जय भीम फिल्म रिलीज़ हुई और पुरे इंटरनेट पर जस्टिस चंद्रु ट्रेंड करने लगा | जय भीम फिल्म इंडिया की सबसे ज्यादा रेटिंग हासिल करने वाली फिल्म बनी और इसने लोगों का दिल जीत लिया |
एक आदिवासी समाज की समस्यायों को दिखने के साथ साथ पुलिस की बर्बरता को भी बहुत अच्छे तरीके से दिखाया और जिस तरह से अधिवक्ता चंद्रु ने इस केस को लड़ा, उससे आम लोगों के दिलों के अंदर भारत की अदालतों और कानून व्यवस्था पर भरोसा और बढ़ा दिया |

आखिर कौन हैं ये अधिवक्ता चंद्रु जिन्होंने आदिवासी समाज और निम्नवर्ग के लोगों के लिए न्यायमूर्ति का काम किया |
आज हम आपको उसकी जय भीम की कहानी और इसके असली हीरो के बारे में बताएंगे जिनकी मेहनत की वजह से निर्दोष को न्याय मिल पाया और दोषियों को सज़ा|
क्या है जय भीम ?
आखिर जय भीम है क्या ? जय भीम ऐमेज़ॉन पर रिलीज़ हुई एक साउथ इंडियन फिल्म है | इस फिल्म की कहानी इरूलर आदिवासी समुदाय के ऊपर है|
संगेनेनी का पती राजकंनू एक सेठ के घर में सांप पकड़ने जाता है और उसके थोड़ी देर बाद ही उस सेठ के घर चोरी हो जाती है तो पुलिस राजकंनू को चोरी के इलज़ाम में पकड़ कर ले जाती है और उसके साथ बर्बरता वाला असललोक करती है |
पुलिस की हिंसा यहीं खत्म नहीं होती वो राजकंनू की गर्भवती पत्नी और उसके रिश्तेदारों को भी पुलिस स्टेशन में बुरी तरह पीटती है और चोरी के इलज़ाम को कबूल करने के लिए मजबूर करती है पर जो गुनाह उन्होंने किया ही नहीं वो उसे कैसे मान ले|
इसके बाद राजकंनू की पुलिस हिरासत में पुलिस की मार खा खा कर मौत हो जाती है और पुलिस उसकी लाश को ठिकाने लगा देती है | (जय भीम की कहानी विस्तार से यहां पढ़े)
इसके बाद संगेनेनी, एक ऐसे वकील से मिलती है जो उसके पती को निर्दोष साबित करने और उसे ढूंढने की हर एक मुमकिन कोशिश करता है और उस आदिवासी राजकंनू को इंसाफ दिलवाता है और गुनहगारों को सज़ा , ये वकील कोई और नहीं बल्कि जस्टिस चंद्रु थे |
क्या थी कहानी के चंद्रु की कहानी ? Justice Chandru Biography in Hindi
चंद्रु जी का जन्म तमिलनाडु के त्रिचुपल्ली जिले में श्रीरंगम नाम की जगह पर हुआ | अपने कॉलेज दिनों से ही चंद्रु इंसाफ के पुजारी थे और कहीं भी बुरा होता देख खुद को रोक नहीं पाते थे |
ये कॉलेज दिनों से ही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के कार्यकर्ता थे और अपने न्यायमूर्ति वाले व्यवहार के चलते, छात्र आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए इन्हे लोयोला कॉलेज चेन्नई से निकल दिया था और इसके बाद इन्होने मद्रास क्रिश्चन कॉलेज में दाखिला लिया और अपनी पढ़ाई पूरी की |
1973 में इन्होने लॉ कॉलेज में दाखिला लिया पर इनके छात्र नेता होने की वजह से इन्हे कॉलेज हॉस्टल में रहने नहीं दिया गया |
