रूस का सम्पूर्ण इतिहास

क्या वाइकिंग्स ने रूस को बसाया था और किस तरह रूस में ज़ार का शासन शुरू हुआ | साथ ही आपको बताएँगे मोंगोलों का रूस पर आक्रमण, ऑटोमॅन्स के साथ रूस की जंग, अलास्का को अमेरिका को बेचने की मजबूरी और प्रथम विश्व युद्ध के समय शुरू हुई रूसी क्रांति का इतिहास |

रूस आज सैन्य शक्ति के मामले में अमेरिका को टक्कर देता है | रूस के पास दुनिया के सबसे आधुनिक हथियार हैं और रूस की ख़ुफ़िया एजेन्सीस पूरी दुनिया की नाक में दम करके रखती हैं |

अगर आज के रूस की बात करें तो इसका जन्म दुनिया के बड़े बड़े शक्तिशाली देशों के मुक़ाबले बहुत देरी से हुआ है | दिसंबर 1991 में सोवियत यूनियन यानी USSR के पतन के बाद रूस एक स्वतंत्र देश बना था |

वैसे सोवियट यूनियन का गठन 1923 में ही हो गया था | सोवियत यूनियन के टूटने के बाद इससे कुछ छोटे छोटे देश बन गये लेकिन क्षेत्रफल की दृष्टि से आज भी रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है |

वहीं अगर बात करें इसकी जनसंख्या की तो वो क्षेत्रफल के अनुपात में बहुत कम है |

रूस का इतिहास History of Russia in Hindi

History of Russia in Hindi

रूस में सबसे पहले लोगों के बसने की शुरूवात तब हुई जब एक वाइकिंग ने यहाँ Kievan Rus नाम का एक शहर बसाया |

Scandinavia से युरोप के अलग अलग हिस्सों में फैल जाने वाले वाइकिंग्स ने बेलारूस, यूक्रेन और रूस के एक हिस्से पर जो शासन स्थापित किया था वो लगभग 400 सालों तक मजबूती से खड़ा रहा |

Novgorod के प्रिन्स Oleg जिसे Oleg the Prophet भी कहा जाता है उसने Kiev को 882 में अपने कब्ज़े में ले लिया था और अपनी राजधानी को नॉवगरॉड से बदलकर Kiev ले आया था |

इस समय तक वाइकिंग्स थोर और ओडिन को मानते थे, लेकिन इसी डाइनेस्टी के प्रिन्स Vladimir the Great ने क्रिस्चिनिटी को अपना लिया था |

उधर दूसरी तरफ मंगोल पूरी दुनिया में अपना विस्तार करने में लगे थे |

मंगोलों ने 1223 में Battle of Kalka River में सबसे पहले Kievan Rus पर कब्ज़े की कोशिश की | इसके बाद 1240 में बाटू ख़ान के नेतृत्व में इस शहर पर कब्जा कर लिया |

उन्होने Kievan Rus और मॉस्को जैसे बहुत से शहरों को तहस नहस कर दिया | 1480 तक मोंगोलों के गोलडेन हॉर्ड के खानों ने Kievan Rus पर राज किया |

रूस में जार का उदय

जब मंगोल रूस पर राज कर रहे थे तो इसी बीच मास्को में जन्म होता है एक वीर योद्धा का | इस वीर योद्धा का नाम था Ivan The Great जिसे Ivan III भी कहा जाता है |

जब इवान बहुत छोटा था तो उसके पिता को उनके चचेरे भाई ने बंदी बना लिया और उनकी आँखें निकाल ली | काफ़ी समय तक उसे छिपकर रहना पड़ा और बाद में 18 साल की उम्र में ही उसने Tatars के खिलाफ मिलिटरी अभियानों की शुरुआत कर दी |

Ivan The Great ने रूस को मंगोलों से आज़ाद करवाया और रूस के ज़्यादातर हिस्से पर अधिकार कर लिया | अभी तक रूस पर शासन करने वालों को ज़ार नहीं कहा जाता था, पर अब रूस में एक ज़ार आने वाला था जिसका नाम थे Ivan The Terrible

