Jai Bhim Movie Review in Hindi

Jai Bhim Movie Review in Hindi – जय भीम 90 के दशक की एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है जिसके मुख्य किरदार सेंग्गेनि और राजकंनु है और ये फिल्म इन्ही के इर्द गिर्द घूमती है | ये इरुलुर आदिवासी समुदाय का एक जोड़ा है | 

पुलिस राजकंनु को एक झूठे आरोप में पकड़ लेती है और अचानक वो पुलिस की हिरासत से गायब हो जाता है | उसकी पत्नी सेंग्गेनि अपने पति को ढूंढने के लिए वकील चंद्रु की मदद लेती है | फिर चंद्रु कैसे राजकंनु को ढूंढता है और इस बीच कहानी में क्या क्या नए पन्ने खुलते है, वो देखकर आपकी आत्मा कांप जाएगी | आइये देखते हैं कैसी है ये फिल्म Jai Bhim Movie Review in Hindi.

क्या दिखाया है जय भीम फिल्म में Jai Bhim Movie Real Story in Hindi

Jai bhim movie review in hindi
Jai Bhim Movie Review in Hindi

1995 के समय तमिलनाडु में होने वाले जाती उत्पीड़न को इस फिल्म का विषय बनाया है | पुलिस इरुलूर आदिवासी लोगों पर जो अत्याचार करती थी वो इस फिल्म में दिखाया गया है | फिल्म में जो अत्याचार आदिवासियों के साथ दिखाया गया है वो आज भी उनके साथ होता है | 

फिल्म के पहले ही सीन से हम बंध जाते है और फिल्म में आगे होने वाले घटनाक्रमों के बारे में अंदाज़ा लगा पाते हैं |

जैसे पहले सीन में दिखाया गया है के कैसे जेल से कुछ कैदी रिहा होते हैं, उन सबको उनकी जाति पूछी जाती है | जो निम्न जाती के होते हैं, उन्हें अलग कर दिया जाता है और उन्हें फिर से किसी और केस में फसा कर अंदर भेज दिया जाता है | 

वो ऐसे जुर्म की सजा भुगत रहे होते हैं, या भुगतेंगे जो उन्होंने कभी किया ही नहीं | 

पुलिस वाले अपनी वर्दी पर एक सितारा और लगवाने के लिए उन आदिवासी निर्दोष कैदियों को किसी सुनसान जगह पर ले जाकर फेक एनकाउंटर तक कर देते है | जिससे वो किसी बड़े आदमी द्वारा किया गुनाह भी छुपा देते हैं और सरकार से मेडल और प्रमोशन भी ले लेते है |

अभिनय और निर्देशन Jai Bhim Movie Cast and Direction in Hindi

फिल्म की अच्छी कहानी का होना ही काफी नहीं होता | फिल्म अच्छी तब बनती है जब फिल्म का निर्देशन और फिल्म में अभिनय करने वाले एक्टर उस कहानी के साथ पूर्णत न्याय करें |

इस फिल्म के डायरेक्टर टी.जे ज्ञानवेल हैं और उन्होंने इस का पूरा ध्यान रखा है | फिल्म में साउथ के सुपरस्टार सूर्या ने वकील चंद्रु का किरदार निभाया है | डायरेक्टर ने सूर्या को बाकी किरदारों से अलग नहीं रखा, उसे किसी दूसरे साउथ के एक्टर जैसे हवा नहीं दी बल्कि फिल्म के दूसरे एक्टर्स जैसे ही पेश किया है |

फिल्म में सूर्या के अलावा मणिकंदन और लिजोमोल जैसे बेहतरीन अभिनेता भी हमें इस फिल्म में दिखते है | 

फिल्म में प्रकाश राज जैसे सीनियर एक्टर भी नज़र आते हैं | प्रकाश राज IG बने हैं | प्रकाश राज अपने किरदार के ज़रिये समझते हैं के अगर पुलिस और सिस्टम सही तरीके से काम नहीं करता , अगर वो कानून के हिसाब से काम करे तो देश की आधी से ज्यादा मुसीबतें वैसे ही खत्म हो जाएगी | 

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फिल्म का सबसे जरूरी पहलू Jai Bhim Movie Review in Hindi

फिल्म का नाम जय भीम क्यों है ? ये सवाल आपके मन में भी आया होगा , इसका सीधा जवाब है , फिल्म का नैरेटिव | 

फिल्म के नैरेटिव में डॉक्टर बी आर आंबेडकर जी की आवाज़ सुनाई देती है, वो कहते सुनते हैं के हम छुआछूत को खत्म करना चाहते है और पिछले 2000 सालों से हम यह झेल रहे हैं |

इरुलूर आदिवासी लोगों को आम समाज से दूर रखा जाता है, उन्हें पढ़ाई करने, काम करने की कोई व्यवस्था ही है, सरकार भी उनके लिए कुछ नहीं करती बल्कि कुछ पैसे वाले लोग अपने काले कर्म छुपाने के लिए उन निर्दोष आदिवासी लोगों की बलि दे देते हैं  |

