रॉकेट्स को हवा में तबाह करने वाला इजराइल का आयरन डोम सिस्टम क्या है ?

इज़रायल और फिलिस्तीन में विवाद बढ़ने के बाद हमास की तरफ से इज़रायल पर रॉकेट्स दागे गए लेकिन उन रॉकेट्स को इज़रायल के सुरक्षा कवच में जमीन पर गिरने से पहले ही नष्ट कर दिया | इज़रायल के उस सुरक्षा कवच को आयरन डोम कहते हैं जिसकी चर्चा जोरों पर है |

आख़िर ये Iron Dome System है क्या और क्यूँ इसे दुनिया का सबसे पावरफुल और सफल सुरक्षा कवच माना जा रहा है |

Israel iron dome system

इज़रायल और फ़िलिस्तीन में लंबे समय से विवाद चल रहा है | गाजा पट्टी में मौजूद, हमास के लड़के इज़रायल पर लंबे समय से इसी तरह रॉकेट्स से हमला करते आ रहे हैं |

हमास की तरफ से छोड़े जाने वाले ये रॉकेट्स इज़रायल में आम लोगों को निशाना बनाते हैं | जिससे इज़रायल के लोगों की जान को ख़तरा बना रहता है | इसी ख़तरे को कम करने के लिए इज़रायल ने इस आयरन डोम को विकसित किया है |

Iron Dome System क्या है, ये कैसे काम करता है और इसे कब कैसे विकसित किया गया | जानेंगे सब कुछ इस लेख में |

दोस्तों इज़रायल का जेरूसलम शहर तीन धर्मों के लिए आस्था का केन्द्र है | जब भी इज़रायल की फोर्सस और वहाँ रहने वाले मुस्लिम लोगों में अल अक़्सा मस्जिद को लेकर विवाद बढ़ता है तो गाजा के हमास ग्रूप की तरफ से इज़रायल पर रॉकेट्स दागे जाते हैं |

इन रॉकेट्स को रोकने के लिए इज़रायल ने आयरन डोम सिस्टम 2011 में लगाया था | मार्च 2011 में सबसे पहले इस सिस्टम की मदद से गाजा की तरफ से छोड़े गये BM – 21 grad को इंटरसेप्ट कर डिस्ट्रॉय किया गया था |

दोस्तों आप सोच रहे होंगे कि इज़रायल ने बहुत ताक़तवर सिस्टम बना दिया है और अब उसे कुछ करने की ज़रूरत नहीं है | तो आपको बता दूँ कि इज़रायल का ये सिस्टम एक इमरजेंसी सुरक्षात्मक कवच ज़रूर है लेकिन वो सिर्फ़ इसी पर आश्रित नहीं रह सकता |

जिसका बड़ा कारण है हर रॉकेट को रोकने में आने वाला खर्च | एक रॉकेट को रोकने में इस सिस्टम पर 35 से 40 लाख का खर्च आता है | हालाँकि कहा जाता है कि ये खर्च इससे कहीं ज़्यादा है, पर इज़रायल की तरफ से खर्च का यही आंकड़ा दिया गया है |

क्यूँ पड़ी आयरन डोम की ज़रूरत Need of Iron Dome System in Hindi

सन 2000 से हिज़बुल्लाह और हमास के लोगों ने इज़रायल पर रॉकेट्स से हमले करने शुरू कर दिए | 2006 में हुई लेबनॉन वॉर के दौरान तो इज़रायल पर 4000 के करीब रॉकेट्स दागे गये |

इन रॉकेट हमलों में 44 इसरायली नागरिक मारे गये और 250,000 से ज़्यादा नागरिकों को दूसरी जगहों पर ले जाना पड़ा | इज़रायल पर मिसाइल हमलों की शुरूवात बहुत पहले हो गई थी |

जब 1991 में गल्फ वॉर के दौरान सद्दाम हूसेन की फोर्सस ने तेल अवीव पर 39 al-Hussein Scud मिसाइल्स छोड़ी थी | उस वक़्त इज़रायल को अमेरिका का Patriot Air Defense System इस्तेमाल करना पड़ा था |

वो सिस्टम इतनी बुरी तरह से फैल हो गया था कि सिर्फ़ एक मिसाइल को ही गिरा पाया था |

जिसके बाद इज़रायल ने अपना डिफेन्स सिस्टम विकसित करना शुरू किया और अमेरिका से वित्तीय मदद लेकर Iron Dome System को तैयार किया |

