Murud Janjira Fort History in Hindi – महाराष्ट्र के पास लगे अरब सागर में एक ऐसा किला है जिसे शिवाजी जैसे बड़े बड़े योद्धा से लेकर मुगल और ब्रिटिश भी कभी नही जीत पाए |
शिवाजी महाराज जो एक बहुत बड़े conqueror माने जाते हैं वो भी इस किले की अभेद सुरक्षा को नही भेद पाए |
यहाँ तक की मुगल सेनाएँ, पुर्तगाली, डच और ब्रिटिश सेना भी इस किले को अपने कब्ज़े में नही ले पाई थी |
यह किला महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में एक तटीय गाँव मुरुड में है | इस किले को मुरुड जंजीरा फ़ोर्ट या जंजीरा फ़ोर्ट कहा जाता है |
जंजीरा अरबी भाषा का शब्द है | जिसका अर्थ होता है टापू |
वहीं कुछ लोग इस किले को जल जीरा भी कहते हैं क्यूंकी ये किला चारों ओर से पानी से घिरा हुआ है |
ये किला 350 साल पुराना है और कभी घुटने ना टेकने के कारण इसे अजिंक्या जिसका अर्थ है अजेय भी कहा जाता है |
मुरुड जंजीरा फ़ोर्ट का इतिहास Murud Janjira Fort History in Hindi

मुरुड जंजीरा फ़ोर्ट (किले) का निर्माण
इस किले का निर्माण अहमदनगर के सुलतान के एक मंत्री मलिक अम्बर के देख रेख में बनवाया गया था |
17 वीं शताब्दी में बनाए गये इस किले को पानी ने चारों ओर से घेर रखा है | लेकिन इतने सालों तक पानी के बीच में खड़ा रहने के बाद भी ये किला उसी तरह से खड़ा है |
चारों तरफ से पानी से घिरा होने के कारण इसे आइलैंड फ़ोर्ट या जंजीरा जल दुर्ग भी कहा जाता है |
इस किले की दीवारें 40 फुट उँची हैं | इन उँची दीवारों ने सालों तक इस किले की रक्षा की है | सालों पहले इस तरह से अद्भुत सुरक्षा के किले का निर्माण एक तरह से प्राचीन समय की उन्नत इंजीनियरिंग स्किल्स को दर्शाता है|
छत्रपति शिवाजी महाराज ने 6 बार इस किले को जीतने का प्रयास किया लेकिन हर बार उन्हें असफलता ही मिली| संभाजी महाराज भी इस किले को जीतने में सफल नहीं रहे |
कहते हैं कि एक बार मछुआरों ने खुद को समुंद्री लुटेरों से बचाने के लिए इस टापू पर शरण ली थी | यहीं मछुआरों के मुखिया राम पाटिल ने अहमदनगर सल्तनत के निज़ाम शाह से आज्ञा लेकर लकड़ी से मेधेकोट नाम का लकड़ी का किला बनाया |
लेकिन जब बाद में सलतनत ने मछुआरों से इस किले को खाली करने को कहा गया तो उन्होने इसे खाली करने से मना कर दिया |
इसके बाद अहमदनगर के सेनापति पीरम खान ने एक व्यापारी की वेशभूषा में सैनिकों से भरे जहाज़ लेकर इस किले पर पहुँच कर किले पर कब्जा कर लिया |
बाद में लकड़ी के किले को तुड़वाकर वहाँ पथरों से किले का निर्माण करवाया गया | कहते हैं कि इस किले के निर्माण में 22 वर्ष लगे थे और इसमें 22 सुरक्षा चौकियाँ हैं |
इस किले में कुल 19 बुर्ज हैं | एक समय इस किले में 500 तोपें रखी गयी थी | जिनमें से कुछ तोपों के नाम इस प्रकार हैं कलाल बांगड़ी, लांडाकासम और चावरी |
इस किले में कुल तीन दरवाजे हैं | जिनमें दो मुख्य दरवाजे हैं और एक चोर दरवाजा है | एक दरवाजा पूर्व दिशा में खुलता है तो दूसरा उसके विपरीत समुंद्र में खुलता है |
मीठे पानी की झील
ये किला चारों ओर से समुंद्र के खारे पानी से घिरा हुआ है | लेकिन कहते हैं कि यहाँ मीठे पानी की एक झील है जिससे इस किले और टापू पर मीठा पीने लायक पानी आता है |
ये किला सुरक्षित होने के साथ साथ सुंदर भी है | इस किले में सुंदर मूर्तियाँ पानी के तलब और मक़बरे हैं | इसके गेट पर छह हाथियों और बाघ की मूर्ति बहुत सुन्दर नज़र आती है |
जंजीरा किला कैसे पहुंचे How to Reach Murud Janjira Fort
इस किले में हर साल बहुत से यात्री घूमने के लिए आते हैं | अगर आप इस किले में घूमने जाना चाहते हैं तो मुंबई एयरपोर्ट पर इस किले से 165 किलोमीटर की दूरी पर है |
मुरुड से 122 किलोमीटर की दूरी पर पनवेल रेलवे स्टेशन भी है | आप मुंबई और पुणे से सीधा बस के द्वारा भी यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं |
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