Ivan The Terrible, Ivan III का पोता था जिसने अपने राज्य का विस्तार तो सर्बिया तक कर लिया लेकिन एक ऐसा मिलिटरी राज स्थापित किया जिसमें सिर्फ़ आतंक ही आतंक था |

कहा जाता है कि उसने एक चर्च का निर्माण करवाया जो इतनी खूबसूरत थी की उसने उसे बनाना वाले आर्किटेक्ट्स की आँखें निकलवा दी |

ये भी कहा जाता है की उसने अपने ही बेटे को किसी बात पर विवाद होने पर इतना मारा की उसकी मृत्यु हो गई |

पर कुछ लोग इन बातों को बढ़ा चढ़ा कर कही गई बातें कहते हैं | Ivan The Terrible के शासन के बाद कुछ समय तक रूस में आशांति का माहौल रहा जिसमें बाहरी आक्रमण और सिविल वॉर्स होती रही |

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Romanov Dynasty का उदय

इसके बाद वहाँ Romanov Dynasty का उदय हुआ जिसने अगले 300 सालों तक रूस पर राज किया | Mikhail Romanov 16 वर्ष की आयु में, इस राजवंश के सबसे पहले ज़ार बने, जिन्हें लोकतांत्रिक तरीके से वहाँ की असेंबली ने चुना था |

Mikhail I के बारे में लोग ज़्यादा नहीं जानते लेकिन उन्हें रोमनोव डाइनेस्टी को बनाने और रूस को मुश्किल समय में उबारने के कारण याद रखा जाता है |

इसके बाद Peter The Great का राज आता है जिसने रूस की राजधानी को मॉस्को से St. Petersberg स्थानांतरित किया |

पीटर वन को रूस के इतिहास में एक रिफॉर्मर के रूप में देखा जाता है | पीटर ने इंग्लेंड की यात्रा करके युरोपियन कल्चर, शिपबिल्डिंग और नेविगेशन के बारे में जानकारियां इकट्ठी की |

इसके बाद पीटर ने रशियन नेवी का निर्माण करवाया | पीटर चाहते थे कि रशियन भी युरोपीयन्स की तरह से दिखे, इसके लिए पीटर ने रूस में बियर्ड टैक्स लगा दिया ताकि रशियन्स बड़ी बड़ी दाढ़ी ना रखें | क्यूंकी उस समय तक रशियन्स बड़ी बड़ी दाढ़ी रखा करते थे |

लेकिन पीटर को अपने ही बेटे की हत्या के लिए भी जाना जाता है | भारत में जहाँ औरंगज़ेब जैसे मुग़ल शासकों ने अपने पिता को बंदी बना कर रखा वहीं रूस के इस शासक ने अपने खिलाफ षड्यंत्र रचने वाले अपने बेटे की हत्या करवा दी थी |

इसके बाद रूस पर Catherine II जिन्हें Catherine the Great भी कहा जाता है उन्होने भी राज किया. Catherine सबसे लंबे समय तक रूस पर राज करने वाली महिला रूलर थी |

Crimean War

रूस तरक्की के साथ साथ अपने विस्तार में भी लगा हुआ था. जिस कारण उसे Crimean War में जाना पड़ा जहाँ उसकी हार हुई | रूस ने विस्तार करते हुए आज के रोमानिया पर अधिकार कर लिया था जो की उस समय टर्किश यानी ओटोमन साम्राज्य के अधीन था |

रूस और ऑटोमॅन्स के बीच टेंशन बहुत बढ़ गई जिसे रूस ने धार्मिक रंग दे दिया और कहा की Christans का सबसे पवित्र स्थान येरूसलम ऑटोमॅन्स के अधीन है |

जेरूसालाम में ईसाई, मुस्लिम और यहूदी तीनो धर्मों के पवित्र स्थान हैं जिन्हें लेकर हज़ारों सालों से जंग चल रही है, आप यहाँ क्लिक करके जेरुसलम के इतिहास के बारे में जान सकते हैं |

