सूडान का इतिहास

दोस्तों आज हम आपको सूडान का इतिहास बताने वाले हैं जो कि कई सालों तक गृह युद्ध की चपेट में रहा | आंतरिक युद्ध झेलते हुए सालों तक वह आजाद नहीं हो सका, ना ही विकास की ओर बढ़ सका और जब आगे बढ़ने का वक्त आया तो इस देश के दो टुकड़े हो गए और फिर ये देश और पीछे जाते हुए फिर से गृह युद्ध की आग में झुलसने लगा।

सूडान, Northeast Africa में स्थित दुनिया का 15वां सबसे बड़ा देश है। प्रचुर मात्रा में तेल का भंडार मौजूद होने के बावजूद ये देश अराजकता, बदहाली और तंगदस्ती का शिकार बना हुआ है |

आखिर ऐसा क्यों है? इसके पीछे की वजह को समझने के लिए हमें सूडान के इतिहास को समझना होगा | तो चलिए फिर इस लेख में हम सूडान के इतिहास के बारे में जानते हैं |

कर्मा किंगडम से हुई शुरुवात Sudan History in Hindi

सूडान का इतिहास
सूडान का इतिहास

सूडानी सरजमीं दुनिया के उन चुनिंदा जगहों में शामिल है जहां सबसे पहले इंसानों ने अपनी बस्ती बसाई थी। इस देश में 5 हजार साल से भी ज्यादा समय से इंसानी आबादी आबाद रही है।

इस देश में 2500 बीसी से 1500 बीसी के बीच Kingdom of Kerma की हुकूमत रही है।

Kerma इस साम्राज्य की राजधानी थी। Kerma में ही दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक Kerma culture विकसित हुई थी। ये प्राचीन शहर Nubia region का largest archaeological sites है, जहां पर दशकों से Archeologists excavations and research में लगे हुए है |

1500 बीसी के आसपास सूडान Egyptian New Kingdom के कब्जे में चला गया। इस साम्राज्य ने सूडान पर 1070 बीसी तक हुकूमत की।

Egyptian New Kingdom के टूटने के बाद 725 बीसी में Kingdom of Kush के शासन की शुरुआत हुई। Kingdom of Kush के शासन के दौरान सूडान ने काफी समृद्धि हासिल की थी। इस दौरान Kush साम्राज्य ने लगभग एक सदी के लिए Egypt को भी अपने नियंत्रण में ले लिया था।

350 AD में Kingdom of Kush के पतन के बाद सूडान के मूल निवासी Nubians ने 3 Christian kingdoms Nobatia, Makuria और Alodia की स्थापना की, इन तीनों में से दो साम्राज्य Makuria और Alodia 15वीं शताब्दी तक सूडान में हुकूमत करते रहे!

14वीं और 15वीं शताब्दी के बीच सूडान में काफी सारे Arab nomads आ कर बसने लगे।

16वीं से 19वीं शताब्दी के बीच central और eastern Sudan में Funj sultanate, west Sudan में Darfur Sultanate, और North Sudan में Ottoman Empire की हुकूमत कायम रही।

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अग्रेजों का अधिकार British Rule in Sudan

19वीं सदी में सूडान का इतिहास बदल गया और इजिप्ट के Muhammad Ali dynasty ने सूडान के तीनों साम्राज्यों को हरा कर पूरे सूडान में Egypt की हुकूमत कायम कर दी। Egyptian rule के दौरान ही सूडान का modern borders तय हुआ, और इसी दौरान इस देश में political, agricultural, and economic development भी शुरू हुए।

1879 से 1882 के बीच Egypt में हुए Urabi Revolution ने Egypt के राजतंत्र की शक्तियों को काफी कमजोर कर दिया। इस कमजोरी का फायदा उठाते हुए अंग्रेजों ने Egypt पर कब्ज़ा कर लिया।

इसी दौरान religious-nationalist ने सूडान में भी Mahdist Revolt की शुरुआत कर दी। इस विद्रोह के परिणामस्वरूप Muhammad Ahmad के नेतृत्व में सूडान में ओमदुरमन खिलाफत की स्थापना हुई।

इस खिलाफत को सत्ता से बेदखल करने के लिए ब्रिटिश और Egypt की सेना ने मिल कर ओमदुरमन खिलाफत के खिलाफ युद्ध लड़ा, और इस खिलाफत को हराते हुए सूडान में फिर से Egypt की हुकूमत कायम हो गई।

हालांकि Egypt अब खुद ब्रिटेन के कब्जे में था, ऐसे में अंग्रेजों को ये ग्वारा नहीं था कि जिस देश पर वो कब्जा कर के बैठा हो, वो देश खुद किसी दूसरे देश पर शासन करता हो! जिसके बाद उसने Egypt पर दबाव बनाना शुरू किया और Finally 1899 में सूडान में भी अंग्रेजों का अधिकार कायम हो गया।

अंग्रेजों से आजादी Freedom From Britain

अंग्रेजों के कब्जे में रहने के कुछ साल बाद ही दोनों देशों के लोगों को आजादी का मतलब समझ में आने लगा, और फिर दोनों देशों में अंग्रेजों से आजादी की मुहिम की शुरुआत हो गई।

Egypt के पहले राष्ट्रपति Muhammad Naguib का जन्म और परवरिश सूडान में ही हुआ था। स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व करते हुए इन्होंने दोनों देशों की आजादी की मांग करते हुए ये भी घोषणा की कि अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद सूडान भी एक अलग देश बनेगा।

1952 में शुरू हुए Egyptian Revolution के बाद 1953 में Egypt को अंग्रेजों से आजादी मिल गई, और फिर एक साल के अंदर ही एक जनवरी 1953 को सूडान भी एक स्वतंत्र देश बन गया।

