सिनौली से मिले बिना पैरों के महिला कंकाल का रहस्य

Secrets of Sinauli in Hindi – सौ से ज्यादा मानव कंकाल, तीन रथ, सोने के जेवर, तांबे से बनी दर्जनों वस्तुएं, आधुनिक तलवार, शील्ड समेत जरूरत की सैंकड़ों चीजें, और सब की सब कम से कम 4 हजार साल पुरानी,

ये सभी चीजें मिली है उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के सिनौली गांव से | यहाँ मिली चीजों ने Aryan Invasion Theory पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं |

इस गांव में 2005-06 और फिर 2018 में Archeological Survey of India के द्वारा की गई excavation में सैंकड़ों ऐसी चीजें मिली है,

secrets of sinauli in hindi
Secrets of Sinauli in Hindi

जिसने दुनिया में पहले से प्रचलित भारतीय सभ्यता के इतिहास पर सवाल खड़ा कर दिया है, और साथ ही इस Archeological discovery ने कई सारे नए सवाल भी पैदा कर दिए है।

आखिर 4 हजार साल पहले कोई सभ्यता इतनी विकसित कैसे हो गई?  क्या सिनौली गांव से बरामद कंकाल महाभारत काल की सभ्यता के लोगों के है? या ये हड़प्पा सभ्यता के लोगों के हैं ? चलिए फिर आज सिनौली के उन रहस्यों के बारे में जानते हैं जिसने पूरे इतिहास पर संदेह पैदा कर दिया है!

सिनौली का रहस्य Secrets of Sinauli in Hindi

साल 2005, गांव के किसान श्रीराम शर्मा अपने खेत की जुताई कर रहे थे, इसी दौरान श्रीराम शर्मा को मिट्टी के अंदर दबे कंकाल और तांबे के बर्तन दिखे।

उन्होंने तुरंत लोकल मीडिया को इस बारे में सूचना दी और मीडिया के माध्यम से ये ख़बर Archeological Survey of India (ASI) के पास भी पहुंच गई।

ASI की टीम सिनौली पहुंची और खुदाई का काम शुरू हुआ। टीम का नेतृत्व D. V. Sharma कर रहे थे। पहले राउंड की खुदाई कुल 13 महीने तक चली।

इस दौरान टीम को 100 से ज्यादा मानव कंकाल मिले, जो कि एशिया में मिला अब तक का सबसे बड़ा प्राचीन कब्रगाह था। इन सभी कंकालों को ताबूत के बिना ही दफन किया गया था।

इन कंकालों में साल भर के बच्चे से ले कर जवान और बूढ़ों के कंकाल तक शामिल थे। इनमें महिलाएं भी थी। कंकाल के साथ ही कब्रों में रोजमर्रा में उपयोग की जाने वाली कई वस्तुएं भी रखी गई थी।

कब्र में मिली वस्तुओं की संख्या सीमित नहीं थी, लेकिन ध्यान देने वाली बात ये थी कि सभी कब्र में विषम संख्या (3,5,7 इत्यादि) में ही रखी गयी थी |

कंकाल के सिर के पास कटोरी, कमर के नीचे dish-on-stand और पतीला, मिट्टी से बनाई गई छोटी मूर्ति, सोने के कंगन, तांबे की चूड़ियां, गले का हार, चावल, चीनी मिट्टी के खूबसूरत बर्तन और ग्लास  कंकाल के साथ मौजूद थी।

इसके साथ ही तांबे की म्यान में रखी 2 एंटीना तलवारें, एक सीधी लाइन में रखे तीर के नोक के आकार के 35 तांबे के टुकड़े और वायलिन के आकार का तांबे का एक कंटेनर भी मिला।

Carbon dating से पता चला कि ये सारी चीजें लगभग 3815 से 3500 साल पुरानी है। excavation में मिली सारी चीजें Ochre Coloured Pottery culture के थे, जो कि हड़प्पा सभ्यता के समकालीन culture था।

महिलाऐं भी लेती थी युद्धों में भाग Women Secrets of Sinauli in Hindi

13 महीने तक खुदाई चलने के बाद इसे अज्ञात कारणों से रोक दिया गया, लेकिन 2018 में फिर से खुदाई शुरू की गई।

2018 में मार्च से मई महीने के बीच की गई खुदाई में पहले के मुकाबले कई सारी महत्वपूर्ण चीजें मिली।

इस बार की खुदाई में ताबूत के साथ दफन किए गए 3 कंकाल, 4 बिना ताबूत वाले कंकाल, तीन युद्ध रथ, हेलमेट, एंटीना तलवार, सामान्य तलवार, करछुल और खूबसूरत मनका प्राप्त हुए। इन सभी चीजों का निर्माण तांबे से ही किया गया था। इसके अलावा मिट्टी से बने छोटे बड़े बर्तन भी मिले थे।

ASI ने कुल तीन लकड़ी के ताबूत बरामद किए थे। इन ताबूतों में भी वो सारे सामान मौजूद थे जो पहले प्राप्त हो चुके कंकाल में मिले थे। सभी कंकालों के सिर उत्तरी दिशा की ओर थे |

लेकिन इन कंकालों के साथ रखा गया बर्तन इनके सिर से दूर था। साथ ही तांबे का बाकी सामान भी ताबूत के निचले हिस्से में था।

ये तीनों ताबूत खटोले की तरह 4 पैरों पर खड़े थे। पहले ताबूत वाली जगह पर ही 2 रथ भी मिले। रथ और ताबूत को एक ही जगह पर दफन किया गया था।