इन घटनाओं के कारण रूस और ऑटोमॅन्स के बीच युद्ध शुरू हो गया | बाद में ब्रिटन और फ्रांस भी ऑटोमॅन्स के साथ आ गये और रूस के विरुद्ध उन्होने एक अलायन्स बना लिया |

क्यूंकी वो भी रूस की विस्तारवादी नीति से डर गये थे | जिस तरह से इस लड़ाई की मीडीया में रिपोर्टिंग हुई और आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल हुआ, उसके लिए इसे मॉडर्न वॉर भी कहा जाता है |

इस लड़ाई में रूस की हार हुई और ट्रीटी ऑफ पॅरिस के साथ ये वॉर समाप्त हुआ |

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अलास्का को रूस को बेचने की मजबूरी

क्रिमीन वॉर के बाद रूस कमजोर हुआ था पर क्या रूस इतना कमजोर हो गया था की उसने अपनी ज़मीन का एक हिस्सा अमेरिका को बेच दिया |

रूस कमजोर हुआ था पर अलास्का को बेचने की वजह पैसों की ज़रूरत नहीं थी बल्कि ज़ार Alexander II को डर था की अगर फिर से ब्रिटन के साथ उनका युद्ध हुआ तो ब्रिटन अलास्का को उनसे छीन लेगा |

इसी डर की वजह से अलास्का को Alexander II ने अमेरिका को बेच दिया |

आज अलास्का अमेरिका के सबसे अमीर स्टेट्स में से है क्यूंकी वहाँ तेल और सोने के प्राकर्तिक स्त्रोत हैं | पर 1867 में रूस ने सिर्फ़ 7.2 मिलियन डॉलर्स में अलास्का को अमेरिका को बेच दिया था |

Alexander II की 1881 में रूस में क्रांतिकारी संगठन के लोगों ने हत्या कर दी थी, जिसके बाद उसका बेटा Alexander III ज़ार बना |

प्रथम विश्व युद्ध में रूस की हार

रूस के इतिहास में इसके बाद जो बड़ी घटना हुई वो थी प्रथम विषव युद्ध | रूस ने इस युद्ध में दुनिया की सबसे बड़ी आर्मी के साथ भाग लिया, लेकिन उनके पास हथियारों की कमी थी |

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि एक तिहाई रूसी सैनिकों को राइफल्स तक इश्यू नहीं की गई थी | इस लड़ाई में रूस के ज़ार ने 1915 में युद्ध की कमान अपने हाथ में ले ली थी |

रूस के जार निकोलस तृतीय को युद्ध लड़ने का कोई अनुभव भी नहीं था और इस लड़ाई में रूस की हार का जिम्मा भी उसके सर पर आ गया |

रूस की क्रांति

प्रथम विश्व युद्ध के समय ही रूस में क्रांति हुई | लंबे समय से रूस के लोगों में अनरेस्ट बढ़ता जा रहा था और पहले विश्व युद्ध में ये अनरेस्ट पीक पर पहुँच गया |

1917 की क्रांति से पहले 1905 में भी क्रांति की लहर उठी थी जिसका कारण था ज़ार के द्वारा सैंकड़ों निहत्थे प्रोटेसटर्स को मरवाना | 1917 में 6, 7 नवंबर को Bolshevik पार्टी के लीडर व्लादिमीर लेनिन ने रूस की प्रोविशनल सरकार का तख्तापलट कर दिया |

जार के लड़ाई में भाग लेने के बाद मार्च 1917 में ही वहाँ इस प्रोविशनल सरकार का गठन हुआ था जिसके बाद ज़ार ने अपनी गद्दी छोड़ दी थी |

लेनिन की यही बोल्शेविक पार्टी आगे चलकर कम्यूनिस्ट पार्टी कहलाई | 1923 में लेनिन की रेड आर्मी की जीत हुई और रूस में सिविल वॉर का अंत हुआ जिसके बाद सोवियट यूनियन का गठन हुआ |

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Mohan

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