दिसंबर 1971, भारत और पाकिस्तान के बीच भीषण युद्ध चल रहा था | गोरखा राइफल्स के जवान पिछले 4 दिनों से सोए नहीं थे कि अचानक उन्हें एक और मिशन पर जाने का आदेश मिल गया |
सिर्फ 384 गोरखा राइफल्स के जवानों को हेलीकॉप्टर के जरिए पाकिस्तानी सैनिकों के बीचो बीच उतारा गया | जिस जगह भारतीय सेना के जवानों को उतारा गया था वहां पाकिस्तानी सेना की दो ब्रिगेड यानि 8000 सैनिक मौजूद थे हालांकि भारत के सेना के अफसरों को इस बात का बिलकुल भी अंदाज़ा नहीं था |

जब भारतीय सेना के जवानों को उस जगह उतारा गया तो बीबीसी को लगा की भारतीय सेना ने अपनी ब्रिगेड को उस जगह लैंड करवा दिया है |
और रेडियो पर खबर चली कि इंडियन आर्मी की एक ब्रिगेड हेलिकॉप्टर्स की मदद से सिलहट के इलाके में उतर चुकी है|
ये सुनकर पाकिस्तान के सैनिक संभल कर भारतीय सैनिकों से लड़ने लगे |
इस वजह से कई दिनों तक वो थोड़े से सैनिक पाकिस्तान के सैनिकों से लड़ते रहे | उधर पाकिस्तान के सैनिकों ने सरंडर कर दिया था |
सिलहट में भी पाकिस्तान के सैनिक आत्म समर्पण करने वाले थे तभी एक घटना घटती है और गोरखा राइफल्स के इयान कार्डोज़ो का पैर पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा बिछाई गयी लैंड माइन पर आ जाता है |
इस घटना में इयान का पैर बुरी तरह जख्मी हो गया और उन्हें खुखरी से खुद ही अपने पैर को काटना पड़ा | ऐसा क्या हुआ था कि इयान को अपना पैर खुद ही काटना पड़ा और उन्होंने पाकिस्तान के डॉक्टर से इलाज करवाने से भी मना कर दिया था |
आइये जानते हैं
इयान कार्डोज़ो की पूरी कहानी Ian Cardozo Biography in Hindi
होनहार बिरवान के होत चीकने पात
गुणवान व्यक्ति के गुण बचपन से ही दिखाई देने लग जाते हैं| ऐसे ही गुण इयान में भी थे | वो बचपन से ही अपने देश के लिए कुछ करना चाहते थे |
इयान का जन्म 1937 में मुंबई में हुआ | उनका परिवार बहुत साधारण सा परिवार था | वो बहुत साधारण सी जिंदगी व्यतीत करते थे, पर उनके अंदर सेना में जाने का जज़्बा था, और यही जज़्बा उन्हें नेशनल डिफेंस एकेडमी में ले गया |
नेशनल डिफेन्स अकादमी में अच्छे प्रदर्शन के लिए उन्हें सिल्वर और गोल्ड मेडल्स भी मिले थे |

नेशन डिफेंस एकेडमी में अपनी ट्रेनिंग के बाद वो इंडियन मिलिट्री एकेडमी गए और वहां पर दिल लगा कर ट्रेनिंग की | डिफेन्स एकेडमी के जैसे उन्होंने मिलिट्री एकेडमी में भी शानदार प्रदर्शन किया |
सेना के प्रति उनके जुनून और एकेडमी में उनके प्रदर्शन को देखते हुए ट्रेनिंग खत्म होने से पहले ही उन्होंने अपनी जगह गोरखा राइफल्स में बना ली |
आखिरकार उन्हें वो मंज़िल मिल गयी थी जिसका सपना उन्होंने बचपन से देखा था |
इयान कार्डोज़ो की शादी 1966 में हुई और इनकी पत्नी का नाम प्रिसिला है और इनके 3 बच्चे हैं जिनके नाम अरुण, सुनीता और विक्रम हैं |
भारत पाकिस्तान युद्ध 1971
1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया | और कुछ समय बाद पाकिस्तान के साथ जंग शुरू भी हो गयी |
पाकिस्तान ने जंग की शुरुआत की, भारत ने भी अपनी सैनिक टुकड़ियों को भेजा और उस टुकड़ी में एक टुकड़ी गोरखा रेजिमेंट की थी |
इयान ⅘ गोरखा राइफल्स में थे | जब बटालियन के सेकेंड कमांडिंग अफसर शहीद हो गए तब इयान को जंग में आना पड़ा | वो भारतीय सेना के पहले हेलीकॉप्टर मिशन का हिस्सा बने |
इयान और गोरखा राइफल्स के 384 जवानो को हेलीकॉप्टर के जरिए सिलहट की लड़ाई में उतारा गया |
गोरखा राइफल्स के जवान जब हेलीकॉप्टर से नीचे उतर रहे थे तभी उन पर फायरिंग होने लगी |
