मानव कम्प्यूटर कंप्यूटर शकुंतला देवी का सफर

Shakuntala Devi Biography in Hindi – आज हम बात कर रहे है ह्यूमन कंप्यूटर शकुंतला देवी जी की | एक दौर ऐसा भी आया था जब, 1980 के दशक में कोई भी विद्यार्थी अगर गणित में अच्छे अंक प्राप्त करता था तो कहा जाता था के ये बड़ा होकर या बड़ी होकर शकुंतला देवी बनेगा या बनेगी |

दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग होते है जो बचपन से ही एक विलक्षण बुद्धि के मालिक होते हैं | ये लोग दुनिया को अपनी मुट्ठी में करने का हौसला रखते हैं और पूरी दुनिया को अपनी प्रतिभा का गुलाम बना लेते हैं |

ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं जो लाख कठिनाईओं के बावजूद भी अपने लक्ष्य से भटकते नहीं हैं और अपनी मंज़िल तक पहुंचने के लिए वो हर संभव और न संभव कोशिश करते हैं और आखिरकार  उस मंज़िल पर पहुंच जाते हैं जिसके उन्होंने सपने देखे थे |

यही जुनून पूरी दुनिया के आगे उनका एक अलग रुतबा कायम करता है और पूरी दुनिया में एक उदाहरण बनता है | ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो छोटी उम्र में ही वो काम कर जाते हैं जिनके लिए लोगों को कई कई वर्षों का इंतज़ार करना पड़ता है | 

भारत में भी ऐसे बहुत सारे विद्वान और ज्ञानी लोगों ने जन्म लिया है जिन्होंने पूरी दुनिया में भारत का नाम ही रोशन नहीं किया बल्कि अपनी खोजों से , अपने ज्ञान से पूरी दुनिया में एक नई क्रांति भी लकेर आये हैं |

शकुंतला देवी ने दिमाग को इस तरह से त्यार किया था के उनके दिमाग के आगे बड़े से बड़े दिमाग भी फेल हो गए थे या हम यूँ भी कह सकते हैं  के उनके अंदर इतनी ज्यादा प्रतिभा थी, इतना ज्यादा हुनर था के उनके हुनर के आगे बड़े से बड़ा प्रतिभाशाली व्यक्ति भी एक छोटे कद का लगता था |

शकुंतला देवी को पूरी दुनिया ह्यूमन कंप्यूटर यानि मानव कंप्यूटर के नाम से जानती है | ऐसा माना जाता है कि वो लाखों की कैलकुलेशन पलक झपकते कर लेती थी इसी वजह से उन्हें मानव कम्प्यूटर कहा जाता था |

कुछ सालों पहले लोग इनके बारे में बहुत काम जानते थे पर जबसे इनके जीवन पर एक फिल्म बनी है तब से आम लोग इन्हे और बेहतर जानने लगे हैं और समझने लगे हैं के कोई भी इंसान पैदाइशी कामयाब नहीं होता,

कामयाब होने के लिए बेहद कड़े संधर्ष और बेहद ही कठिनाई वाले रस्ते से गुज़रना पड़ता है | और यही सीख हमे शकुंतला देवी जी देती है |  पिता जी के साथ गांव मोहल्ले जाकर कार्यक्रम करने से लेकर अपना नाम गिनीज़ बुक में दर्ज़ करवाने तक का सफर बहुत मुश्किल भरा और दिलचस्प था |

शकुंतला देवी की जीवनी Shakuntala Devi Biography in Hindi

जन्म और बचपन

शकुंतला देवी का जन्म एक कन्नड़ परिवार में हुआ था | पिता जी एक रूढ़िवादी किस्म के इंसान थे | इनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में 4 नवम्बर 1929 को हुआ था | इनका परिवार बेहद गरीब था | परिवार में गरीबी होने के कारण ये प्रारम्भिक शिक्षा तक हासिल नहीं कर पायी थी | शुरुआत में जो भी इन्होने सीखा वो सब घर से ही या इधर उधर से सीखा |

