जेरूसलम का इतिहास

History of Jerusalem in Hindi – जेरूसलम एक ऐसा शहर है जिसका इतिहास बरसों पुराना है | ये शहर इसाई, मुस्लिम और यहूदी धर्म को मानने वाले लोगों के लिए एक पवित्र स्थान है | 

जिस जगह पर इतने सारे अलग अलग धर्मों को मानने वाले लोग हो वहाँ टकराव की स्थिति पैदा होना आम बात है |

इजराइल के अनुसार जेरूसलम इजराइल की राजधानी है लेकिन दुनिया के ज़्यादातर देश ऐसा नहीं मानते इसलिए इजराइल में सिर्फ़ दूसरे देशों के कांसुलेट हैं और दूतावास तेल अवीव में ही बैठते हैं |

history of jerusalem in hindi
History of Jerusalem in Hindi

इजराइल को लेकर यहूदियों और मुस्लिमों में टकराव की स्थिति आज भी वैसे ही बनी हुई है |

एक तरफ इजराइल यरूशलम पर अपना दावा करता है तो दूसरी तरफ फ़िलिस्तीन इसे अपने अधिकार क्षेत्र में बताता है |

इतिहास के पन्नो को पलट कर देखा जाए तो………

यरूशलम पर कभी ईसाइयों, कभी मुस्लिमों, तो कभी यहूदियों का अधिकार रहा है | इस शहर को पाने के लिए ना जाने कितनी ही जंगे लड़ी गई और ना जाने कितने ही बादशाहों ने इस पर राज किया |

आज भी यरूशलम को लेकर जो टकराव की स्थिति है उसका कारण है इसका इतिहास | 

इतिहास में इस शहर के साथ बहुत सी धार्मिक कहानियाँ जुड़ गई, जिसकी वजह से ये शहर यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों की भावनाओं  का केंद्र बन गया | 

3000 साल पहले की कहानी History of Jerusalem in Hindi

इतिहासकारों की माने तो इस शहर में सबसे पहले इंसान 3500 बी सी के आस पास आकर बस गये थे | लगभग 3000 साल पहले किंग डेविड ने जेरूसलम को जीत लिया था और इसे अपने यहूदी साम्राज्य की राजधानी बनाया था | 

उसने प्राचीन इजराइल में रह रही सभी ट्राइब्स को इकट्ठा किया था | उसके बाद उसके बेटे सोलोमन ने अपने पिता के बनाए साम्राज्य का विस्तार किया | 

सोलोमन ने ही इस शहर में सबसे पहले पवित्र मंदिर का निर्माण किया था | इस पीरियड को फर्स्ट टेंपल पीरियड कहा जाता है |

अगले 400 सालों तक यरूशलम उसके बनाए राज्य की राजधानी रहा | इसके बाद 586 बीसी में बेबलोनियन किंग न्ब्चॅनेज़ार ने इस शहर पर कब्जा कर लिया |

उसने इस शहर को तहस नहस कर डाला और मंदिर को तोड़ दिया गया | यहूदियों पर तरह तरह के अत्याचार किए गये और उन्हें शहर से बाहर निकल दिया गया |

लगभग 50 सालों के बाद फ़ारसी राजा साइरस द ग्रेट ने इसे अपने अधिकार में ले लिया और यहूदियों को इसमें प्रवेश की आज्ञा दे दी | साइरस ने पवित्र मंदिर का फिर से निर्माण भी करवाया था |

इस पीरियड को सेकेंड टेंपल पीरियड कहा जाता है और ये 515 बी सी इ से 70 सी इ तक था | 332 बीसी में लगभग पूरी दुनिया पर राज करने वाले सिकंदर महान ने इस शहर को अपने कब्ज़े में ले लिया |

सिकंदर की मृत्यु के बाद उसका पूरा साम्राज्य “Wars of the Diadochi” में उसके जनरल्स के बीच बाँट गया | आगे के वर्षों में इस शहर पर कइयों ने राज किया जिनमें रोमन, पर्षियन्स, अरब, तुर्क, क्रुसेडर्स, इजिप्टीयन्स और इस्लमिस्ट्स प्रमुख रहे |

63 बी सी में यरूशलम को रोमन जनरल पोम्पे द ग्रेट ने अपने कब्ज़े में ले लिया |  रोम की तरफ से एक लोकल ट्राइब के चीफ हेरोड को उस एरिया का किंग बना दिया गया |

37 बीसी में किंग हेरोड ने इस शहर में बहुत से निर्माण करवाए | हेरोड ने मंदिर की भी मुरम्मत करवाई और दीवारों का निर्माण करवाया | उसकी बनवाई दीवारों के कुछ हिस्से आज भी बचे हैं जो की यहूदियों के लिए एक पवित्र स्थल की तरह है जिसे वेस्टर्न वॉल कहा जाता है |

70 ए डी में रोमन्स ने उस दूसरे मंदिर को तहस नहस कर दिया था | 

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ईसाइयों के लिए क्यूँ है अहम स्थान Why Jerusalem is Important for Christians