सभी गोरखा जमीन पर लेट गए और जैसे ही पाकिस्तानी सैनिक पास आये गोरखा उनपर ‘जय काली माँ अयो गुरखाली’ के नारे लगाते हुए टूट पड़े |
गोरखाओं ने खुखरियों और बंदूकों से जोरदार हमला करके पाकिस्तानियों को वहां से खदेड़ दिया |
लेकिन उस पूरे क्षेत्र में पाकिस्तानी सैनिकों की संख्या बहुत ज्यादा थी | जबकि गोरखा सैनिकों की संख्या और उनके हथियार गोला बारूद बहुत सीमित थे |
जब गोरखा राइफल्स के जवानों को उस जगह उतारा जा रहा था तो बीबीसी ने रेडियो पर खबर चलाई की भारतीय सेना की ब्रिगेड हेलीकाप्टर के जरिये वहां भेजी गई है |
जबकि भारतीय सेना के बहुत कम जवान उस जगह पर थे | जब गोरखा राइफल्स ने ये खबर सुनी को उन्होंने इस तरह से अपने सैनिकों की तैनाती की जिससे पाकिस्तानियों को लगे की वहां भारतीय सेना की पूरी ब्रिगेड है |
धीरे धीरे इंडियन आर्मी के बहुत से जवान मारे जा रहे थे और बड़ी मात्रा में जवान घायल हो रहे थे | इयान की टुकड़ी के पास भोजन भी खत्म हो रहा था और हथियार भी खत्म हो रहे थे, परन्तु फिर भी इयान की टुकड़ी ने हार नहीं मानी और लड़ती रही |
गोरखा राइफल्स के जवानो के पास पीने का साफ़ पानी भी नहीं था इसलिए वो तालाब का पानी रूमालों से छान छान कर पी रहे थे |
ये भी पढ़ें:
- चीनी सीमा पर आज भी पहरा देती है इस सैनिक की आत्मा
- तीनो सेनाओं के प्रमुख बिपिन रावत की हादसे में गयी थी जान
पाकिस्तानियों को दिया चकमा
गोरखा राइफल्स के जवानों ने घात लगाकर पाकिस्तानियों पर हमले जारी रखे | वो पूरे इलाके में गश्त लगा रहे थे ताकि पाकिस्तानियों को लगे कि वहां भारत की पूरी ब्रिगेड है न कि एक बटालियन |
जैसे ही भारत के सैनिकों को लगता कि पाकिस्तानी सैनिक इकट्ठा होकर हमला करने वाले हैं तो भारतीय वायु सेना से सहायता मांगते थे |
तब भारतीय वायु सेना के मिग 21 और हंटर विमान पाकिस्तानियों पर बम बरसाकर उन्हें इकट्ठा नहीं होने देते थे |
इसी बीच भारत को एक अच्छी खबर मिलती है | 15 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना के सेना अध्यक्ष सैम मानेकशॉ रेडियो पर पाकिस्तानी सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिए कहते हैं | (पढ़िए 1971 के भारत पाकिस्तान जंग की पूरी कहानी)
ये सन्देश सुनकर सिलहट में मौजूद पाकिस्तान के सेना के दो अफसर सफ़ेद झंडों के साथ भारतीय सेना की ओर बढ़ते हैं |
उधर भारतीय सेना के जवानों को पाकिस्तानियों की नीयत पर शक हुआ क्यूंकि उन्हें अभी तक सरेंडर करने के आधिकारिक आदेश नहीं मिले थे |
साथ ही गोरखा राइफल्स को डर था कि अगर पाकिस्तानी सैनिकों को पता चल गया कि उनकी दो ब्रिगेड के सामने भारत की आधी से कम बटालियन है तो कहीं वो हम पर हमला न कर दें |
इसलिए बहुत संभल कर उनका सरेंडर स्वीकार किया गया और इयान कार्डोज़ो को सरेंडर करवाने के लिए भेजा गया |
लेकिन जब इयान सरेंडर स्वीकार करने जा रहे थे तो अचानक उनका पैर पाकिस्तानियों की बिछाई एक माईन पर जा टिका और पैर टिकते ही एक ज़ोर का धमाका हुआ |
इयान धमाके से बहुत दूर जाकर गिरे और उनके पुरे शरीर से बुरी तरह खून बहने लगा , इयान उस धमाके में बुरी तरह घायल हो गए जिससे वो बेहोश हो गए |
ये भी पढ़ें:
काट दिया था अपना पैर
इयान जब कैंप में पहुंचे तो उनकी हालत गंभीर थी | अचानक उन्हें होश आया तो दर्द बर्दाश्त से बाहर था |
सब सैनिक इयान की इस हालत को देखकर घबरा रहे थे | कैंप तक डॉक्टरी मदद आने में समय लग रहा था , ऐसे में इयान ने खुद ही अपना इलाज करने की सोची |