घर के हालत ठीक न होने की वजह से और जाती से ब्राह्मण होने की वजह से इनके पिता जी को एक मंदिर के पुजारी के तोर पर काम दिया गया परन्तु पिता जी को मंदिर में बैठ कर पूजा करने के बजाए एक बाजीगर जैसे करतब दिखाना ज्यादा पसंद था | 

इनके पिता जी मंदिर छोड़ कर गांव में करतब दिखने निकल जाते थे | बांस के दो डंडों पर रस्सी बांध कर उसपर चलना , पिता जी का पसंदीदा खेल थे  और इसी के शेयर उन्हें एक सर्कस में नौकरी मिल गयी | शकुंतला देवी बचपन से ही तीक्ष्ण बुद्धि की मालिक थी | उनका दिमाग बचपन में ही दूसरे बच्चों से अधिक तेज़ था | जब वो सिर्फ 3 साल की थी तब वो अपने पिता जी को ताश के खेल में हरा देती थी |

पिता जी को जब इनकी प्रतिभा का पता चला तब उन्होंने लोगों के सामने शकुंतला देवी की प्रतिभा दिखानी शुरू की | उन्होंने अपनी सर्कस छोड़ दी और गांव मोहल्ले जा कर शकुंतला देवी के कार्यकर्म दिखने शुरू किये |

शकुंतला देवी के कार्यक्रम और रोड शो हर जगह  होने लगे | इन्हे अभी तक पहचान नहीं मिली थी पर जब ये 15 साल की  हुई तब इनके ऊपर  राष्ट्रिय स्तर पर पहली बार लोगों का ध्यान गया | और इसी समय के दौरान दुनिया के सबसे बड़े टीवी न्यूज़ नेटवर्क BBC ने इनका एक इंटरव्यू लिया और वो रेडियो पर चला था |

इंटरव्यू में इनसे अंकगणित का सवाल पूछा गया जो दूसरों के मुकाबले मुश्किल था परन्तु शकुंतला देवी ने उसका जवाब बिना किसी देरी के झट से दे दिया और सबसे हैरानी वाली बात यह थी के जो इनसे सवाल पूछ रहा था उसका जवाब गलत था और वो गणना करने के लिए कैलकुलेटर का सहारा ले रहा था और दूसरी तरफ शकुंतला देवी ने सिर्फ अपने दिमाग से उसका सही जवाब दे दिया था | जिसे देख कर पूरी दुनिया हैरान रह गयी थी 

शकुंतला देवी का विवाह

अब तक आधी से ज्यादा दुनिया शकुंतला देवी की प्रतिभा के बारे में जान चुकी थी | अपनी प्रतिभा को दिखने के लिए अब शकुंतला देवी विदेशों में भी जाने लगी थी | 1940 में वो अपने पिता जी के साथ इंग्लैंड चली गयी थी | वहां कुछ समय रहने के बाद वो 1960 में अपने देश वापिस आ गयी और उन्होंने कलकत्ता के एक आइ ऐ एस अधिकारी परितोष बनर्जी से शादी कर ली और उनकी एक बेटी हुई जिसका नाम अनुपमा बनर्जी रखा | 

परितोष के साथ उनका संबंध ज्यादा देर तक नहीं चला | 1979 उनका तलाक हो गया और वो अपनी बेटी को अपने साथ लेकर 1980 में बंगलौर आ गयी | शकुंतला देवी गणित के साथ साथ ज्योतिष विद्या में भी माहिर थी | अक्सर बड़े लोग उनके पास ज्योतिष से जुड़े कामों के सिलसिले में आते रहते थे | बंगलोरे में वो बड़े लोगों के लिए ज्योतिष का काम किया करती थी |

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मानव कंप्यूटर के नाम से प्रसिद्धि

शकुंतला देवी को आज बहुत से लोग मानव कंप्यूटर के नाम से जानते हैं क्योकि उन्होंने विश्व भर में घूम कर कठिन से कठिन सवालों के जवाब बिना किसी उपकरण की सहायता के चंद सेकेंडों में दे दिए थे ऐसा सिर्फ एक ताकतवर कंप्यूटर ही कर सकता था, तभी से इनको मानव कंप्यूटर का नाम दिया |

