C.R. Rao Biography in Hindi – भारत देश ने सैंकड़ों सालों तक गुलामी सही है और अंग्रेज़ों ने भी भारत पर तक़रीबन 300 साल तक राज किया। आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत को आज़ादी मिली।
इस आज़ादी को हासिल करने के लिए बहुत से क्रांतिकारी शूरवीरों ने अपनी जान की क़ुरबानी दी। देश आज़ाद होने के बाद सबसे बड़ी मुश्किल थी एक इतने बड़े देश को सही तरीके से चलने की।
देश को चलने के लिए एक सही रणनीति की जरूरत थी सही सुझावों की जरूरत थी जिससे देश की जनता का भला हो और देश का पर्शाशन सही तरीके से चले।
देश के आज़ाद होने के बाद बहुत सारे वैज्ञानिकों ने सरकार की मदद की देश को चलने के लिए। आज हम जिस वैज्ञानिक की बात कर रहे हैं उन्होंने देश का विकास योजनाबद्ध तरीके से हो इसके लिए महत्वपूर्ण योजनाएं बनाई और देश का एक सांख्यिकीय ढांचा बनाया जिससे आम लोगों को जरूरत की सभी सहूलतें सही मात्रा में और सही समय पर मिले।
हम बात कर रहे हैं प्रोफेसर कल्याम्पुडी राधाकृष्ण राव (सी आर राव) जी की।
सी आर राव की जीवनी C.R. Rao Biography in Hindi
सी आर राव का जन्म और शिक्षा
सी आर राव जी का जन्म कर्नाटका के मद्रास शहर के हुविनाहदगल्ली जगह पर 10 सतंबर 1920 को हुआ। पिछले साल 2020 में वो 100 साल के हो गए और उन्होंने अपना 100 वां जन्मदिन मनाया।
उनकी स्कूली शिक्षा आँध्रप्रदेश के नंदीग्राम में हुई और उन्होंने आंध्र यूनिवर्सिटी से एम् इस सी की। उनका ध्यान सांख्यिकी में ज्यादा था जिसकी पढ़ाई करने के लिए वो कलकत्त्ता चले गए और 1943 में उन्होंने कलकत्ता विश्विद्यालय से एम् ए की।
इसके बाद वो उच्च शिक्षा के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए और उन्होंने किंग्स कॉलेज से पी एच डी की डिग्री हासिल की जिसमें उन्होंने एक स्कॉड को जोड़ा और 1965 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से भी डिग्री हासिल की।
नौकरी और खोजें
सी आर राव जी ने अपने जीवन में बहुत सारी जगहों पर नौकरियां की और उन्होंने सांख्यिकी में बहुत सारी खोजें भी की। उनकी ये खोजें भारतीयों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुई। वो सबसे पहले कुछ समय तक भारतीय सांख्यिकी संस्थान और कैंब्रिज में मानव विज्ञान संग्रहालय में नौकरी करते थे। जहां पर उन्होंने अपने अनुभव को बढ़ाया और उनके अनुभव को देखते हुए भारतीय सांख्यिकी संस्थान में निर्देशक के पद पर बैठाया।
इसके बाद वो पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और सांख्यिकी के अध्यक्ष और पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी में सांख्यिकी राज्य के बहुउद्देशीय विश्लेषण केंद्र के निर्देशक के तौर पर काम करते रहे।
उन्होंने 40 से अधिक वर्षों तक भारतीय सांख्यिकी संस्थान में काम किया और उन्होंने एएसआई (द एशियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट) को स्थापित किया जो टोक्यो में है जहां पर आज भी स्टेटिस्टिक्स या सांख्यिकी की पढ़ाई करवाई जाती है। उन्होंने बहुत सारे नेताओं को गणित और सांख्यिकी की त्यारी भी करवाई
राव जी को स्टैटिसिस या सांख्यिकी में माहिरता थी उन्होंने जितना भी काम किया वो इसी विषय में किया। अगर आसान शब्दों में कहा जाये तो , किसी भी व्यवसाय या कोई भी रणनीति जो बड़े स्तर पर हो , जिससे करोड़ों लोगों का भला हो ऐसी रणनीति बनाने के लिए एक सही अनुमान का होना जरूरी है उसी अनुमान को स्टेटिस्टिक्स या सांख्यिकी कहा जाता है। श्री राव जी ने उन्ही स्टेटिस्टिक्स का सही अनुमान लगाने के लिए कुछ फार्मूला बनाये थे।
ये एक वैज्ञानिक थे जो सांख्यिकी में माहिर थे। सांख्यिकी में किसी अज्ञात राशी या किसी अज्ञात वस्तु के अनुमान लगाने को एस्टिमेशन कहा जाता है। क्योकिं यह एक अनुमान है तो इसमें गलती होना स्वाभाविक है।
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भारत के इस महान विज्ञानी ने इसी अनुमान को सटीक तरीके से लगाने के लिए एक फार्मूला बनाया था जिसे क्रेमर-राव फार्मूला कहा जाता है। किसी ज्ञात अनुमान से कोई सर्वश्रेष्ठ अनुमान कैसे लगाया जाये इसपर भी इन्होने एक महत्वपूर्ण सिद्धांत दिया जिसे राव-ब्लैकवेल सिद्धान्त कहा जाता है।
इसी तरह बिज़नेस और इकोनॉमिक्स में भी कई तरह की समस्याएं सुलझाई जाती है जिन्हे मल्टीवैरियेट एनेलिसिस कहा जाता है। इसमें कई तरह की सिद्धांतों पर चर्चा की जाती है। जैसे बाजार में अगर किसी साबुन की ज्यादा मांग है तो उसकी ज्यादा मांग के क्या कारण हो सकते हैं।
