चंगेज के पोते कुबलई खान का इतिहास Kublai Khan History in Hindi

इतिहास में ऐसे-ऐसे योद्धा हुए हैं जिनके कारनामे इतने बड़े रहे हैं कि सैंकड़ो साल बीत जाने के बाद भी उन्हें याद किया जाता है।

वहीं, कुछ योद्धा ऐसे भी हुए हैं जो अपने ज़माने के बहुत बड़े योद्धा थे लेकिन हम आप आज उनके बारे में बिल्कुल भी नहीं जानते या कहें कि ना के बराबर जानते हैं।

दुनिया के इतिहास में एक ऐसा ही योद्धा कुबलई खान रहा है। कुबलई खान मंगोल साम्राज्य के पांचवें सबसे बड़े शासक थे । इनका शासन प्रशांत महासागर से लेकर युराल तक और साइबेरिया से आज के समय के अफगानिस्तान तक फैला था।

kublai khan history in hindi
Kublai Khan History in Hindi

कुबलई खान चंगेज़ ख़ान के Grandson यानी चंगेज खान के पोते थे। इन्हें खूबीलई खान के अलावा Son of Sky यानी आसमान के बेटे के नाम से भी जाना जाता था।

हम आपको कुबलई खान के इतिहास के साथ-साथ उनके नाम दर्ज बेशुमार उपलब्धियों के बारे में और इनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ अनसुनी बातों के बारे में भी बताएंगे।

चलिए, अब आगे बढ़ते हैं और कुबलई खान के इतिहास के बारे में जानते हैं |

कुबलई खान का इतिहास Kublai Khan History in Hindi

कुबलई खान का जन्म 1215 मे हुआ था और उनकी मृत्यु 1294 में हुई थी। कुबलई खान ने अपने शासन में कुछ इस तरह के कार्य किए थे जो चंगेज खान भी कभी नहीं कर पाए थे।

चंगेज खान को तो हम सभी जानते हैं और इनका नाम आपने कभी ना कभी जरूर सुना होगा। चंगेज खान एक बहुत बड़े शासक थे। इनके सबसे छोटे बेटे तोलई खान का बेटा कुबलई खान था।

कुबलई खान और उनके भाइयों को उनकी मां सोरगोगतानी बेकि ने बहुत निपुणता से और बहुत देखभाल से  पाला था और पारिवारिक परिस्थितियों पर ऐसा नियंत्रण बनाया था कि आगे चलकर कुबलई खान मंगोल साम्राज्य के बहुत बड़े भू भाग का शासक बन गए।

कुबलई खान जन्म से ही बहुत काबिल थे और ये बात उनके दादा चंगेज खान बेहतर ढंग से समझते थे। यही कारण था कि चंगेज खान ने अपने सभी दरबारियों से यह कह दिया था कि अगर आपको किसी भी तरह की कोई राय लेनी है या फिर आपको कुछ समझ नहीं आ रहा है तो आप कुबलई खान से सलाह मशवरा कर सकते हैं।

चंगेज़ खान ने जब अपने दरबारियों को ये सलाह दी थी, तब कुबलई खान की उम्र महज़ 9 से 10 साल थी।

कुबलई खान की जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा गुमनामी में बिता जब उनके दादा चंगेज खान की 1227 में मृत्यु हो गई।

बड़े भाई का दिया साथ

लेकिन कुबलई खान की जिंदगी में एक बड़ा बदलाव तब आया जब इनके बड़े भाई को हुकूमत मिली, और हुकूमत मिलने के बाद कुबलई खान के बड़े भाई ने उनको एक बड़ी जिम्मेदारी भी सौंपी।

कुबलई खान को कहा गया कि वह चीन की डाली सल्तनत पर विजय प्राप्त करें, और उसके बाद कुबलई खान ने जंग की तैयारी की और इन्हें इसमें विजय भी प्राप्त हुई।

इस जंग के बाद से कुबलई खान को बहुत ज्यादा शोहरत मिली क्योंकि कुबलई ने वहां रहने वाले लोगों पर दया दिखाई और उन सभी की सुरक्षा का भी ध्यान रखा।