आंबेडकर जी ने कहा था के हम 26 जनवरी 1950 को हम एक नए जीवन में प्रवेश करने जा रहे हैं , एक तरह राजनीति में हमारे पास समानता होगी और आलस जीवन में समाज में हमारे पास असमानता होगी, आर्थिक तौर पर असमानता होगी, अमीर और अमीर होगा और गरीब और गरीब |

जब हम वोट देंगे तब हम एक व्यक्ति के सिद्धांत को वोट देंगे पर असल जीवन में हम एक व्यक्ति के सिद्धांतों को नहीं मानेंगे | 

फिल्म में आंबेडकर जी की यह सब बातें सच होती दिखती हैं |फिल्म ही नहीं आज के हमारे समाज में उनके द्वारा कही हर एक बात सच साबित हुई है | 

आंबेडकर जी खुद भी वकील थे | उन्होंने कानून की मदद से महिलाओं, दलितों, आदिवासियों की जिंदगी को बदल दिया था | उन्होंने उनके जीवन में क्रांति भर दी थी और चंद्रु भी कुछ ऐसा ही करना चाहता है | वो अंबेडकर जी की तरह कानून पर भरोसा करता है | 

फिल्म आपके ऊपर एक गहरा असर डालती है | आपको सोचने पर मजबूर कर देती है के जिस समाज में हम रहते हैं , और वो देखने में जितना सभ्य और खुशहाल दिखाई देता है , असल में वो वैसा बिलकुल भी नहीं है | 

आंकड़ों के मुताबिक हर रोज़ लगभग 100 दलित शोषण के केस दर्ज़ होते हैं और हर रोज़ 10 से अधिक दलित महिलाओं के साथ दुष्कर्म होता है | तो ऐसे में हमारा समाज सभ्य कैसे ? Jai Bhim Movie के माध्यम से समाज के इस वहशीपन को सबके सामने लाया गया है |

जय भीम का विवाद Jai Bhim Movie Controversy in Hindi

फिल्म का विषय ही विवाद वाला है तो फिल्म को तो विवादों में फंसना ही था | फिल्म के एक सीन में एक्टर प्रकाश राज एक व्यक्ति हो हिंदी बोलने पर थप्पड़ मरते हैं और बोलते हैं के तमिल में बोलो | जिसपर लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचा और ट्विटर पर ये ट्रेंड करने लगा के हिंदी बोलने पर आप किसी को थप्पड़ कैसे मार सकते हैं | इस पर लोगों ने ट्वीट करना शुरू कर दिया और ये सीन फिल्म से हटाने की मांग करने लग गए | 

इसके जवाब में फिल्म मेकर्स ने जवाब दिया के थप्पड़ उसे हिंदी बोलने पर नहीं मारा गया, असल में वो व्यक्ति, प्रकाश राज को हिंदी बोलकर कंफ्यूज कर रहा था | ताकि उन्हें उस व्यक्ति की पूरी बात समझ न आये और वो बच कर निकल जाये |

इसलिए प्रकाश राज ने थप्पड़ मारा और तमिल में बोलने को कहा तांकि, किसी तरह की उलझन न हो और प्रकाश राज उस व्यक्ति की पूरी बात आसानी से समझ सके |

जय भीम के चंद्रु असल में जस्टिस चंद्रु है, जिन्होंने लगभग 96000 केस का फैसला किया था | वो मद्रास हाईकोर्ट के जज भी रहे | 

राजकंनु  जैसे केस लड़ने के लिए आंबेडकर जी के भाषण और लिखतों ने चंद्रु जी की बहुत मदद की | 

फिल्म के क्लाइमेक्स में एक मराठी कविता, जय भीम, फिल्म का पूरा सार हमें समझा देती है :

जय भीम मतलब रोशनी, जय भीम मतलब प्यार, 

जय भीम मतलब अंधेरे से रोशनी की यात्रा, जय भीम मतलब करोड़ों लोगों के आंसू

एक बेहरतीन फिल्म को एक्सपीरियंस करने के लिए आप ये फिल्म जरूर  देखें  | ये फिल्म आपको निराश नहीं करेगी बल्कि आपके दिल में हज़ारों सवाल पैदा करेगी और आप उन सवालों के जवाब ढूंढ़ने और न्याय ढूंढ़ने के लिए तड़पेंगे | आशा करते हैं आपको Jai Bhim Movie Review in Hindi पसंद आया होगा |

Rahul Sharma

हमारा नाम है राहुल,अपने सुना ही होगा। रहने वाले हैं पटियाला के। नाजायज़ व्हट्सऐप्प शेयर करने की उम्र में, कलम और कीबोर्ड से खेल रहे हैं। लिखने पर सरकार कोई टैक्स नहीं लगाती है, शौक़ सिर्फ़ कलाकारी का रहा है, जिसे हम समय-समय पर व्यंग्य, आर्टिकल, बायोग्राफीज़ इत्यादि के ज़रिए पूरा कर लेते हैं | हमारी प्रेरणा आरक्षित नहीं है। कोई भी सजीव निर्जीव हमें प्रेरित कर सकती है। जीवन में यही सुख है के दिमाग काबू में है और साँसे चल रही है, बाकी आज कल का ज़माना तो पता ही है |

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