Iron Dome System कैसे काम करता है उससे पहले आपको बता दें कि आयरन डोम में क्या क्या ख़ासियत है |

ये एक मोबाइल सिस्टम है जो बारिश, फॉग और तूफान में भी काम करता है, साथ ही इसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है | ये एक साथ मल्टिपल टार्गेट्स को एंगेज कर सकता है, साथ ही इसे ज़मीन और समुद्र में भी डिप्लाय किया जा सकता है |

इसे short range rockets को intercept और destroy करने के लिए इज़रायल की कंपनी Rafael Advanced Defense Systems के द्वारा बनाया गया है|

इसका मुख्य काम उन रॉकेट्स को intercept करना और destroy करना है जो इज़रायल के आबादी वाले क्षेत्रों की ओर आते हैं | रॉकेट्स के अलावा ये सिस्टम आर्टिलरी, मोर्टार, एयरक्राफ्ट्स, हेलिकॉप्टर्स और Unmanned Aerial Vehicles (UAV’s) को भी इंटरसेप्ट करने में सक्षम है |

अभी इसकी रेंज 4 से 70 किलोमीटर तक है जिसे बढाकर 250 किलोमीटर तक करने की योजना है | अब जानते हैं की ये सिस्टम काम कैसे करता है |

कैसे काम करता है आयरन डोम How Iron Dome System Works

Iron Dome System के तीन मुख्य भाग होते हैं | रडार, कंट्रोल यूनिट और मिसाइल लॉंचर

ये सिस्टम सबसे पहले रडार की मदद से रॉकेट्स को डिटेक्ट करता है और फिर उसकी ट्रेजेक्टरी यानी वो कौन सा रास्ता तय करेगा इसका पता लगाता है |

इसके बाद पूरी जानकारी कंट्रोल यूनिट तक पहुँचती है | कंट्रोल यूनिट डिसाइड करता है कि किस रॉकेट को रोकना है और किस को नहीं |

अगर रॉकेट आबादी वाले इलाक़ों में गिरने वाला हो तो कण्ट्रोल यूनिट मिसाइल लॉंचर को कमांड देता है | जिसके बाद मिसाइल लॉंचर से तामिर मिसाइल निकलती है और रॉकेट्स से हवा में टकराकर उसे नष्ट कर देती हे |

वहीं अगर रॉकेट्स किसी वीरान जगह पर गिरने वाला हो तो उसे वहाँ गिरने दिया जाता है | मिसाइल लॉंचर में 20 तामिर मिसाइल होती है | तामिर मिसाइल इंटरसेप्टर मिसाइल हैं जिसमें सेन्सर्स लगे होते |

इन मिसाइल में स्टियरिंग फिन्स होते हैं जिनसे ये निश्चित किया जाता है की ये अपने टारगेट से टकरायें | इन मिसाइल की लेंथ 10 फीट और रेंज 70 किलोमीटर तक होती है और एक मिज़ाइल लॉंचर जिसे बैटरी भी कहा जाता है 150 स्क्वायर किलोमीटर के एरिया को प्रोटेक्ट कर सकता है |

क्या पूरी तरह से हमले रोकने में सक्षम है Iron Dome System | इस सिस्टम की क्षमता के बारे में हमेशा से ही सवाल उठते रहते हैं |

इज़रायल के एक अख़बार The Jerusalem Post ने मार्च 2012 में दावा किया था आयरन डोम ने गाजा की तरफ से दागे गये 90% रॉकेट्स को नष्ट कर दिया जो कि आबादी वाले इलाक़ों में गिर सकते थे |

वहीँ यू एस मिलिटरी रिपोर्ट्स के अनुसार इस सिस्टम की क्षमता 80 से 90% के बीच है यानी सिर्फ़ 10 से 20% रॉकेट्स को रोकने में ये नाकाम रहा है |

तो दोस्तों ये तो हुई इज़रायल के सुरक्षा कवच की बात लेकिन आपको ये भी जानना चाहिए की इज़रायल और फ़िलिस्तीन में विवाद का कारण आख़िर है क्या ?

