बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना क्या है
लड़का और लड़की का भेदभाव हमारे देश में कोई नई बात नहीं है। शिक्षा एक स्तर बढ़ने से लोगों में कुछ समझ बढ़ी है परन्तु आज भी बहुत सरे इलाकों में लड़का और लड़की में फर्क किया जाता है। और आज भी बहुत सरे अस्पतालों में लिंग निर्धारण टेस्ट किये जाते हैं, और लड़की का पता चलने पर या तो गर्भ में ही सफाई करवाई जाती है या लड़की पैदा होने पर उसे या तो मर दिया जाता है या कहीं छोड़ दिया जाता है।
हम हर रोज अख़बारों में टीवी पर ऐसी खबरें सुनते और पढ़ते हैं के वहां पर 2 दिन की बच्ची कूड़ेदान में मिली , या कोई अनाथालय के बाहर छोड़ आया।
लड़कियों के मरे जाने से समाज में लिंग अनुपात में बहुत फर्क आ जाता है, बेशक ये फर्क इस समय ज्यादा नहीं लगता परन्तु इसका बुरा असर लम्बे समय में देखने को मिलता है।

लोगों के अनुसार बेटी होना एक अभिशाप है क्योंकि बेटी पराया धन है शादी के बाद उसने ससुराल जाना है जबकि बेटा होने से उनके वंश में वृद्धि होती है और केवल बेटा ही बुज़ुर्ग होने पर माता पिता की सेवा करता है , लोगों की सोच छोटी हो गयी है। आज के समय में बेटी बेटों से कम नहीं हैं। सरकार ने लोगों की यही मानसिकता को दूर करने के लिए बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ जैसी मुहिम को चलाया है। तांकि लोगों को बेटा और बेटी के फर्क से बाहर निकाला जाये।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना कब शुरू हुई
इस योजना की शुरुआत प्रधान मंत्री ने 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत शहर में की थी। इस योजना के तहत केवल लिंग अनुपात को सही नहीं किया जाता बल्कि लड़कियों के विकास , महिला शाश्क्तिकरण पर भी ज़ोर दिया जाता है।
आज के समय में लड़कियों का विकास अत्यंत जरूरी है। उन्हें शिक्षा , स्वतन्त्रता जैसे मौलिक अधिकारों के बारे में जानकारी जरूरी है। क्योंकि भारत जैसे विकाशील देश में बहुत सरे इलाके अभी भी महिलाओं की शिक्षा के खिलाफ हैं।
इस योजना को महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधन मंत्रालय यानी 3 मंत्रालय एक साथ मिल कर चला रहे हैं और लोगों के अंदर जागरूकता पैदा कर रहे हैं।
इस योजना में सबसे पहले पुरे भारत में PCPNDT यानी Pre-Conception & Pre-Natal Diagnostic Techniques Act, १९९४ को लागू किया इसके साथ ही यदि अगर कोई डॉक्टर या चिकिस्ता संस्था लिंग निर्धारण टेस्ट या भ्रूण हत्या करता पकड़ा गया तो उसके खिलाफ क़ानूनी करवाई के साथ साथ उसका लाइसेंस रद्द करने का कानून है। जिस कानून के फलस्वरूप ऐसे केस बहुत कम हो गए हैं।
अब हर अस्पताल या चिकित्सा संस्था के बाहर लिखा होता है के यहां पर लिंग निर्धारण टेस्ट नहीं किये जाते जिससे लोगों के अंदर जागरूकता और बढ़ गयी है और बहुत सरे लोग खुल कर इनका विरोध करने लगे हैं।
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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य क्या है
हमारे देश में विकास लगातार हो रहा है पर सोचने की बात यह है के विकास की गति से महिलाओं पर होने वाले अत्याचार और हिंसा भी बढ़ते जा रहे हैं। सरकार द्वारा चलाई इस योजना का अर्थ केवल लिंग अनुपात को सही करना ही नहीं बल्कि महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों पर भी नकेल कसना है ,
