लोंगेवाला की लड़ाई का पूरा इतिहास

Battle of Longewala in Hindi – 3 दिसंबर की रात को लोंगेवाला चौकी पर सेकेंड लेफ्टिनेंट धरम वीर भान अपनी टुकड़ी के साथ पेट्रोलिंग पर निकले |

धर्मवीर भान को बॉर्डर के दूसरी तरफ हलचल दिखाई दी तो उन्हें समझने में देर नहीं लगी की पाकिस्तान टैंकों के साथ उन पर हमला करने जा रहा है | सेकेंड लेफ्टिनेंट धरम वीर भान ने जल्दी ही इसकी सूचना मेजर कुलदीप चांदपुरी को दी |

Battle of Longewala in Hindi
Battle of Longewala in Hindi

मेजर कुलदीप चांदपुरी ने पूरी जानकारी फोन के ज़रिए मुख्यालय तक पहुँचाई | कुलदीप चांदपुरी ने मुख्यालय से उन्हें ओर सैनिक भेजने के लिए कहा, क्यूंकी उस समय उनके पास सिर्फ़ 120 सैनिक ही मौजूद थे |

जबकि दूसरी तरफ पाकिस्तान 40 से 50 के करीब टैंक्स और दूसरी गाड़ियों के साथ उन पर हमला करने वाला था | ये परिस्थिति बड़ी डराने वाली थी फिर भी एक सैनिक का कर्तव्य ही उसे लड़ने की ताक़त देता है |

हेड ऑफिस से संदेश मिला था कि वो पोस्ट उनके लिए महत्वपूर्ण है इसलिए जहाँ तक संभव हो सके पोस्ट को दुश्मन के कब्ज़े में ना जाने दे | रात का समय होने और अधिक दूरी की वजह से अतिरिक्त बलों को लोंगेवाला की उस चौकी तक पहुँचने में समय लगना ही था |

हेड आफिस ने ये भी कहा था कि अगर वो चोकी छोड़ना चाहते है तो वहाँ से 30 किलोमीटर पीछे रामगढ़ की चोकी पर आ जाएँ | अब फैसला मेजर कुलदीप चांदपुरी को करना था |

ऐसे में मेजर कुलदीप ने फ़ैसला लिया कि वो आख़िरी दम तक लड़ेंगे और इतनी आसानी से पाकिस्तान को वो पोस्ट कब्जाने नही देंगे |

लोंगेवाला का युद्ध Battle of Longewala in Hindi

दोस्तों ये मंज़र था 1971 की भारत पाकिस्तान वॉर का जिसमें मेजर कुलदीप चांदपुरी के सामने बड़ी चुनौती आ खड़ी हुई थी | 1971 की भारत पाकिस्तान जंग में भारत ने पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया था जिसे पाकिस्तान कभी भुला नहीं पाया |

इस लड़ाई में बहुत से मोर्चों पर भारत ने पाकिस्तान के साथ लोहा लिया था |

जिसमें लोंगेवाला की लड़ाई में भारत के सिर्फ़ 120 बहादुर सिपाहियों ने पाकिस्तान के 3000 हज़ार सैनिकों के मनोबल को पूरी तरह से तोड़ कर रख दिया था |

पाकिस्तान की पूरी टैंक रेजिमेंट का मुकाबला 120 पंजाब रेजिमेंट के सैनिकों से हुआ था जिसमें ज़्यादातर सिख और डोगरा सैनिक थे |

अगर आपने बॉर्डर फिल्म देखी है तो आपको बता दें की वो फिल्म सिर्फ़ एक फिल्मी कहानी नहीं है बल्कि भारत पाकिस्तान जंग की सच्ची कहानी पर आधारित एक फिल्म है |

उस फिल्म में सन्नी देओल ने मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का किरदार निभाया था | कुलदीप सिंह चांदपुरी ने जो अदम्य साहस का परिचय दिया था उसके लिए उन्हें भारत सरकार की तरफ से महावीर चक्र और विशिष्ट सेवा मेडल से भी नवाजा गया था |

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लोंगेवाला पोस्ट पर हमला Longewala War 1971 in Hindi

हालाँकि 1971 की जंग से पहले भारत ने खूब तैयारी की थी लेकिन पाकिस्तान ने अचानक पहले हमला करके भारत को चौका दिया था | पाकिस्तान ने भारत के बहुत से एयरबेस पर अपने मिलिटरी जहाज़ों से हमला कर दिया |

उसने जोधपुर, अमृतसर और आगरा तक को निशाना बनाया | जल्दी ही भारत की वायु सेना ने स्थिति को संभाल लिया लेकिन ज़मीन पर भी उसने हमले तेज कर दिए |

लोंगेवाला में पाकिस्तान ने जो हमला किया उसके बारे में भारत ने ज़्यादा अनुमान नहीं लगाया था, हालाँकि इस बात का कुछ अंदाज़ा था की पाकिस्तान वहाँ हमला कर सकता है |

