेकिन ये सच है….. आइये जानते हैं बाबा हरभजन सिंह की कहानी Baba Harbhajan Singh Story in Hindi

बाबा हरभजन सिंह का जन्म

हरभजन सिंह का जन्म 30 अगस्त 1946 को गुजराँवाला के सदराना गाँव में हुआ था जो कि वर्तमान में पाकिस्तान में है| 

बचपन से ही हरभजन सिंह एक फ़ौजी बनना चाहते थे इसलिए वो सेना की भर्ती में शामिल हुए और उन्हें सेना में शामिल कर लिया गया | सबसे पहले वो भारतीय सेना के सिग्नल कोर में शामिल हुए थे | इसके बाद उन्हें सेना के 14 राजपूत रेजिमेंट में शामिल किया गया | 

1965 में जब भारत पाकिस्तान युद्ध चल रहा था | उस युद्ध में भी वो बड़ी वीरता से लड़े थे | इस युद्ध में भारत की जीत हुई थी | जिसके बाद उन्हें 18 राजपूत रेजिमेंट में तैनात किया गया | 

इसके बाद जब उनकी तैनाती 23 वीं पंजाब रेजिमेंट में हुई तब उन्हें भारत चीन सीमा पर सिक्किम भेजा गया | उस सीमा पर भारत के सैनिकों को रसद घोड़ों और खच्चरों के ज़रिए पहुँचाई जाती थी |

खाई में गिरने की वजह से हुए लापता

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अक्टूबर 1968 में एक दिन जब वो घोड़ों के एक काफिले को लेकर डोंगचुई ले जा रहे थे तो अचानक पाँव फिसल जाने की वजह वो एक गहरी खाई में जा गिरे | खाई में गिरने की वजह से 22 साल की आयु में उनकी मौत हो गई थी |

वो खाई में एक नाले में गिर गये थे जिसमें पानी के तेज बहाव में बहने के कारण उनका शरीर 2 किलोमीटर तक बह कर आगे चला गया था | इसके बाद उनके साथी सैनिकों ने उन्हें ढूँडने की बहुत कोशिश की लेकिन वो कहीं नहीं मिले | कई दिन चले सर्च ऑपरेशन के बाद उन्हें लापता घोषित कर दिया गया |

लेकिन इसके बाद वो अपने एक साथी सैनिक प्रीतम सिंह के सपने में आए और उन्होने उसे बताया की उनकी मृत्यु हो चुकी है और उनका शरीर किस जगह पर है | ये बात विश्वास करने योग्य नहीं थी इसलिए किसी ने प्रीतम सिंह की बात पर भरोसा नहीं किया |

पर जब हरभजन सिंह का कुछ पता नहीं चला तो सभी ने उसी बताई गई जगह पर खोज करने की ठानी | खोज करने पर उनके साथियों को उनका शरीर  उसी जगह पर मिला जहाँ पर हरभजन सिंह ने बताया था | 

इसके बाद सभी को यकीन हो गया की वास्तव में हरभजन सिंह ने ही बताया था कि उनका शरीर कहाँ है |

बाबा हरभजन सिंह मंदिर

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कहा जाता है की इसके कुछ दिन बाद हरभजन सिंह एक बार फिर से प्रीतम सिंह के सपने में आए और उससे अपनी समाधि बनाने की इच्छा जाहिर की |

सेना के अधिकारियों ने हरभजन सिंह की इच्छा का सम्मान किया और उनके नाम की एक समाधि छोक्या छो नामक स्थान पर बनवा दी | धीरे धीरे सैनिकों और लोगों में उनके प्रति आस्था बढ़ने लगी तो 13123 फीट की उँचाई पर उनके नाम का एक मंदिर बनवाया गया ताकि लोगों की वहाँ तक पहुँचने में परेशानी ना हो |

इसे बाबा हरभजन सिंह मंदिर के नाम से जाना जाता है और तभी से उन्हें बाबा हरभजन सिंह कहा जाने लगा | ये मंदिर सिक्किम की राजधानी गंगटोक से 52 किलोमीटर की दूरी पर नाथुला और जेलेपला पास के बीच स्थित है | 

वहाँ पर तैनात सैनिकों का मानना है की बाबा हरभजन सिंह आज भी अपनी ड्यूटी पर तैनात हैं | उनके प्रति सेना के लोगों का भी विश्वास अटूट है इसलिए उनके घर वालों तक सेना में सेवा के उनके कार्येकाल के समय तक वेतन दिया गया | 

यहाँ तक जिस तरह सेना के दूसरे सैनिकों को दो महीने की छुट्टी दी जाती है उसी तरह उन्हें भी छुट्टियाँ दी जाती रही | उनके मरने के बाद भी उनके नाम पर ट्रेन की टिकट्स बुक करवाई जाती और उनके समान को उनके घर तक भेजा जाता था | 