यही कारण है कि इस जंग के बाद से कुबलई खान की एक नई शुरुआत हुई।

जंग से वापस आने के बाद कुबलई खान ने ये फैसला किया कि वह अपने बड़े भाई से दूर रहकर खुद किसी दूसरे स्थान पर जाकर शासन करेगा।

इसलिए कुबलई खान ने जंग से तुरंत वापस आकर बीजिंग से 300 किलोमीटर दूर अपने शासन की शुरुआत की।

कुबलई खान ने अपने लिए एक शानदार महल तैयार कराया और उसमें जरूरत के सभी सामान रखें। इस महल के साथ ही कुबलई खान ने बड़ा ही विशाल शिकारगाह भी तैयार किया था जिसमें वह शेर और चीते जैसे जानवर शिकार के लिए रखा करता था।

कुबलई खान के महल बनवाने के बाद उनके बड़े भाई को यह महसूस होने लगा कि कुबलई खान बहुत जल्द बगावत कर देगा।

लेकिन कुबलई खान ने अपने बड़े भाई का यह शक दूर कर दिया जब वह उनसे मिलने उनके महल पहुंचे और उनके सामने अपनी वफादारी साबित की…।

उसके बाद से कुबलई खान के बड़े भाई के मन में जो भी शक था वह दूर हो गया और वह उन पर भरोसा करने लगे।

Ariq Boke को हराकर बना मंगोल सम्राट

उसके बाद कुबलई खान के बड़े भाई ने उन्हें जंग में शामिल होने की सलाह दी। उस समय उनके बड़े भाई संग सल्तनत पर कब्जा करने की तैयारी कर रहे थे और कुबलई खान को भी अपने साथ शामिल होने के लिए कहा।

कुबलई खान ने उनकी बात मानी और एक बड़ी फौज तैयार की और जंग के लिए रवाना हो गए।

इस जंग के बाद कुबलई खान के जीवन में काफी बदलाव आने वाले थे। मगर कुबलई खान को तब तक इन बदलावों के बारे में ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था। मगर जो होना था, वह हुआ…

जंग के दौरान ही अचानक कुबलई खान के बड़े भाई मूंगकी खान की अचानक मृत्यु हो गई, और मंगोल साम्राज्य मुश्किल में आ गया। ऐसी स्थिति में कुबलई खान के छोटे भाई Ariq Boke ने अपने शासक होने का ऐलान किया और उन्होंने कहा कि आज से वह मंगोल साम्राज्य के सम्राट है।

उनके इस फैसले में दरबार के काफी लोग शामिल थे। उनका मानना था कि मूंगकी खान की मृत्यु के बाद उन्हें ही सल्तनत मिलनी चाहिए क्योंकि वह कुबलई खान को ज्यादा पसंद नहीं करते थे।

उनका मानना था कि कुबलई खान मंगोल साम्राज्य के अनुसार कार्य नहीं करता है। बल्कि वह ये मानते थे कि कुबलई चाइना के लोगों जैसा है और उनके रीति रिवाज ही मानता है।

कुबलई खान को जब इस फैसले के बारे में पता लगा तो उन्होंने इससे इंकार कर दिया और Ariq Boke को सम्राट मानने से मना कर दिया।

उनके इस फैसले में उनके एक भाई हलाकू खान भी पूरी तरह साथ थे और वह चाहते थे कि कुबलई खान ही मंगोल साम्राज्य संभाले।

उसके बाद कुबलई खान ने संग सल्तनत, जिसके लिए वह जंग लड़ रहे थे उनसे सुलह कर ली और वहां से वापस आकर अपने भाई Ariq Boke के विरुद्ध जंग की तैयारी में लग गए।

कुबलई खान ने अपने भाई Ariq Boke के विरुद्ध जंग छेड़ दी और इसमें इन्हें बहुत बड़ी विजय भी प्राप्त हुई। उसके बाद Ariq Boke लगभग 3 वर्ष के लिए छुप गया।

