India Pakistan War 1971 in Hindi – अप्रैल 1971 के शुरुआती दिनों में मेजर जनरल जेकब को भारतीय सेना प्रमुख सैम मानेक्शा का फोन आता है,
मानेक्शा जनरल जेकब को कहते हैं कि बांग्लादेश में घुसने की तैयारी कीजिए, क्यूंकी इंदिरा गाँधी की सरकार चाहती है कि हम तुरंत पूर्वी पाकिस्तान में हस्तक्षेप करे |
लेकिन मेजर जेकब, मानेक्शा को मना कर देते हैं और कहते हैं कि हमे ऐसा नहीं करना चाहिए |
क्यूंकी एक तो हमारे पास पर्वतीय डिवीज़न है और साथ ही हमारे पास कोई पुल भी नहीं है |
इसके अलावा मानसून शुरू होने वाला है और ये सारी परिस्थितियां और हमारी तैयारी बांग्लादेश में घुसने के लिए उचित नहीं है |
अगर इन परिस्थितियों में हम वहाँ घुसने की ग़लती करेंगे तो हम वहाँ बुरी तरह से फँस सकते हैं |
इसके लिए हमें तोड़ा और इंतज़ार करना चाहिए |
जिसके बाद बांग्लादेश में घुसने के प्लान को नवंबर तक स्थगित कर दिया गया |
भारत ने कर ली थी पाकिस्तान पर हमले की तैयारी

भारत पाकिस्तान के 1971 के युद्ध के बारे में ये बात बड़ी चौंकाने वाली है,
सब जानते हैं कि इस युद्ध में भले ही पाकिस्तान ने 3 दिसंबर को हमला किया था, पर भारत ने भी पाकिस्तान पर हमले की पूरी तैयारी कर रखी थी |
बी बी सी से बात करते हुआ मेजर जेकब ने बताया कि अगर 3 दिसंबर को पाकिस्तान भारत पर हमला नहीं करता तो भारत 4 दिसंबर को पाकिस्तान पर हमला करने वाला था |
16 दिसंबर 1971 की वो तारीख भारत के इतिहास में बहुत अहम मानी जाती है | इस दिन पाकिस्तानी सेना के 90000 सैनिकों ने पाकिस्तान के जनरल नियाज़ी के साथ आत्म समर्पण कर दिया था |
दूसरे विश्व युद्ध के बाद इतनी बड़ी संख्या में किसी देश के सैनिकों ने आत्म समर्पण किया था |
उन्हें आत्म समर्पण के लिए मजबूर करने वाले थे मेजर जनरल जैकब, मेजर जैकब ने ही जनरल नियाज़ी को हथियार डालने के लिए विवश किया था |
भारतीय सेना के प्रमुख फील्ड मार्शल सैम मानेक्शा ने ही मेजर जेकब को पाकिस्तानी सेना के समर्पण की पूरी व्यवस्था करवाने के लिए ढाका भेजा था |
पाकिस्तानी सेना के समर्पण करने के 13 दिन बाद भारत पाकिस्तान युध समाप्त हो गया और पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गये थे |
पूर्वी पाकिस्तान से जन्म हुआ एक नये देश का जिसका नाम था बांग्लादेश |
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1971 भारत पाकिस्तान युद्ध के कारण India Pakistan War Causes in Hindi
इस लड़ाई की शुरूवात तब हुई जब पश्चिमी पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान पर तरह तरह के ज़ुल्म करने शुरू कर दिए |
जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान में विद्रोह शुरू हो गया और भारत ने इसमें दखल देकर पूर्वी पाकिस्तान को आज़ाद करवाया |
1947 में पाकिस्तान बन गया था लेकिन पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान में भाषा के आधार पर भेदभाव बढ़ने लगा था |
सारी ताक़त पश्चिमी पाकिस्तान के हाथों में थी और वहाँ के लोग हमेशा अपना प्रभाव बनाए रखने की कोशिश करते थे |
समय बीतने के साथ साथ पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश में असंतोष बढ़ता जा रहा था | पर 1969 में पाकिस्तान में चुनाव हुए जिसके बाद युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार हो गई |
पाकिस्तान की नेशनल असेंब्ली में कुल 313 सीटें थी, जिसमें पूर्वी पाकिस्तान के नेता मुजीब-उर-रहमान की पार्टी ने 167 सीटों पर जीत हासिल की |
इस तरह से मुजीब-उर-रहमान की पार्टी को सरकार बनानी चाहिए थी |