इयान ने एक सैनिक से मॉर्फिन नाम की दवा मांगी, पर वो दवाई उपलब्ध नहीं थी | फिर इयान ने कुछ और दवाइयां मांगी, पर कोई भी दवाई उपलब्ध नहीं थी, तो इयान ने अपने एक साथी को पैर काटने के लिए कहा |
पर कोई भी सैनिक ऐसा करने को तैयार नहीं था और दर्द से इयान का बुरा हाल हो रहा था |
इयान ने अपनी खुखरी निकली और अपने साथी को देते हुए कहा के मेरा पैर काट दो, पर वो ऐसा नहीं कर पाया तो इयान ने खुद ही अपनी खुखरी से अपना पैर काट लिया |
इयान खुशकिस्मत थे कि सरेंडर करने वालों में एक पाकिस्तानी डॉक्टर भी थे | पहले इयान ने उनसे इलाज करवाने से भी मना कर दिया था लेकिन बाद में ऑफिसर्स के समझाने पर वो इसके लिए तैयार हुए |
पर उन्होंने कहा कि वो पाकिस्तानियों का खून बिल्कुल भी नहीं लेंगे |
उस डॉक्टर ने उस समय दुश्मनी या दोस्ती न देखकर केवल इंसानियत को देखा और इयान का इलाज किया |
इयान के इस तरह पैर काटने की बात सुनकर लोग हैरान रह गए के इतने दर्द के बाद भी वो किस हिम्मत से अपना पैर काट सकते हैं |
उनकी इस बहादुरी के लिए उनको सेना मेडल से सम्मानित किया गया
पहले अक्षम ऑफिसर बने जिसने ब्रिगेड को किया कमांड
पैर कट जाने पर उन्हें बहुत सी परेशानियों का भी सामना करना पड़ा | उन्हें भारतीय सेना में दफ्तर में डेस्क पर नौकरी करने का प्रस्ताव दिया गया, पर इयान ने ये कहकर वो प्रस्ताव ठुकरा दिया के वो भारतीय सेना में युद्ध के मैदान में लड़ने के लिए शामिल हुए हैं न के आराम से दफ्तर में बैठ कर काम करने के लिए |
उनके सीनियर अफसरों ने बहुत समझाया, परन्तु इयान नहीं माने और आखिरकार 7 साल बाद इयान को शारीरिक फिटनेस टेस्ट देने की अनुमति मिली |
वो टेस्ट में पास हुए जिससे सभी अधिकारी हैरान रह गए | इसके बाद भारतीय सेना में नियम बदले गए और विकलांग हुए सैनिकों को सेना में काम करने के साथ साथ उच्च पद पर नौकरी दी जाने लगी |
इसके बाद वो पहले शारीरिक रूप से अक्षम ऑफिसर बने जिन्होंने भारतीय सेना में रहते हुए एक बटालियन और एक ब्रिगेड को भी कमांड किया |
शारीरिक अक्षमता के बाद भी इयान सेना में रहते हुए बड़े कारनामे किये हैं | एक बार पाकिस्तानी पोस्ट पर हमला करने से पहले चल रहे अभ्यास में रेजिमेंट के सैनिक एक दीवार पर हथगोले फेंक कर अभ्यास कर रहे थे तो अचानक एक हथगोला दीवार से टकरा कर वापिस आ गया |
इयान ने उस गोले को पकड़ा और वो जानते थे के गोला चंद सेकंडों में फट जाता है इस लिए उन्होंने वो गोला सेना से दूसरी तरफ फेंक दिया जिससे वो गोला हवा में ही फट गया और किसी तरह की दुर्घटना होने से बच गयी | इयान की समझदारी और बहादुरी देख कर सब लोग हैरान रह गए |
इयान अपनी फिटनेस पर भी बहुत ध्यान देते हैं | 2019 की मुंबई मैराथन में उन्होंने 16 अन्य युद्ध में विकलांग हुए सैनिकों के साथ भाग लिया |
वो मेजर जनरल के पद से भारतीय सेना से रिटायर्ड हुए थे |
लिख चुके हैं बहुत सी किताबें
इयान कार्डोज़ो की जिंदगी और बहादुरी से बॉलीवुड भी प्रभावित हुआ है | एक्टर अक्षय कुमार इयान की बहादुरी पर बनी फिल्म “गोरखा” में इयान की भूमिका निभा रहे हैं |
इयान को लिखने का शौक है इसलिए उन्होंने युद्ध से प्रभावित होकर कई किताबें लिखी | उन्होंने सबसे पहली किताब 1971: स्टोरीज़ ऑफ़ ग्रिट एंड ग्लोरी फ्रॉम द इंडो-पाक वॉर लिखी और इसके बाद
- परम वीर: अवर हीरोज इन बैटल,
- शैतान सिंह: इनक्रेडिबल हीरोइज्म डिस्प्लेड बाय ए स्मॉल ग्रुप अगेंस्ट होर्ड्स ऑफ चाइनीज इन द बैटल ऑफ रेजांग ला इन 1962,
- द सिंकिंग ऑफ आईएनएस,
- खुखरी: सर्वाइवर स्टोरीज आदि किताबें और कहानियां लिखी |