लकड़ी के ताबूत को 3 mm मोटे तांबे की चादर से ढका गया था। तांबे की चादर के ऊपर खूबसूरत नक्काशियां की गई थी। ताबूत के ढक्कन के ऊपर 8 मानवरूपी चित्र भी बनाए गए थे।

तीसरा रथ दूसरे ताबूत के साथ मिला। इस ताबूत के साथ geometrical patterns से सजा शील्ड, मशाल, एंटीना तलवार, खुदाई का औजार, 100 से ज्यादा मनका, और विभिन्न प्रकार के बर्तन मिले।

तीसरे ताबूत में एक महिला का कंकाल मिला। इस कंकाल के साथ सुलेमानी पत्थर से बना बाजूबंद, दस फूलदान, चार कटोरा, 2 मग और एक एंटीना तलवार मिला।

इसके अलावा कई खूबसूरत और कीमती जेवर, सजावट के सामान और तांबा से बना आईना भी प्राप्त हुआ।

जिस राजसी तौर तरीके और महंगे सामानों के साथ तीनों ताबूतों को दफन किया गया था उससे साफ जाहिर होता है कि इन तीन ताबूतों में दफन लोग समाज में ऊंचा हैसियत रखते रहे होंगे!

सिनौली में excavation से एक और बात साबित हुई कि उस दौर की महिलाएं भी योद्धा हुआ करती थी। जितनी भी महिलाओं के कंकाल प्राप्त हुए हैं, उन सभी के साथ तलवार और तीर कमान भी मिले है।

इससे इस बात को बल मिलता है कि प्राचीन भारत में महिलाएं भी युद्ध में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती थी। लेकिन सबसे हैरानी वाली बात ये थी कि यहां दफन सभी महिलाओं के पैर टखने के पास से कटे हुए थे। दफन से पहले महिलाओं के पैर क्यों काटे जाते थे, ये कोई नहीं जानता! मुमकिन है कि ये उनकी संस्कृति का हिस्सा रहा हो!

रथों का मिलना एक बड़ी खोज

यहां से प्राप्त हुई तमाम चीजों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण खोज तीनों रथ है। इसकी वजह ये है कि Indo-Aryan migration theory के अनुसार भारत में घोड़े Indo-Aryan अपने साथ ले कर आए थे, और उनके भारत आने से पहले यहां घोड़ों का कोई अस्तित्व नहीं था, लेकिन घोड़े से खींचे जाने वाले 4 हजार साल पुराने ये रथ Indo-Aryan migration theory पर सवाल पैदा कर रहे हैं।

ये तीनों रथ लकड़ी के बने हुए थे। ताबूत की तरह इन तीनों रथ को भी पूरी तरह से तांबे की चादर से ढका गया था। हड़प्पा सभ्यता में पाए जाने वाले रथ के मुकाबले इन रथ का आकार छोटा था, जिसमें एक बार में दो व्यक्ति ही सवार हो सकते थे।

लकड़ी से बने पहिए को भी तांबे से ढका गया था, और इसके ऊपर त्रिभुज बनाए गए थे। अर्द्ध वृत्ताकार सीट के फ्रेम का निर्माण भी तांबे की पाइप से किया गया था। सीट के ऊपर छतरी लगाने की जगह भी उपलब्ध थी।

Director of the excavations Sanjay Kumar Manjul के अनुसार ये तीनों युद्ध रथ थे। जो कि कुछ हद तक Indo-Aryan technology से मिलता जुलता है।

भारतीय उपमहाद्वीप में पहली बार किसी खुदाई में रथ मिला है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि जितने भी कंकाल मिले है उन सभी के अंतिम संस्कार का तरीका वैदिक अनुष्ठान से मिलता जुलता है। उन्होंने सिनौली से प्राप्त चीजों को महाभारत से जुड़े होने की संभावना भी जताई है।

सिनौली से मिली एक एक चीज का जांच पड़ताल आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक से की गई है, जिसमें X-Ray, Handheld XRF, 3D scanning, CT scan और drone and Magnetometer survey शामिल है।

यहां से मिली सारी चीजें अपने समय के हिसाब से काफी ज्यादा आधुनिक थे। सिनौली में मिला तांबे का हेलमेट दुनियाका सबसे पुराने हेलमेट में से एक है, तो वहीं लकड़ी को तांबे से ढकने का तरीका विकसित करना और फिर तांबे के ऊपर खूबसूरत नक्काशी इस बात का गवाह है कि ये सभ्यता अपने समय से काफी आगे थी।

यहां से मिले सामानों और हड़प्पा सभ्यता के अंतिम दौर के सामानों के बीच कुछ समानताएं तो हैं, लेकिन Ochre Colored Pottery और लकड़ी के ऊपर लगाए गया तांबा सिनौली को हड़प्पा सभ्यता से अलग करता है।  

ज्यादातर इतिहासकारों का मानना है कि सिनौली एक अलग ही सभ्यता रही होगी जिसका अस्तित्व हड़प्पा सभ्यता के समय ही रहा होगा!

सिनौली गांव में हुई इस खोज के बाद से गांव की 28 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन ASI के कब्जे में आ चुकी है। इस पूरे क्षेत्र को राष्ट्रीय महत्व घोषित कर दिया गया है।

जमीन के मालिक इन जमीनों पर खेती तो कर सकते हैं लेकिन उन्हें किसी निर्माण कार्य की इजाजत नहीं है। वहीं यहां से प्राप्त सभी सामानों को ASI institute में रखा गया है। 

Mohan

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