इसीलिए इस पोस्ट को तीन तरफ से बाड़ से घेर दिया गया | लोंगेवाला की वो पोस्ट भारत के लिए बहुत अहम थी | पाकिस्तान की योजना थी कि लोंगेवाला को कब्ज़े में लेकर उसे अपना बसे कैंप बना लिया जाए | क्यूंकी यहीं से एक सड़क जैसलमेर की तरफ जाती थी |

पाकिस्तान ने 3 दिसंबर को भारत पर हमला कर दिया था | 3/4 दिसंबर की रात को ही लौंगेवाला पर भी हमला हुआ था | जिसमें मेजर कुलदीप चांदपुरी को एक अहम् फैसला लेना था |

मेजर कुलदीप चांदपुरी का साहस Major Kuldeep Chandpuri’s Courage

एक बार बातचीत करते हुए मेजर कुलदीप ने कहा था कि “मौत से हर बंदा डरता है, बड़े बड़े योद्धा भी डरते हैं, मैं भी डरता हूँ”

मेजर कुलदीप ने ये भी कहा था की लड़ते हुए खुद मार जाना आसान है लेकिन अपने साथियों को लड़ने के लिए खड़ा करना बेहद मुश्किल काम है |

मेजर कुलदीप ने तो फ़ैसला कर लिया था पर अब उनको अपने साथी सैनिकों को इसके लिए तैयार करना था |

सैनिकों को तैयार करना मेजर कुलदीप के लिए आसान नहीं था क्यूंकी वो जानते थे कि इतने सारे टैंक्स अगर आपको एक साथ घेर ले जिनमें हर एक की मार 2 किलोमीटर तक हो तो उससे बचना बहुत मुश्किल है |

मेजर कुलदीप एक सिख सैनिक थे, सिख इतिहास की बात करें तो सिखों ने पीठ दिखाना नहीं सीखा | फिर चाहे वो चमकौर की लड़ाई हो जिसमें गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने साहिबजादो को हज़ारों की फौज के साथ लड़ने के लिए भेज दिया हो |

या फिर सारागढ़ी की लड़ाई जिसमें सिर्फ़ 21 सैनिकों ने 10000 अफ़गानी सैनिकों का डंट कर मुकाबला किया था | मेजर कुलदीप ने भी अपने सैनिकों को गुरु गोबिंद सिंह और उनके बेटों की शहादत की मिसालें दी |

उन्होने अपने सैनिकों से कहा की हमारा धर्म हमें पीठ दिखा कर भागने की इजाज़त नहीं देता | अगर हमने पोस्ट छोड़ी तो ये हमारी पूरी सिख क़ौम पर कलंक होगा |

मेजर कुलदीप के साथ मौजूद सैनिकों में सभी उनके साथ थे, पर वो खुद जानते थे की उनकी राह आसान नहीं है | उन्हें लड़कर मरना नहीं था बल्कि उस पोस्ट को दुश्मन के कब्ज़े में जाने से बचाना भी था और अपने साथी सैनिकों की रक्षा भी करनी थी |

उनके साथ मौजूद सैनिकों ने फ़ैसला उन पर छोड़ दिया था, मेजर कुलदीप ने भी कहा था कि अगर में पोस्ट से पीछे हटता हूँ तो सबसे पहले मुझे गोली मार देना |

दिमाग और हिम्मत से रोका पाकिस्तान को

लौंगेवाला की उस लड़ाई में सभी लड़ने के लिए तैयार थे, ज़रूरत थी एक योजना की जिससे मदद पहुँचने तक पाकिस्तान को रोका जा सके | भारतीय सेना के पास इतना समय नहीं था की प्लॅनिंग करके पुर क्षेत्र में माइनफील्ड बिछाई जा सके |

इसलिए जल्दी जल्दी आस पास एंटी टैंक माइन्स बिछा दी गई | पर भारत के सैनिकों ने माइन्स बाड़ के थोड़ा आगे तक रखी ताकि पाकिस्तानी सैनिक चकमा खा जाएँ |

पाकिस्तान फौज ने हमला शुरू कर दिया और मीडियम आर्टिलरी गन से बी एस एफ के उन्ठों को मार गिराया | पाकिस्तानी फौज आगे बढ़ने लगी, जहाँ उन्हें कंटीली तार लगी मिली |

पाकिस्तानी सैनिक 20 मीटर दूरी पर रुक गये, पर क्यूंकी माइन्स कुछ आगे तक बिछाई गई थी, इसलिए पाकिस्तानियों का एक फ्युल टैंक माइन के उपर आ गया और फट गया |

जिससे चारों तरफ रोशनी फैल गइ और पाकिस्तानी फौज में अफ़रा तफ़री मच गइ | तभी भारत की फौज ने जीप पर लगी 106 MM की M40 रिक्‍वॉइललेस राइफल से दो पाकिस्तानी टैंकों के परखच्चे उड़ा दिए |

जिससे चारों तरफ उन टैंक्स का धुँआ फैल गया | पाकिस्तानी सेना को लगा की वहाँ और भी माइन फ़ील्ड्स हो सकते हैं इसलिए माइन्स का पता लगाने के लिए सैनिकों को आगे भेजा गया |