शकुंतला देवी ने अपने जीवन कल में 50 से ज्यादा देशों की यात्रायें की | उन्होंने अनगिनत बार थिएटर में, रोड शोज में, किसी कार्यक्रम में अपनी प्रतिभा को लोगों के सामने पेश किया था | 1973 में बीबीसी चैनल द्वारा आयोजित एक रेडियो प्रोग्राम जो पूरी दुनिया में सुना जाता था उसका नाम था नेशनवाइड था |

जिसे उस समय के लोकप्रिय रेडियो होस्ट और एक्टर बॉब वेल्लिंग्स पेश करते थे , उस शो के दौरान बॉब वेल्लिंग्स ने शकुंतला देवी से जटिल से जटिल सवाल किये जिनका जवाब शायद कोई बड़े से बड़ा गणितज्ञ न दे पाए परन्तु शकुंतला देवी ने उन सभी सवालों के सही जवाब देकर बॉब वेल्लिंग्स के साथ साथ रेडियो सुनने वाले सभी श्रोताओं और पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था |

पूरी दुनिया अब शकुंतला देवी को देखना पसंद करती थी | विद्यार्थिओं के लिए शकुंतला देवी एक मिसाल बन गयी थी | कॉलेजों में शकुंतला देवी को लेक्चर देने बुलाया जाता था | 

1977 में इन्हे  साउथर्न मेथोडिस्ट विश्वविद्यालय में बुलाया गया झा पर उन्होंने 50 सेकंड में 201 अंकों की संख्या को हल कर 23 वर्गमूल  का बिलकुल सही उत्तर निकला था  उनका मुकाबला यहां पर यूनिवेक नाम के कंप्यूटर से हुआ था जिसने यही गणना करने में 62 सेकंड का समय लगाया था |

1980 में इम्पीरियल कॉलेज, लन्दन में ज्यादा संख्या वाले सवाल का जवाब कुछ सेकंड में दे दिया जिससे शकुंतला देवी का रुतबा और बढ़ गया | कॉलेज द्वारा उन्हें एक बेहद जटिल सवाल दिया गया |

 उन्हें दो 13 अंकों की संख्या-7,686,369,774,870 × 2,465,099,745,779 से गुणा करने को कहा और उन्होंने बिना किसी उपकरण की मदद के 28 सेकंड में इसकी गुना कर दी और जवाब दिया 18,947,668,177,995,426,462,773,730 जो की बिलकुल सही उत्तर था | 1982 में उनका नाम इसी गुना के लिए गिनीज़ बुक में दर्ज़ किया गया | क्योंकि इन्होने ये उत्तर कंप्यूटर से 10 सेकंड पहले ही दे दिया था |

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रचनाएँ

शकुंतला देवी ने अपने अभ्यास से , समाज से जो कुछ भी सीखा उस पुरे तजुर्बे को उन्होंने अपनी किताबों में डालने का प्रयास किया | वो गणितज्ञ के साथ साथ ज्योतिष भी थी और उन्हें खाना बनाने का भी शोक था | उन्होंने ज्योतिष में भी बहुत काम किया है |  उनके द्वारा लिखी कुछ किताबें :

फिगरिंग – द जॉय ऑफ़ नंबर

द वर्ल्ड ऑफ होमो सेक्सुअल

फिगरिंग – द जॉय ऑफ़ नंबर किताब उनकी मानसिक गणनाओं की प्रतिभा के बारे में थी | इस किताब में उन्होंने बताया के वो कैसे इतनी बड़ी संख्या वाले अंको की गणना इतने कम समय में कर लेती हैं |

इसके इलावा उनकी दूसरी किताब भारत की पहली ऐसी किताब थी जो होमोसेक्सुअल जैसे गंभीर विषय पर थी | उन्होंने होमोसेक्सुल लोगों को बहुत नजदीक से देखा है तो वो दुनिया के सामने उनकी मानसिक और सामाजिक दशा पेश करना चाहती थी | इसके इलावा उन्होंने बहुत साडी किताबें ज्योतिष के बारे में भी लिखी |