एक निश्चित समय के बाद उन्हें आर्मी से रिटायर भी किया गया और उन्हें मरणोपरांत कैप्टन की उपाधि से सम्मानित भी किया गया |

सीमा पर आज भी कर रहे हैं पहरेदारी

सैनिकों का मानना है कि  हरभजन सिंह सीमा पर चीन के सैनिकों की हर चाल पर नज़र रखते हैं | 

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उनका शरीर उनके साथ नहीं है लेकिन उनकी आत्मा आज भी देश की सेवा कर रही है | ये बातें सुनने में थोड़ी अजीब लग सकती हैं लेकिन उस जगह पर सैनिक इन्हें सच मानते हैं | 

बाबा हरभजन सिंह के मंदिर में आज भी उनकी वर्दी, जूत्ते और दूसरा सारा ज़रूरी समान मौजूद है | 

उनके इस मंदिर में उनके सोने के लिए एक बिस्तर भी लगाया गया है और वहाँ पर मौजूद सैनिक बताते हैं कि रोजाना वहाँ रखे जूतों पर मिट्टी लगी होती है | 

वो रोज उनके जूते साफ़ करते हैं लेकिन अगले दिन फिर से उनपर मिट्टी आ जाती है | क्यूंकी वो रोजाना सीमा पर पहरेदारी करते रहते हैं | कई बार वो उस जगह मौजूद सैनिकों को चीनी सैनिकों की गतिविधियों  के बारे में आगाह कर चुके हैं | 

कोई सैनिक अगर वहाँ ड्यूटी करते हुए सो जाता तो वो उसे किसी तरह जगा भी देते हैं | इस बात को भारत ही नहीं चीन के सैनिक भी मानते हैं | चीनी सैनिकों ने भी बताया की उन्होने किसी को रात के समय अकेले घोड़े पर गश्त लगाते हुए देखा है | 

उनकी मौजूदगी का एहसास वहाँ के सैनिकों में कितना ज़्यादा है इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब नाथुला में भारत और चीन की फ्लैग  मीटिंग होती है तो बाबा के लिए भी एक कुर्सी अलग से लगाई जाती है | 

दोस्तों आपको क्या लगता है क्या सच में ऐसा हो सकता है क्या कोई सैनिक मरणोपरांत भी देश की सीमाओं की रक्षा कर सकता है आप हमें कॉमेंट करके ज़रूर बतायें |

जीवन पर बन चुकी है शार्ट फिल्म

बाबा हरभजन सिंह के जीवन पर एक शॉर्ट फिल्म प्लस माइनस भी बन चुकी है जिसमें फेमस यु ट्यूबर भुवन बम और अभिनेत्री दिव्या दत्ता ने काम किया है | 

लोगों में बाबा हरभजन को लेकर विश्वास बढ़ता जा रहा है और अब उनका मंदिर एक पर्यटक स्थल भी बन चुका है | जिसमें लोग दर्शनों के लिए आते हैं और यहाँ तक कहा जाने लगा है कि उनके मंदिर में रखे पानी में चमत्करी गुण है जिसे पीने से बहुत से रोग ठीक हो जाते हैं | 

बाबा हरभजन सिंह की इस पूरी कहानी में कितनी सच्चाई है इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता | लेकिन कुछ मीडीया रिपोर्ट्स के अनुसार सेना के लोगों का उन्हें छुट्टियों पर घर भेजना और दूसरे बहुत से काम आर्मी में अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं | 

जिसे लेकर कोर्ट में आर्मी के खिलाफ याचिका भी दायर की गई थी जिसके बाद उन्हें घर भेजना बंद कर दिया गया था |

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बहरहाल जो भी हो लेकिन इस दुनिया में क्या क्या हो सकता है ये कोई नहीं जानता भले ही वो एक बहुत बड़ा साइंटिस्ट हो, डॉक्टर हो, आर्मी ऑफीसर हो या फिर कोई बड़ा नेता | 

हर किसी को कभी ना कभी डर ज़रूर लगता है हो सकता है ये डर इन्हीं बातों को जन्म देता हो |

ये भी सच है की इंसान की बुद्धि उसकी सोच और उसकी रिसर्च की लिमिटेशन्स है जिनकी वजह से वो वो सब नहीं देख सकता जो इस दुनिया में हो सकता है |

जो भी हो बाबा हरभजन सिंह का वो मंदिर और सैनिकों और लोगों की उनके प्रति आस्था हमारे देश के जवानों की राष्ट्रभक्ति और उनकी कर्तव्यनिष्ठा को दिखाते हैं | 

Mohan

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