3 वर्ष बाद Ariq Boke अपने भाई कुबलई खान के पास वापस लौटे और उन्होंने उनसे क्षमा मांगी। इसके चलते कुबलई खान ने उन्हें मृत्यु तो नहीं दी लेकिन उन्हें हमेशा के लिए नजरबंद रखने का फैसला किया। इसके 2 साल बाद ही Ariq Boke की मृत्यु हो गई।

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युवान सल्तनत की स्थापना

अब कुबलई खान मंगोल साम्राज्य के नए सम्राट बने और धीरे-धीरे इन्होंने अपना साम्राज्य बढ़ाना शुरू किया। इन्होंने कई जंग लड़ी और ज्यादातर जंग में इन्हें जीत प्राप्त हुई।

कुबलई खान की खासियत यह थी कि वह जंग में हमेशा ये ध्यान रखते थे कि जंग में किसी भी तरह से फसल को या फिर वहां पर रहने वाले लोगों को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो और उन्हें नुकसान ना पहुंचे।

इसी रणनीति के साथ में जंग लड़ते थे और इन्हें जंग में सफलता भी मिलती थी। लेकिन संग सल्तनत से इनकी जंग अभी खत्म नहीं हुई। संग सल्तनत इतनी जल्दी हार मानने को तैयार नहीं थी और यही कारण था कि 1279 में कुबलई खान और संग सल्तनत के बीच एक बार फिर जंग हुई और ये जंग पूरी तरह से पानी की नाव पर लड़ी गई थी।

लेकिन तब तक कुबलई खान बहुत ताकतवर हो गया था और उसके पास एक बहुत बड़ी फौजी थी। इसका परिणाम यह निकला कि बहुत कम समय में कुबलई खान की फौज ने संग सल्तनत के सभी सिपाहियों को मार गिराया।

यह देखते हुए उस समय के संग सल्तनत के शासक ने पानी में छलांग लगा दी और उनकी मृत्यु हो गई। उसके बाद कुबलई खान की युवान सल्तनत ने एक और बड़े भूभाग पर कब्जा कर लिया। अब कुबलई के अधिकार क्षेत्र में चीन के अलावा मंगोलिया और रूस के कुछ इलाके भी शामिल थे।

कुछ वर्षों बाद कुबलई खान ने खुद को चीन का सम्राट घोषित कर दिया और खुद को Son of Sky कहा अर्थात वे मानते थे कि वह आसमान के पुत्र हैं।

कुबलाई खान की मृत्यु Kublai Khan Death in Hindi

लेकिन जिस तरह से हर चीज का अंत होता है, कुबलई खान का अंत भी नजदीक आ रहा था…

कुबलई खान ने अपने जीवन में काफी जंग लड़ी और ज्यादातर जंग में उसे जीत भी मिली। लेकिन कुबलई खान अपने निजी जीवन की समस्याओं में बहुत उलझ गया। अचानक उसके बीवी की मृत्यु हो गयी।

इसके बाद कुबलई खान बहुत मायूस रहने लगा। जब तक वह अपनी बीवी की मृत्यु से उभर पाता, उसके कुछ समय बाद ही उसके बेटे की भी मृत्यु हो गई जिससे कुबलई खान बहुत ज्यादा प्यार किया करता था।

पत्नी और बेटे की मौत के बाद से वह बहुत मायूस रहने लगा और बहुत ज्यादा शराब पीने लगा। शराब के साथ-साथ उसके ज्यादा खाने की आदत भी नहीं छुटी। वह लगातार शराब और अधिक खाना खाता रहा। इसके चलते 1294 में कुबलई खान की मृत्यु हो गई।

क्या आप पहले से कुबलई खान के बारे में इतना कुछ जानते थे, कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Robin Mehta

मेरा नाम रोबिन है | मैंने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की थी इसलिए इस ब्लॉग पर मैं इतिहास, सफल लोगों की कहानियाँ और फैक्ट्स आपके साथ साँझा करता हूँ | मुझे ऐसा लगता है कलम में जो ताक़त है वो तलवार में कभी नहीं थी |

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