मिस्त्र के फ़राओ तूतनखामेन का इतिहास और श्राप

मिस्त्र का इतिहास बड़े बड़े रोमांचक किस्सों से भरा पड़ा है | क्लियोपैट्रा जैसी कातिल हसीना, मिस्त्र की मम्मी और तूतनखामेन जैसे राजाओं की कहानियां हमारा ध्यान अपनी ओर खींचती हैं | आइये आपको बताते हैं Tutankhamun History in Hindi language.

तूतनखामेन नाम सुनने में ऐसे लगता है जैसे कोई बहुत विराट और ताक़तवर राजा होगा | लेकिन सच ये हैं कि वो एक बच्चा था जो छोटी सी उम्र में राजा बन गया था | जिसकी मौत भी बहुत छोटी सी आयु में हो गयी थी |

तूतनखामेन को king tut या हिंदी में राजा तुत भी कहा जाता था | उसे तूतनख़ामुन (Tutankhamun), तूतनखामेन (Tutankhamen) और तुतनखातेन (Tutankhaten) जैसे नामों से भी जाना जाता है |

कहा जाता है कि उसका असली नाम तुतनखातेन था | तुतनखातेन का अर्थ होता है सूर्य का जीवित प्रतिरूप | लेकिन उसने अपने समय में सूर्य की पूजा की प्रथा को छोड़कर चन्द्रमा की पूजा की प्रथा शुरू की |

इसलिए उसका नाम भी तुतनखातेन से बदलकर तूतनखामेन (tutankhamen) यानि चन्द्रमा का जीवित प्रतिरूप रखा गया |

तूतनखामेन आज इसलिए इतना ज्यादा प्रसिद्ध क्यूंकि खोजकर्ताओं ने जितने भी मम्मी या मकबरे खोजे | उनमें से इस राजा की मम्मी और उसके साथ रखा गया अधिकतर सामान सही सलामत हालत में मिला |

साथ ही इसका मकबरा खोदते हुए बहुत से लोगों की मौत भी हो गयी थी | जिसे तूतनखामेन के श्राप से जोड़कर देखा जाता है |

आइये जानते हैं तूतनखामेन की पूरी कहानी |

तूतनखामेन का इतिहास Tutankhamun History in Hindi

tutankhamun history in hindi
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तूतनख़ामुन ने मिस्त्र पर 1333-1323 ईसा पूर्व तक लगभग 10 सालों तक राज किया था | तूतनख़ामुन के पिता अखेनातेन (Akhenaten) थे |

तूतनख़ामुन मिस्त्र के 18 वें राजवंश का 12 वां राजा था | मिस्त्र में राजा को फिरौन (pharaoh) कहा जाता था | तूतनखामेन के पिता अखेनातेन सूर्य की पूजा करते थे |

(जो कि मिस्त्र की सदियों पुरानी धार्मिक प्रणाली थी |) मिस्त्र के लोग बहुत से देवी देवताओं की पूजा किया करते थे | लेकिन अखेनातेन ने पुराने रिवाजों को बदलकर सिर्फ सूर्य की पूजा की प्रथा शुरु की |

अखेनातेन ने मिस्त्र की राजधानी को थेबेस (Thebes) से बदलकर अमरना कर दिया था |

पिता अखेनातेन की मृत्यु के बाद तूतनखामेन 9 साल की आयु में राजा बन गया था | हालाँकि उसके फिरौन बनने से पहले दो फिरौन ने मिस्त्र का राज अस्थाई तौर पर संभाला था |

तूतनखामेन ने राजा बनने के बाद अपने पिता के द्वारा किये गए कार्यों को बदल दिया | उसने सूर्य की पूजा के बजाए चाँद की पूजा की प्रथा शुरू की | इसके अलावा उसने धार्मिक राजधानी को भी बदलकर फिर से थेबेस कर दिया |

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तूतनखामेन का पत्नी Tutankhamun Wife

मिस्त्र की प्रथा के अनुसार तूतनखामेन ने अपनी सौतेली बहन अंखसुनामन (Ankhesenamun) से विवाह कर लिया | 2010 में छपी डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट के अनुसार उसके माता पिता भी भाई – बहन थे |

तूतनखामेन की मम्मी से और दूसरे सूत्रों के अनुसार उसकी रीड की हड्डी में कुछ समस्या थी | उसे तीरदांजी करते हुए भी बैठे हुए दिखाया गया है | उसकी लम्बाई अधिक थी लेकिन वो एक बीमार फराहो था |

कहते हैं कि अपने ही परिवार में शादी करने की वजह से मिस्त्र के राजाओं में बहुत सी शारीरिक समस्याएं होती थी जो की तूतनखामेन को भी थी |

तूतनखामेन की मौत Tutankhamun Death

तूतनखामेन की मृत्यु के बारे में अलग अलग तर्क दिए जाते रहे हैं | पहले रिसर्च करने वाले लोगों का मानना था कि उसकी मृत्यु उसकी टांग में लगी चोट में गेंगरीन की वजह से हुई |

बाद में उसकी मम्मी की रिसर्च में सामने आया कि उसकी खोपड़ी के पीछे एक सुराख़ था | जिससे ये अनुमान लगाया कि उसकी हत्या की गयी होगी |

लेकिन फिर माना गया कि ये सुराख़ संभवत उसकी मम्मी बनाने के तरीके को सही ढंग से नहीं करने की वजह से बना होगा |

जबकि डीएनए की ताजा जांच से पता चला कि उसकी मृत्यु मलेरिया इन्फेक्शन की वजह से हुई थी |

तूतनखामेन का श्राप Tutankhamun Curse

मिस्त्र में मकबरों को चोर लुटेरों से बचाने के लिए उनपर श्राप लिख दिए जाते थे | ऐसा ही एक श्राप तूतनखामेन के मकबरे पर भी लिखा था | उसपर लिखा था कि “राजा की शांति भंग करने वाले के लिए मौत आएगी” |

कुछ ऐसा ही हुआ जब मकबरे की खोज में पैसा लगाने वाले लॉर्ड कार्नारवॉन की मच्छर काटने से मौत हो गयी | कुछ ओर रहस्यमई मौतों के बाद श्राप की इस बात को बहुत ज्यादा बल मिला |

लोगों को लगने लगा की सच में वो श्राप काम कर गया | लेकिन कुछ समय में मकबरे की खोज का काम पूरा हुआ |

Mohan

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