पुरुस्कार

मानव कंप्यूटर को पुरे जीवन काल में लोगों का बहुत प्यार मिला | वो जहां भी जाते लोग उनके पीछे आ जाते और उनकी प्रतिभा को देख कर हैरान और प्रभावित होते | उन्हें बहुत सारे पुरुस्कारों से नवाज़ा गया |

1970 में उन्हें  फिलिपिंस विश्वविद्यालय द्वारा “वर्ष की विशेष महिला” के साथ साथ गोल्ड मैडल भी दिया गया 

1988 में इन्हे वाशिंगटन डीसी में भारत के ही महान गणितज्ञ रामानुजन के नाम पर “रामानुजन मैथमेटिकल जीनियस अवार्ड” दिया गया |

इनकी प्रतिभा को 1982 में गिनीज़ बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में दर्ज़ किया गया |

2013 में इन्हे लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाज़ा गया |

हाल ही में कुछ समय पहले बॉलीवुड में इनके जीवन के ऊपर एक फिल्म भी बनी है जिसे लोगों द्वारा खूब पसंद किया गया |

शकुंतला देवी की मृत्यु

शकुंतला देवी ने अपने जीवन में बहुत  संघर्ष   किया और कितनी ही मुसीबतों के बाद उन्हें पूरी दुनिया के द्वारा मानव कंप्यूटर का नाम दिया गया | जब वो 83 साल की उम्र में आई तो उन्हें हृदय की बीमारी हो गयी और उनके गुर्दे भी खराब हो गए जिससे 2013 में उनकी मृत्यु हो गयी |

शकुंतला देवी एक महान विद्वान थी | उन्होंने बहुत छोटे दर्ज़े से शुरुआत की और वो उस मुकाम तक पहुंची जहाँ आज उन्हें पूरा विश्व जनता है | यहां तक के दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक गूगल ने भी इनके जन्मदिन पर इनको श्रद्धांजलि दी थी | शकुंतला देवी ने जीवन में ऐसी चीजों को बहुत करीब से देखा है जो हर किसी के जीवन में नहीं होती | 

पिता जी का सर्कस में काम करना , अपनी जान दांव पर लगा कर लोगों का मनोरंजन करना और अपना पेट भरना | शकुंतला देवी ने भी पढ़ाई करने की उम्र में पिता जी के कहे अनुसार काम करना शुरू कर दिया था | और एक बहुत लम्बा रास्ता तय करके कामयाबी की मंज़िल तक पहुंची थी | 

आज बेशक शकुंतला देवी हमारे बीच नहीं रहे पर उनकी यादें हमेशा हमारे बीच रहेगी | उनके द्वारा कंप्यूटर से भी तेज़ दिए गए जवाब हमारे बीच हमेशा रहेंगे | आज भी शकुंतला देवी लाखों ही विद्यार्थिओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत्र हैं और कितने ही विद्यार्थी उनके दिखये रस्ते पर चलते हैं | 

विश्वभर में सुपर कंप्यूटर से भी तेज़ गणना करने वाली इस विद्वान को हम शत शत नमन करते है |

Rahul Sharma

हमारा नाम है राहुल,अपने सुना ही होगा। रहने वाले हैं पटियाला के। नाजायज़ व्हट्सऐप्प शेयर करने की उम्र में, कलम और कीबोर्ड से खेल रहे हैं। लिखने पर सरकार कोई टैक्स नहीं लगाती है, शौक़ सिर्फ़ कलाकारी का रहा है, जिसे हम समय-समय पर व्यंग्य, आर्टिकल, बायोग्राफीज़ इत्यादि के ज़रिए पूरा कर लेते हैं | हमारी प्रेरणा आरक्षित नहीं है। कोई भी सजीव निर्जीव हमें प्रेरित कर सकती है। जीवन में यही सुख है के दिमाग काबू में है और साँसे चल रही है, बाकी आज कल का ज़माना तो पता ही है |

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