लेकिन पाकिस्तान की दूसरी बड़ी पार्टी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के नेता ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो ने इसका विरोध किया | और उन्हें पाकिस्तान की सेक्यूरिटी काउन्सिल का भी साथ मिला |
जिसके बाद मुजीब-उर-रहमान ने पूर्वी पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया | उन्होने पुर देश में बंद का आहवाहन किया |
विरोध की हर आवाज़ को दबाने के मकसद से पाकिस्तान ने पूर्वी पाकिस्तान में सेना का प्रयोग किया |
पश्चिमी पाकिस्तान से जनरल टिक्का ख़ान को विरोध को दबाने के लिए निर्देश दिए गये |
पाकिस्तानी सेना ने लोगों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया | जगह जगह लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा | पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान के पुलिस ऑफीसर और सेना के जवानो को भी नहीं छोड़ा |
हालत ये हो गये थे कि अकेले चटगाँव में 1 लाख से अधिक लोगों को मार दिया गया | जनरल टिक्का ने जो नरसंहार किया उसके लिए उसे “बंगाल के कसाई” का टाइटल मिला था |
पाकिस्तानी सेना के ज़ुल्म से बचने के लिए पूर्वी पाकिस्तान से बहुत बड़ी संख्या में लोग पश्चिम बंगाल, बिहार और दूसरे राज्यों में प्रवेश करने लगे |
भारत इस पूरी परिस्थिति पर नज़र बनाए हुए था और पाकिस्तान की हर हरकत को देख रहा था |
पूर्वी पाकिस्तान में रह रही हिंदू अल्पसंख्यक आबादी पर पाकिस्तानी सेना ने बहुत कहर ढाया जिसकी वजह से 1 करोड़ रिफ्यूजी भारत आ गये |
पूर्वी पाकिस्तान से आने वाले लोगों के लिए भारत में जगह जगह रिफ्यूजी कैम्पस लगाए गये | भारत ने पाकिस्तान के इस ज़ुल्म और रिफ्यूजी संकट के मुद्दे को कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया |
लेकिन किसी ने भी इस मामले को सुलझाने में सहयोग नहीं दिया |
दूसरी तरफ मुजीब-उर-रहमान को 25 मार्च को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद पाकिस्तानी आर्मी के बंगाली जनरल जिया-उर-रहमान ने 26 मार्च को आज़ादी की घोषणा कर दी |
मुक्ति वाहिनी को भारत का समर्थन
पाकिस्तानी आर्मी में जितने भी बंगाली सैनिक थे उन्होने भारतीय कैम्पों की ओर आना शुरू कर दिया | अलग देश की माँग करने वाले उन सैनिकों ने मुक्ति वाहिनी नाम की सेना बनाई |
भारतीय सेना ने मुक्ति वाहिनी को पूरा समर्थन दिया | यहाँ तक की इंदिरा गाँधी ने 31 मार्च 1971 को भारतीय संसद में भाषण देकर पूर्वी पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की मदद की बात कही |
इसके बाद से भारतीय सेना ने अपनी तैयारी शुरू कर दी और मुक्तिवाहिनी के सैनिकों को हथियार देने के साथ साथ उन्हें ट्रैनिंग देना भी शुरू कर दिया |
इससे पाकिस्तान बौखला गया और नवंबर आते आते उसने भारत पर हमले की तैयारी शुरू कर दी | भारत ने भी 23 नवंबर से सीमा पर सेना की तैनाती शुरू कर दी |
अक्तूबर नवंबर के महीनो में इंदिरा गाँधी ने युरोप और अमेरिका का दौरा करके दुनिया के सामने भारत के नज़रिए को रखा |
लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सॉन के साथ उनकी बातचीत किसी नतीजे तक नहीं पहुँच सकी | रिचर्ड निक्सॉन पाकिस्तान में सैन्य सरकार के पक्ष में थे और उन्होंने मुजीबर रहमान की रिहाई के लिए कुछ भी करने से इनकार कर दिया |
इस लड़ाई में भारत लगभग अकेला था क्यूंकी दुनिया की बड़ी शक्तियाँ भारत के खिलाफ खड़ी हो गई थी | उस समय सिर्फ़ रूस ने ही भारत का साथ दिया था और भारत से अपनी पुरानी दोस्ती निभाई थी |
असल में शीत युद्ध के दौरान भारत ने बड़ी चतुराई से सोवियत संघ से सहयोग संधि और मित्रता कर ली थी | यही वजह थी कि 1971 भारत पाकिस्तान युद्ध में रूस ने भारत की मदद की थी |