इजराइल फिलिस्तीन विवाद Israel Palestine Conflict

क्या आप जानते हैं इज़रायल और फ़िलिस्तीन के बीच का विवाद लगभग 100 साल पुराना है | प्रथम विश्व युद्ध के समय ऑटोमोन एम्पायर का पतन हो गया था जिसके बाद ब्रिटेन ने इस हिस्से पर कब्जा कर लिया था |

उस वक़्त यहाँ यहूदी माइनोरिटी में थे और अरब मेजॉरिटी में थे | पर 1920 से 40 के बीच यहूदी यहाँ बढ़ने लगे |

1947 में UN ने फ़िलिस्तीन को अलग अलग अरब और यहूदी इलाक़ों में बाँटने का प्रस्ताव दिया जिसे यहूदी नेताओं ने मान लिया लेकिन अरब नेताओं ने नहीं माना |

1948 में ब्रिटेन ने उस क्षेत्र को छोड़ दिया जिसके बाद यहूदी लीडर्स ने इज़रायल की स्वतंत्रता की घोषणा कर दी | जिसके बाद फ़िलिस्तीन और इज़रायल में जंग छिड़ गई | आस पास के अरब देशों ने भी फ़िलिस्तीन में ज़मीनें हथिया ली |

जॉर्डन ने वेस्ट बैंक और ईजिप्ट ने गाजा को कब्ज़े में ले लिया | 1967 की जंग में इज़रायल ने वेस्ट बैंक, सिरियन गोलन हाइट्स और गाजा पर भी कब्जा कर लिया था |

इज़रायल ने गाजा के क्षत्र को छोड़ दिया पर वेस्ट बैंक पर अभी भी उसका अधिकार है | वेस्ट बैंक एरिया में अरब आबादी है और इज़रायल वहाँ पिछले 50 सालों से यहूदी बस्तियाँ बसा रहा है |

गाजा के क्षेत्र पर हमास नाम के ग्रूप का कब्जा है | ये संगठन 1987 में बना था जब इज़रायल के वेस्ट बैंक और गाजा पर कब्ज़े के खिलाफ पहला फिलिस्तीनी मूव्मेंट शुरू हुआ था |

इस ग्रूप का सबसे बड़ा मकसद इज़रायल की बर्बादी है |

इज़रायल गाज़ा की जंग

2005 में जब इज़रायल ने गाजा से अपनी सेना और सेट्लर्स को वापिस बुला लिया तब से इस ग्रूप ने पॉलिटिक्स में भी भाग लेना शुरू कर दिया | 2006 में इन्होने इलेक्शन में भी जीत हासिल की |

लेकिन इज़रायल, अमेरिका, युरोपियन यूनियन और यूनाइटेड किंग्डम इसे एक आतंकवादी संगठन ही मानते हैं |

वहीं कुछ देश ऐसा नहीं मानते….

इज़रायल हमास के खिलाफ 2008, 2012 और 2014 में तीन बड़े मिलिटरी ऑपरेशन्स को अंज़ाम दे चुका है |

2008 में इज़रायल ने Operation Cast Lead शुरू किया जो 22 दिन चला था जिसे फ़िलिस्तीन की तरफ से रॉकेट हमले रोकने के लिए शुरू किया गया था जिसमें 1300 फिलिस्तीनी और 13 इसरायली नागरिक मारे गये थे |

2012 में इज़रायल ने Operation Pillar of Defense शुरू किया जो की इज़रायल के द्वारा हमास के कमांडर अहमद जबारी को एयर स्ट्राइक में मारने के बाद शुरू हुआ |

8 दिन चले इस ऑपरेशन में 170 फिलिस्तीनी और 6 इसरायली मारे गये थे |

2014 में इज़रायल ने Operation Protective Edge शुरू किया जो की रॉकेट्स को नष्ट करने और विरोधियों की टनल्स को बर्बाद करने के लिए शुरू किया गया था |

50 दिन चली इस लड़ाई में 2251 फिलिस्तीनी मारे गये जिसमें 1462 आम नागरिक थे वहीं इज़रायल के 67 सैनिक और 6 आम नागरिक मारे गये थे |

2012 और 2014 के ऑपरेशन्स के दौरान Iron Dome System बहुत कारगर साबित हुआ था और इज़रायल को इन ऑपरेशन में इसका बहुत फायदा मिला |

उसके बाद अब हो रहे हमलों में भी 100 से ज़्यादा फिलिस्तीनी मारे गये हैं जिनमें बहुत से बच्चे भी हैं | अब देखना होगा की इज़रायल फ़िलिस्तीन के बीच ये लड़ाई कहाँ तक जाएगी |

अगर आप जानना चाहते हैं की इज़रायल और फ़िलिस्तीन के बीच येरुसलम शहर का विवाद क्या है तो येरुसलम का इतिहास जरूर पढ़ें |

Mohan

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