यरूशलम ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों के लिए भी अहम स्थान रहा है |  335 ए डी में यरूशलम के टेंपल माउंट में एक चर्च बनाई गई जिसे चर्च ऑफ द होली सीपुलचर कहा जाता है |

ईसाइयों का मानना है कि इसी जगह पर जीसस को 30 ए डी में इसी शहर में सूली पर चढ़ाया गया था | और इसी जगह पर उन्होने दुबारा जन्म भी लिया था | 

ये भी माना जाता है कि इस जगह का जिक्र भी जीसस ने बाइबल में अपने पुराने वसीयत नामे में किया था | साथ ही नये वसीयतनामे में उन्होने इस जगह पर जाने की बात भी कही थी |

बहुत से युरोपियन क्रिस्चियन्स ने 1 ए डी से जेरूसलम को एक तीर्थ स्थान मान लिया था और इसकी यात्रा शुरू कर दी थी | 1099 से 1187 के बीच क्रिस्चियन क्रुसेडर्स ने यरूशलम को अपने कब्ज़े में ले लिया था और शहर को अपना प्रमुख धार्मिक स्थल बनाया |

इसके बाद मुस्लिम किंग सलादीन ने इस शहर को फिर से अपने कब्ज़े में ले लिया था | 

मुसलमानो के लिए क्यूँ है अहम Why Jerusalem is Important for Muslims

इस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए टेंपल माउंट उनकी तीसरी सबसे पवित्र जगह है |  सबसे पहले पवित्र स्थानो में सऊदी अरब में मौजूद मक्का और मदीना आते हैं |

मुसलमानो का ये विश्वास है कि पैगम्बर मोहम्मद ने मक्का से यसुसलाम के बीच की यात्रा एक रात में पूरी की थी | उनका ये भी मानना है की यरूशलम से ही 632 ए डी में उनके प्रॉफेट मुहम्मद ने स्वर्ग की यात्रा की थी |

इसी जगह पर डोम ऑफ द राक को बनाया गया जिसे यहूदी मंदिर को तोड़कर बनाया गया था | ये इस्लाम की सबसे पुरानी इमारतों में से एक है |

डोम का निर्माण खलीफा अब्द अल-मलिक ने करवाया था | जब क्रिस्टन क्रुसेडर्स ने यरूशलम पर कब्जा किया था तो उन्होने इस जगह पर एक चर्च बना दी थी | 

1187 में मुसलमानो ने इसे फिर से अपने कब्ज़े में ले लिया और इसका पुनर्निर्माण करवाया | डोम ऑफ द राक के पास ही चाँदी के गुंबद वाली मस्जिद है जिसे अल-अक़्सा मस्जिद कहा जाता है | 

मुसलमानो के लिए डोम ऑफ द राक और अल-अक़्सा मस्जिद दोनो ही पवित्र स्थान हैं | 

यहूदियों के लिए क्यूँ अहम स्थान Why Jerusalem is Important for Jewish

यहूदी भी इस जगह को पवित्र स्थान मानते हैं इसी जगह पर यहूदियों के पहले और दूसरे मंदिर का निर्माण किया गया था | यहाँ पर यहूदियों के दूसरे मंदिर के चारों और की एक दीवार अभी भी है जिसे वेस्टर्न वॉल कहा जाता है |

इस दीवार को वेलिंग वॉल भी कहते हैं क्यूंकी यहूदी इस दीवार के पास आकर प्रार्थना करते हैं और रोते हैं | इस जगह के बारे में यहूदी मानते हैं कि यहीं पर पैगम्बर इब्राहिम ने अपने बेटे इशाक़ की बलि देने की तैयारी की थी | 

इसी जगह पर बहुत से यहूदी पेगम्बरों ने शिक्षा भी हासिल की | हर साल लाखों की तादात में यहूदी यहाँ प्रार्थना के लिए आते हैं |  यहूदी मानते हैं की डोम ऑफ द राक ही होली ऑफ़ द होलीज़ है |

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हालाँकि आज के समय मुस्लिमों का कंट्रोल पुराने मंदिरों के ज़्यादातर स्थान पर है इसलिए वेस्टर्न वॉल ही सबसे नज़दीक पवित्र स्थान माना जाता है जहाँ यहूदी पूजा कर सकते हैं |

टेंपल माउंट क्या है What is Temple Mount in Jerusalem

आपने देखा की किस तरह इसरेअल में तीन मुख्य धर्मों के लोगों के पवित्र स्थान हैं | और इनमें आपस में इतिहास और वर्तमान में भी विवाद चलता आ रहा है |

लेकिन इसरेअल की सबसे बड़ी खूबसूरती इस बात में है की यहाँ पर यहूदियों, ईसाईयों और मुस्लिमो तीनो के पूजनीय स्थान एक जगह पर हैं | 

इस जगह को “टेंपल माउंट” कहा जाता है.