इसी अनुमान को लगाने के लिए भी इस वैज्ञानिक ने कुछ फॉर्मूले दिए जो मल्टीवैरियेट एनेलिसिस को और भी आसान बना देते हैं। इसके इलावा उन्होंने उन्होंने बहुभिन्नरूपी विश्लेषण, आकलन सिद्धांत और अवकल ज्यामिति आदि के लिए भी काम किया।
इसके इलावा उन्होंने कुछ विषयों में भी शोध किये जो इस प्रकार हैं :
- ट्रांजीशन मेटल ऑक्साइड सिस्टम
- मेटल इंसुलेटर ट्रांजीशन
- सीएमआर मैटेरियल
- सुपरकंडक्टिविटी
- मल्टीफेरोक्सि
- हाइब्रिड मैटेरियल
- नैनोट्यूब और ग्राफीन नैनोमैटेरियल
इसके इलावा उन्होंने लगभग 14 किताबें और 400 से अधिक जर्नल लिखे। उन्होंने दुनिया भर के 19 देशों की यूनिवर्सिटीज से 38 मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्र्त की। वो भारत , UK , USA , इटली जैसे देशो की लगभग 8 राष्ट्रिय अकादमियों के सदस्य है और उन्हें अपनी खोजों के लिए विष्वस्तर कर बहुत सारे पुरुस्कार दिए गए।
गणित में राव जी का योगदान
सांख्यिकी के इलावा उन्होंने गणित में भी बहुत काम किया। उनके द्वारा की गयी गणित की खोजें आज भी किसी बड़े बिज़नेस या कोई अनुमान लगाने के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती हैं। उनके द्वारा किये कुछ मह्त्वपूण कार्य :
- अनुमान सिद्धांत
- सांख्यिकीय अनुमान और रैखिक मॉडल
- बहुभिन्नरूपी विश्लेषण
- संयुक्त डिजाइन
- रूढ़िवादी सरणियाँ
- जीवमिति
- सांख्यिकीय आनुवांशिकी
- सामान्यीकृत मैट्रिक्स उलटा होता है
- क्रियात्मक समीकरण
- क्रैमर राव इनइक्वेलिटी
- राव ब्लैकवेलिसेशन
- राव मैट्रिक
पुरुस्कार एवं सम्मान
2010 में भारत सरकार की तरफ से विज्ञान क्षेत्र में दिया जाने वाला सबसे बड़ा पुरुस्कार भारत विज्ञान पुरस्कार दिया गया। 2013 में उन्हें विष्वस्तर पर सांख्यिक खोज और विषय में अहम योगदान के लिए Miodrag Lovric (संपादक) और Shlomo Sawilowsky के साथ नोबेल पुरुस्कार के लिए नामांकित भी किया गया। 26 जुलाई 2014 को उन्हें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर द्वारा 38 वे मानद डॉक्ट्रेट की उपाधि दी गयी।
वह काफी समय तक अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकीय संस्थान, गणितीय सांख्यिकी संस्थान (यूएसए), और अंतर्राष्ट्रीय बॉयोमीट्रिक सोसायटी के अध्यक्ष रहे और उन्हें औद्योगिक आंकड़ों में उनके योगदान और उद्योगों में गुणवत्ता नियंत्रण कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए भारत के राष्ट्रीय गुणवत्ता और विश्वसनीयता के लिए हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया था।
उन्हें 2011 में रॉयल स्टेटिक सोसाइटी में गाई मेडल इन गोल्ड दिया गया। 2003 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के श्रीनिवास रामानुजन पदक दिया गया। 2014 में सरदार पटेल इंटरनेशनल फाउंडेशन, भारत द्वारा सरदार पटेल लाइफटाइम अचीवमेंट इंटरनेशनल अवार्ड दिया गया।
12 जून 2002 को राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश ने उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार, वैज्ञानिक क्षेत्र में सर्वोच्च पुरस्कार, “नए युग के भविष्यवक्ता” के रूप में सम्मानित किया। 2001 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण पुरुस्कार दिया गया। इससे पहले भी उन्हें 1968 में पद्म भूषण पुरुस्कार दिया गया था। 1993 भारतीय विज्ञान कांग्रेस के महालनोबिस शताब्दी स्वर्ण पदक दिया गया। 1989 में विल्क्स मेमोरियल अवार्ड दिया गया।
1969 को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी का मेघनाद साहा पदक और 1965 में रॉयल स्टैटिस्टिकल सोसाइटी के सिल्वर में गाइ मेडल दिया गया।
उन्हें 2003 में कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा एक मानद डॉक्टर ऑफ साइंस से भी सम्मानित किया गया था। इसके अलावा दुनिया भर के कई विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी गयी।
राव जी ने सांख्यिकी में जो भी खोजें की , गणित में जो भी खोजें की वो अमूल्य हैं। उनकी यह खोजें और शोध कितनी सदियों तक हमे सही राह दिखाएंगी और एक सही अनुमान लगाने में बहुत मदद करेंगी। उन्होंने लगभग 38 बार डॉक्ट्रेट के डिग्री हासिल की। सी आर राव जी द्वारा की खोजों के लिए हम सदा उनके ऋणी रहेंगे।