साल 1991 में हुई जनगणना में यह देखने को मिला के 1000 पुरुषों पर केवल 1929 महिलायें थी। जो 2001 की जनगणना में घट कर 1910 हो गयी थी। अगर यह संख्या साल दर साल घटती तो कुछ ही सालों में महिलाओं की संख्या शून्य के पास पहुंच जाती।
और दूसरी तरफ अस्पतालों में किये जाने वाले लिंग निर्धारण टेस्ट ने सरकार की चिंता को और बढ़ा दिया था। समाज में समानता लेन के लिए और समाज में फैली कुरीतियां रोकने के लिए सरकार ने इस योजना का आरम्भ किया।
बेशक इस योजना को शुरू हुए अभी कुछ वर्ष ही हुए हैं पर इतने कम समय में सरकार को काफी सकारात्मक नतीजे देखने को मिले हैं। जहाँ लोग महिलाओं को लेकर , उनके अधिकारों को लेकर सचेत हुए हैं वहीं दूसरी तरफ महिलाओं की भागीदारी देश के विकास में बढ़ी है। आज महिलायें अलग अलग विभागों में काम कर रही हैं और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम कर रही हैं।
इसके साथ साथ सरकार महिलाओं को शिक्षित करने की तरफ ज्यादा ध्यान दे रही है | महिलाओं को उनके मौलिक अधिकारों के बारे में बताया जा रहा है | लड़कियों की स्कूली शिक्षा की तरफ भी ध्यान दिया जा रहा है और इसका फायदा यह हुआ के अब लड़कियाँ खुद गर्भपात के विरुद्ध आवाज़ उठाने लगी हैं | और आज की लड़कियाँ लिंग निर्धारण टेस्ट करवाने के विरुद्ध हैं |
सरकार द्वारा इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में लोगों को जागरूक किया जा रहा है | लोगों को बताया जा रहा है के संसार भर की महिलायें अंतरिक्ष तक की यात्रा कर रही हैं , बड़े से बड़े पद पर लगी हुई हैं , अगर लड़कों की तरह लड़कियों को भी मौका दिया जाये तो वो भी बहुत कुछ कर सकती हैं .
लड़कियों को और समाज को जागरूक करने के इलावा जो सबसे बड़ा कार्य बचता है वो है महिलाओं की सुरक्षा करने का |
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लाभ
समाज में लड़कियों की सुरक्षा बहुत जरूरी है | हर रोज़ लड़कियों के साथ हिंसा होती है जिसको रोकने के लिए सरकार ने ठोस कदम उठाये हैं . सरकार ने हिंसा करने वालों के विरुद्ध सख्त कानून बनाये हैं जिनसे महिलाओं पर होने वाली हिंसा में कमी आयी है पर ये अभी पूरी तरह बंद नहीं हुई .
धरती पर संतुलन बनाने के लिए पुरुष और औरत दोनों का होना जरूरी है | बिना महिलाओं के कोई भी देश तरक्की नहीं कर पाता क्योंकि तरक्की का आधार कहीं न कहीं महिलायें जरुर होती हैं और आज का समय चाहता है के पुरुष और महिला एक साथ मिल कर काम करे |
पहले के मुकाबले हमारे देश में कन्या भ्रूण हत्या , लिंग निर्धारण टेस्ट और लड़कियों पर होने वाले अत्याचारों में बहुत हद तक रोक लग पायी है और कमी आयी है , परन्तु सरकार के निरंतर प्रयासों से आने वाले समय में यह सब कुरीतियां खत्म हो जाएगी और लड़कियाँ भी लड़कों जैसे खुल कर जी पायेगी |
यह सिर्फ सरकार की जिम्मेवारी भी है हमारी भी जिम्मेवारी है के हम महिलाओं के विरुद्ध होने वाली हिंसा को रोकें , कन्या भ्रूण हत्या करने वालों को रोके और लड़कियों को शिक्षा प्रदान कराएं | तभी हम और हमारा समाज आगे बढ़ पायेगा |