उन्हें वहाँ माइन्स नहीं मिले और वो खाली हाथ वापिस आ गये पर इस पूरी उलझन में दो घंटे का समय बीत गया | भारत को कुछ देर और अपनी पोस्ट को बचा कर रखना था जबकि पाकिस्तान को सिर्फ़ एक प्रहार करना था उस पोस्ट पर कब्जा करने के लिए |

उसे भी एहसास था कि उसे जल्दी से जल्दी पोस्ट पर कब्जा करना होगा क्यूंकी भारतीय सेना को मदद मिलने की स्थिति में उनके पास कोई चारा नहीं बचता |

पाकिस्तान ने कर दी बड़ी गलती

इसी हड़बड़ी में पाकिस्तान ने एक ग़लती कर दी और थार में टैंक्स को उतार दिया |

उन्हें लगा की टैंक्स को आता देख भारतीय सेना रुकेगी और पीछे हटेगी | यहीं पर पाकिस्तान ने भारी ग़लती कर दी, क्यूंकी उसके टैंक्स रेत में फँसने लगे |

भारत को एक बार फिर से मौका मिल गया और भारत के सैनिकों ने M40 से लगातार गोलियाँ बरसानी जारी रखी |

M40 की गोलियाँ से भारत ने पाकिस्तान के 12 टैंक्स को पूरी तरह बर्बाद कर दिया | पाकिस्तान के सैनिकों की संख्या बहुत ज़्यादा थी, पर चाँदनी रात और खुला मैदान होने की वजह से पाकिस्तानी सेना घिर चुकी थी |

भारतीय सैनिकों ने इन परिस्थितियों का फायदा उठाया और पाकिस्तानी सेना को आगे बढ़ने से रोके रखा | भारत को इंतज़ार था इंडियन एयर फोर्स का जो सूरज की पहली किरण के साथ हमला करने वाली थी |

क्यूंकी इतने कम सैनिकों के साथ बहुत जयदा लंबे समय तक दुश्मन को रोका नहीं जा सकता था |

एयरफोर्स ने किया आखिरी वार Indian Air Force Contribution

सूरज की पहली किरण के साथ ही इंडियन एयर फोर्स के HF-24 मारुत और Hawker Hunter ने पाकिस्तानी फौज के टैंकों के परखच्चे उड़ा दिए |

एयर फोर्स के पहुँचते ही पाकिस्तानी सेना बुरी तरह बोखला गई क्यूंकी एयर फोर्स के विमान एक के बाद टैंक्स और गाड़ियों को उड़ाते जा रहे थे |

पाकिस्तानी सैनिक टैंक्स और गाड़ियों को छोड़कर इधर उधर भागने लगे | लड़ाई के बाद मैदान से 100 के करीब गाड़ियाँ मिली जो बुरी तरह बर्बाद हो गइ थी |

कुछ न्यूज़ रिपोर्ट्स की माने तो इस लड़ाई में भारत के 2 जवान ही शहीद हुए थे | पाकिस्तानी के 3000 के करीब सैनिकों, 40 से 50 टैंक्स और सैंकड़ों गाड़ियों के सामने भारत के 120 सैनिक जिस मजबूती के साथ खड़े हो गये थे उससे हमारे देश के लोगों और सैनिकों को हमेशा प्रेरणा मिलती रहेगी |

मेजर कुलदीप ने इस लड़ाई में जो साहस दिखाया था उसी की वजह से ही भारत उस पोस्ट को बचाने में कामयाब रहा था |

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आत्मा सिंह का दावा : एयर फ़ोर्स की वजह से जीते

एयर फोर्स के सहयोग को भुलाया नहीं जा सकता पर हाल ही में मेजर जनरल आत्मा सिंह ने अपनी किताब “Battle of Longewala: The Real Story” में दावा किया की ये लड़ाई एयर फोर्स की वजह से ही जीती गइ |

उन्होने दावा किया की आर्मी का लड़ाई का वर्णन बहुत बढ़ा चढ़ा कर दिखाया गया है जबकि पाकिस्तान फौज को रोंदने में उन्होने ज़्यादा कुछ नहीं किया | उन्होने ये भी कहा की “क्या recoilless guns, medium machine guns और mortars से एक आर्म्रर्ड अटैक को रोका जा सकता था |

हालाँकि आर्मी ऑफिसर्स का ये भी मानना है की एयर फोर्स के पहुँचने तक सेना ने अपनी पोज़िशन को होल्ड किया और अटैक को डिले किया जो की एक बहुत बड़ी बात थी |

ब्रिगडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने आत्मा सिंह की बातों को नकार दिया था और कहा था की अब वो कुछ भी कह सकते हैं | उस वक़्त के एयर चीफ मार्शल पी सी लाल ने भी अपनी किताब में पंजाब रेजिमेंट की तारीफ की थी |

खैर भारत ने 1971 की जंग में पाकिस्तान को बहुत बड़ा सबक सिखाया था जिसके बाद उसके दो टुकड़े हो गये थे |

Mohan

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