आजादी के बाद किसी भी देश के हालत बेहतर होते हैं, और उस देश के नागरिकों की जिंदगी में बेहतर बदलाव आते है, लेकिन सूडान और सूडान के नागरिकों के लिए इस आजादी का उल्टा परिणाम देखने को मिला। आजादी के बाद ये देश बर्बादी की ओर अग्रसर हो गया, और यहां के नागरिकों की जिंदगी बद से बदतर होती चली गई।

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आज़ादी के बाद गृह युद्धों की शुरुवात

आजादी मिलने के बाद सूडान में चुनाव का आयोजन किया गया‌। Democratic parliament का गठन किया गया और Ismail al-Azhari को देश का पहला प्रधानमंत्री चुना गया।

Ismail 1954 से 1956 तक सूडान के प्रधानमंत्री के पद पर रहे। 1965 में वह सूडान के तीसरे राष्ट्रपति भी बने, और 1969 तक इस पद पर रहे।

1969 में सूडान की आर्मी ने कर्नल Gaafar Nimeiry के नेतृत्व में तख्तापलट कर दिया। तख्तापलट के बाद Gaafar Nimeiry सूडान के प्रधानमंत्री बन गए। इनकी तानाशाही हुकूमत शुरू होने के साथ ही इन्होंने parliament को समाप्त कर दिया और सारी पॉलिटिकल पार्टियों पर प्रतिबंध लगा दिया।

Gaafar Nimeiry ने सूडान में इस्लामिक हुकूमत लागू कर दी, जिससे नाॅर्थ सूडान में रहने वाले मुसलमान और साउथ सूडान में रहने वाले क्रिश्चियन के बीच विवाद होने लगा, Eventually यही छोटा मोटा विवाद बड़े गृह युद्ध की वजह बन गया।

यह गृह युद्ध मुख्य रूप से नॉर्थ सूडान के National Islamic Front के द्वारा समर्थित सरकारी फोर्स और साउथ सूडान के विद्रोही ग्रुप Sudan People’s Liberation Army के बीच था।

1989 में Colonel Omar al-Bashir ने सूडान में फिर से तख्तापलट कर दिया और सत्ता पर काबिज हो गया। 1989 से 2019 तक सूडान में Omar al-Bashir के नेतृत्व में सैन्य तानाशाही हुकूमत चलती रही। अपने 30 सालों के तानाशाही में Omar al-Bashir ने अपने देश के नागरिकों खासकर अल्पसंख्यकों के ऊपर काफी ज्यादा जुल्म किया।

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साउथ सूडान के उदय से बदला सूडान का इतिहास

इसके ऊपर मानवाधिकारों का हनन, वैश्विक आतंकवाद का समर्थन, अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न, और 2003 के युद्ध में जाति के आधार पर नरसंहार समेत अनेकों आरोप इसके ऊपर लगते रहे हैं।

Omar al-Bashir के पूरे 30 साल की तानाशाही के दौरान सूडान में लगभग 4 लाख लोग मारे गए थे।

Gaafar Nimeiry के शासनकाल के दौरान ही शुरू हुए नॉर्थ और साउथ सूडान के समूहों के बीच गृह युद्ध दिन-ब-दिन हिंसक रूप लेता रहा। Omar al-Bashir के शासन में आने के बाद अल्पसंख्यकों के ऊपर अत्याचार बढ़ा तो फिर साउथ सूडान के क्रिश्चन लोगों ने साउथ सूडान को एक अलग देश बनाने का फैसला किया।

2010 में Army of Sudan और Sudan Revolutionary Front के बीच तेल के विशाल भंडार वाले क्षेत्र Abyei पर कब्जा करने को लेकर युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध के फलस्वरुप साउथ सूडान को सूडान से आजादी मिल गई और साउथ सूडान दुनिया का एक नया देश बन गया।

25 अक्टूबर 2021 को फिर सैन्य तख्तापलट

Omar al-Bashir की तानाशाही के खिलाफ 2018 में सूडान के नागरिकों का गुस्सा फूट पड़ा, और आखिरकार 30 साल के लंबे शासन के बाद Omar al-Bashir को सत्ता से बेदखल होना पड़ा।

Omar al-Bashir के बाद Power Transitionary Military Council के हाथों में आ गई। बाद में इस काउंसिल ने सत्ता की चाभी mixed civilian–military Sovereignty Council और civilian prime minister Abdalla Hamdok के हाथों में सौंप दी।

इस बदलाव के साथ ही सूडान में तब्दीली की उम्मीद जताई जाने लगी थी, लेकिन दो साल के अंदर ही सूडान में फिर से तख्तापलट हो गया।

इसी साल अक्टूबर महीने में General Abdel Fattah al-Burhan के नेतृत्व में आर्मी ने तख्तापलट कर दिया। प्रधानमंत्री Abdalla Hamdok को सत्ता से बेदखल करते हुए देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी गई है |

इस तख्तापलट के साथ ही ये देश उसी स्थिति में पहुंच चुका है, जहां से निकलने की उम्मीद में इस देश के नागरिकों ने दशकों बीता दिए हैं |

गृह युद्ध, तख्तापलट और तानशाही ने इस देश का ऐसा हाल कर रखा है कि संसाधन होने के बावजूद इस देश के नागरिक अराजकता, बदहाली और तंगदस्ती में अपनी जिंदगी बसर करने को मजबूर है!

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Robin Mehta

मेरा नाम रोबिन है | मैंने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की थी इसलिए इस ब्लॉग पर मैं इतिहास, सफल लोगों की कहानियाँ और फैक्ट्स आपके साथ साँझा करता हूँ | मुझे ऐसा लगता है कलम में जो ताक़त है वो तलवार में कभी नहीं थी |

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