1988 तक इन्होने एक राजनितिक पार्टी CPI के साथ जुड़ कर काम किया | 1988 में इन्हे पार्टी से निकल दिया क्योंकि उस समय श्रीलंकाई ग्रह युद्ध चल रहा था और भारत उसमे हस्त्क्षेप कर रहा था और चंद्रु ने इसका विरोध किया था | इसके बाद चंद्रु ने Row and Reddy नाम की एक लॉ फर्म ज्वाइन कर ली और वहां 8 साल तक काम किया |
अपने इस समय के दौरान चंद्रु ने लगभग पूरा तमिलनाडु घुमा और लोगों से मिले | वो ज्यादातर निम्न दर्ज़े के लोग और आदिवासी समुदायों से मिलते थे और उनके सभ्याचार और उनके बारे में और जानना चाहते थे | वो जाना चाहते थे के जिस समाज में वो रहते हैं क्या उस समाज में इन लोगों के लिए कोई जगह है या नहीं और बाकि दूसरा समाज इनके साथ केसा व्यवहार करता है |
चंद्रु जी ने मद्रास हाई कोर्ट में अपनी वकालत की प्रैक्टिस की और 2006 को उन्हें एडिशनल जज बनाया गया और 2009 को उन्हें स्थायी जज बनाया|
एक दिन में 75-75 केस की सुनवाई करते थे
उन्होंने अपने पूरे जुडिशल करियर में 96000 से भी ज्यादा केसों का फैसला सुनाया था और वो एक दिन में लगभग 75 से ज्यादा केसों की सुनवाई करते थे जो अपने आप में ही एक हैरान कर देने वाली है| न्याय और काम के प्रति उनकी यही निष्ठा को देखते हुए इन्हे भारत का सबसे सम्मानीय जज के रूप में देखा जाता है |
इन्होने सबसे ज्यादा केस जातिवाद के खिलाफ लड़े और ह्यूमन राइट्स के लिए लड़े | इनकी कोशिश रहती थी के किसी निर्दोष को सज़ा न मिले और जिसने गुनाह किया है बेशक वो कोई भी हो उसे सज़ा मिले |
जज के रूप में काम करते हुए उन्होंने कभी भी किसी सिक्योरिटी गार्ड नहीं रखा और कोर्ट में कोई इन्हे मई लार्ड कहे ये भी इन्हे पसंद नहीं था |
2013 में ये रिटायर हुए|
2021 में उन्होंने एक किताब भी लिखी जिसका नाम Listen to My Case!: When Women Approach the Courts of Tamil Nadu है |
जय भीम के चंद्रु जी द्वारा हल किया हुआ सबसे अहम केस है और जबसे ये फिल्म रिलीज़ हुई है तब से लोगों के अंदर जस्टिस चंद्रु के बारे में जानने की इच्छा और बढ़ गयी है |
पर सिर्फ ये केस ही नहीं इसके इलावा भी इन्होने बहुत सारे ऐसे केस हल किये हैं जो आज से पहले कभी नहीं हुए | जैसे 2003 में पुलिस कुछ नाबालिग लड़कों को POTA के तहत गिरफ्तार कर लिया तो के चंद्रु ने ये बताया के नाबालिगों को केवल किशोर न्याय अधिनियम यानी juvenile justice act ही गिरफ्तार किया जा सकता है | यह अपील पुरे भारत में POTA के खिलाफ पहली अपील थी|
जय भीम ने जस्टिस चंद्रु के किरदार को बखूबी पेश किया है | सूर्या शिवकुमार इस फिल्म में चंद्रु की भूमिका निभा रहे हैं | जस्टिस चंद्रु ने हमेशा निम्नवर्ग के लोगों की सहायता की है और कोशिश की है के उन्हें न्याय मिल सके और समाज में उचित जगह मिल सके |
जय भीम जैसे और भी सैंकड़ों केस है जो चंद्रु जी ने हल किये हैं और हम उम्मीद करते हैं के आने वाले समय में हम चंद्रु जी के और केसों पर फ़िल्में देख सकें ताकि दर्शक ऐसी फ़िल्में देख कर जागरूक हो सकें |