यसुसलाम में एक पहाड़ी पर स्थित ये कॉंपाउंड लगभग 35 एकड़ में फैला है | यहीं पर वेस्टर्न वॉल, डोम ऑफ द राक और अल-अक़्सा मस्जिद भी हैं |

ऑटोमोन और ब्रिटिशर्स ने भी किया था राज

मिड्ल ईस्ट में एक बहुत बड़ी शक्ति उभरी थी वो थी ऑटोमोन साम्राज्य | 1516 से 1917 के बीच ऑटोमोन्स ने यरूशलम पर राज किया था | 

पहले विश्व युद्ध के बाद ब्रिटन ने यरूशलम पर अधिकार कर लिया था | 1947 में भारत आज़ाद हुआ था उसके कुछ समय बाद 1948 में इजराइल भी एक स्वंत्रत देश बन गया |

इजराइल के आज़ाद देश बनने के 20 सालों तक यरूशलम दो हिस्सों में बंटा हुआ था | इसके पश्चिमी हिस्से पर इजराइल का अधिकार था जबकि पूर्वी क्षेत्र पर जॉर्डन का |

लेकिन 1967 में हुए युद्ध में पूरे इजराइल ने पूरे यरूशलम पर अधिकार कर लिया | इजराइल में रह रहे फ़िलिस्तीन वासियों को इजराइल का स्थाई निवासी मान लिया गया लेकिन उन्हें इजराइल की नागरिकता नहीं मिली |

सिरिया के साथ बॉर्डर पर विवाद इस तीसरे अरब-इसरायली वॉर का मुख्य कारण था | इस युद्ध को सिक्स डे वॉर भी कहा जाता है | ईजिप्ट, जॉर्डन, सिरिया, इराक़, कुवैत और अल्जीरिया जैसे अरब देश एक तरफ हो गये थे| फिर भी इसरेअल इन सब पर भारी पड़ा |

इसी वॉर में इजराइल ने वेस्ट बैंक और ग़ज़ा पट्टी को भी अपने कब्ज़े में ले लिया था | वेस्ट बैंक फ़िलिस्तीन प्राधिकरण के द्वारा कंट्रोल किया जाता है जो कि  मात्र एक दिखावा है |

वहीं गाजा इस्लामिक कट्टरपंथी पार्टी के द्वारा नियंत्रित किया जाता है |

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इजराइल फिलिस्तीन विवाद की वजह

इजराइल की आज़ादी के बाद से ही इजराइल और फ़िलिस्तीन में यरूशलम को लेकर विवाद चल रहा है | हालाँकि इजराइल ने पूरे यरूशलम पर अपना अधिकार कर लिया पर उन्होने एक क़ानून बना दिया जिसके अनुसार Jews टेंपल माउंट में जाकर पूजा नहीं कर सकते |

लेकिन अक्सर इजराइल की सेना बहुत से यहूदियों को यहाँ आने जाने की अनुमति दे देती है | जिससे फिलिस्तीनियों को हमेशा ही डर रहता है कि इजराइल कभी भी वहाँ कब्जा कर सकता है |

यरूशलम की एक तिहाई आबादी फिलिस्तीनी मूल की है | 1967 से पहले की सीमाओं की बात की जाए जिस क्षेत्र पर इजराइल ने कब्जा किया वहाँ स्वतंत्र फिलिस्तीनी राष्ट्र के निर्माण का विचार है |

संयुक्त रास्ट्र के द्वारा दिए गये प्रस्तावों में भी स्वतंत्र फ़िलिस्तीन की बात कही गई है | 

1980 में इजराइल ने यरूशलम को अपनी राजधानी घोषित कर दिया था लेकिन दुनिया के ज़्यादातर देश इसे मान्यता नहीं देते | और देशों के राजदूत यरूशलम की बजाए तेल अवीव में अपने राजदूत बिठाते हैं |

2017 में अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने संकेत दिए थे की वो यरूशलम को इजराइल की राजधानी मान सकते हैं | आज भी यरूशलम के पूर्वी हिस्से को ओल्ड सिटी कहा जाता है जो की चारों और से दीवारों और दरवाज़ों से घिरा है |

ओल्ड सिटी के चारों और ये दरवाजे और दीवारे ऑटोमोन साम्राज्य के सुलेमान वन ने बनवाए थे | पुराना शहर चार कवाटर्स में बंटा है | जिन्हें द ज्यूयिश कवाटर्स; द क्रिस्चियन कवाटर्स; द मुस्लिम कवाटर्स; और द आर्मीनियन कवाटर्स कहते हैं |

इजराइल और फ़िलिस्तीन के बीच विवाद चलता रहेगा क्यूंकी यहाँ धर्म की वजह से लोगों की भावनाएं जुड़ गई हैं | 

इजराइल ने अपनी ताक़त, अड्वान्स टेक्नालजी और अमेरिका जैसी देशों की मदद से इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बहुत बढ़ा लिया है | आपको यरूशलम का इतिहास कैसा ल्गा कॉमेंट करके ज़रूर बताएगा |

Mohan

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