पाकिस्तान का भारत पर हमला
3 दिसंबर 1971 को आख़िरकार पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया | इसमें सबसे आगे थी पाकिस्तान की एयरफोर्स, जिसने भारतीय सीमा के 300 किलोमीटर अंदर आगरा तक को निशाना बनाया |
परिस्थिति ये हो गई थी कि ताज महल को भी ढकना पड़ा था क्यूंकी मार्बल की चमक से दुश्मन के निशाने पर आ सकता था | पाकिस्तान ने भारत के 11 एयरबेस पर भी अपने जहाज़ों से बॉम्ब गिराए |
पाकिस्तान के इस हमले को ऑपरेशन चंगेज ख़ान नाम दिया गया | पाकिस्तानी एयरफोर्स का ये हमला 1967 में इजराइल के अरब देशों पर किए गये हमले से प्रेरित था |
उस लड़ाई में इजराइल ने अरब देशों की सीमा के अंदर कई 100 किलोमीटर तक हवाई हमले किए थे | लेकिन पाकिस्तान का वो हमला सफल नहीं हो पाया और उसके जवाब में भारत ने पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान दोनो तरफ से हमला कर दिया |
भारत ने पाकिस्तान के 13 एयरफील्ड को निशाना बनाकर ऐसा इंतज़ाम कर दिया कि पाकिस्तान के हवाई जहाज़ उड़ान ही ना भर सकें |
इस लड़ाई में भारत की तीनो सेनाओं में आपसी तालमेल दिखा और जल्दी ही भारत ने पाकिस्तान को नाको चने चबवा दिए |
इंडियन नेवी ने संभाली कमान
भारत की नौ सेना ने 4 दिसंबर को ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ शुरू कर दिया |
दो मोर्चों पर इंडियन नेवी पाकिस्तान को टक्कर दे रही थी | एक बंगाल की खाड़ी से पूर्वी पाकिस्तान से और दूसरा अरब सागर में पश्चिमी पाकिस्तान से |
कराची पोर्ट पर हमला करके नेवी ने पी एन एस खैबर को डुबो दिया और पी एन एस मुहाफ़िज़ और पी एन एस शाहजहाँ को भारी नुकसान पहुँचाया |
इस हमले में पाकिस्तान के 720 के करीब सैनिक या तो मारे गये या जख्मी हो गये | 8-9 दिसंबर को नेवी ने ऑपरेशन पाइथन शुरू किया जिसमें फिर से कराची पोर्ट पर हमला किया गया |
पाकिस्तान के रिज़र्व फ्युल टैंक को नष्ट कर दिया गया और उसके तीन मर्चेंट शिप डूब गये | भारत को सबसे ज़्यादा नुकसान तब हुआ जब पी एन एस हैंगर ने आई एन एस खुरकी को डुबो दिया जिसमें 18 भारतीय अफ़सर और 176 सैनिक मारे गये |
जमीनी लड़ाई में दी जबरदस्त शिकस्त
ईस्ट वॉर ज़ोन की कमांड जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के हाथ में थी | यहाँ बोगरा और सिलहट की लड़ाइयाँ अहम थी | सिलहट में गोरखा रेजिमेंट के 350 सैनिकों को हेलिकॉप्टर से ड्रॉप करना पड़ा था |
महज 350 गोरखाओं ने 6 हज़ार पाकिस्तानियों को घुटनो पर ला दिया था | पश्चिमी सीमा पर भी करगिल, तुरतुक की चोटियों, कच्छ की रेतीली, दलदली भूमि और थार के रेगिस्तान में भीषण लड़ाइयाँ लड़ी गई थी |
पाकिस्तान को हर जगह हार का सामना करना पड़ रहा था | जिसे देखकर अमेरिका बोखला गया और भारत पर युध समापत करने के दबाव बनाने के लिए बंगाल की खड़ी में अपनी नोसेना के बेड़े को भेज दिया |
दूसरी तरफ सोवियत संघ ने भी हिंद महासागर में अपनी नोसेना को उतार दिया | भारत ने बिना किसी दबाव के युध जारी रखा और अमेरिका को अपने बेड़े को वापिस बुलाना पड़ा |
1971 भारत पाकिस्तान युद्ध के परिणाम
जल्दी ही पाकिस्तान की 15000 किलोमीटर भूमि भारत ने अपने कब्ज़े में ले ली | शंकरगढ़ और बसंतर में पाकिस्तानी सेना की बहुत बुरी हार हुई |
16 दिसंबर तक भारतीय सेना और मित्र वाहिनी ने ढाका पर कब्जा कर लिया और एक नये देश का जन्म हुआ जिसका नाम था बांग्लादेश | मजबूत राजनीतिक नेतृत्व और तीनो सैनाओं के संयुक्त होकर लड़ने की वजह से भारत ने इस लड़ाई में जीत हासिल की |
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