वीर लोरिक चंदा की प्रेम कहानी

veer lorik chanda story hindi

अगर आप उत्तर भारत से हैं तो अपने Veer Lorik के बारे में सुना होगा | अगर नहीं तो जानिए कौन था Veer Lorik जिसने अपनी तलवार के एक ही प्रहार से एक विशाल पहाड़ के दो टुकड़े कर दिए थे |

ये पहाड़ आज भी मौजूद हैं जिसे Veer Lorik stone के नाम से जाना जाता है | वीर लोरिक का जन्म उत्तरप्रदेश में एक क्षत्रिय यदुवंशी अहीर परिवार में हुआ था | वीर लोरिक को कुछ लोग राजा भोज का वंशज भी मानते हैं |

वीर लोरिक एक बलशाली और साहसी योद्धा था | ऐतिहासिक कहानियों के अनुसार वीर लोरिक की ऊंचाई 8 फुट और शरीर भीमकाय था | कहा जाता है कि उसकी तलवार का वजन 85 मन था |

उत्तरप्रदेश के सोनभद्र जिले की सोन नदी के किनारे अघोरी नाम का एक राज्य था | उस राज्य का राजा मोलागत था जो एक क्रूर राजा था | अघोरी के राजा मोलागत के राज में मेहर नाम का एक अहीर रहता था | मेहर की सातवीं संतान का नाम मंजरी था |

वीर लोरिक चंदा का विवाह

मंजरी पर मोलागत की बुरी नज़र पड़ जाती है वो उसे अपने साथ अपने महल में ले जाना चाहता था | उस समय वीर लोरिक की वीरता के बहुत चर्चे थे | मंजरी के पिता ने सोचा कि अगर लोरिक से मंजरी का विवाह कर दिया जाए तो उसे मोलागत से बचाया जा सकता है |

वीर लोरिक से मजरी के विवाह की घोषणा कर दी जाती है | लोरिक भी जानता था कि उसका विवाह मंजरी से रोकने के लिए मोलागत पूरी कोशिश करेगा | जनश्रुतियों की माने तो लॉरिक देवी का बहुत बड़ा भक्त था | कुछ जगह तो उसमें अद्भुत शक्तियाँ होने की बात भी कही गई है |

मंजरी (चंदा) से विवाह के लिए लोरिक बारातियों के साथ सोनभद्र में सोन नदी के तट पर आ जाता है | राजा मोलागत ने लोरिक को रोकने के लिए एक बड़ी सेना भेजी | सोन नदी के किनारे मोलागत और लोरिक की सेनाएं आमने सामने थी |

ये भी पढ़ें:

इस जगह पर लोरिक और मोलागत के बीच भयंकर युद्ध हुआ | कहा जाता है इस लड़ाई में नाले का रंग लाल हो गया था आज भी उस नाले को रुधिरा नाले के नाम से जाना जाता है | उसी जगह पर नर मुंडों का ढेर लग गया था और आज भी उस जगह को नारगढ़वा के नाम से जाना जाता है |

इस लड़ाई में वीर लोरिक की वीरता की एक ओर कहानी भी सुनने को मिलती है जिसके अनुसार इस लड़ाई में इनरावत नाम का हाथी भी मारा गया था |

कहा जाता है कि इनरावत नाम के हाथी को लोरिक अपने मुक्के के प्रहार से ही मार डालता है और उसे नदी में फैंक देता है |

इस तरह जनश्रुतियों में लोरिक को हाथी से अधिक शक्तिशाली बताया गया है | लोरिक ने इस लड़ाई में जीत हासिल की और राजा मोलागत मारा गया |

इस तरह से लोरिक और चन्दा की प्रेम कहानी पूरी होती है | लोरिक चंदा की प्रेम कहानी उत्तरप्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ में बहुत प्रसिद्ध है |

जब चंदा विवाह के बाद लोरिक के साथ जाने लगती है तो वो लॉरिक को कुछ ऐसा करने को कहती है जिससे आने वाले लोग उन्हें हमेशा याद रखें | चंदा लोरिक को एक चट्टान दिखाते हुए कहती है कि अपनी शमशीर से इस चट्टान के दो टुकड़े कर दो ताकि ये आने वाली पीढ़ियों के लिए एक यादगार बन जाए |

इसके बाद लोरिक अपनी 85 मन की तलवार से एक ही वार में उस चट्टान के दो टुकड़े कर देता है | ये चट्टान आज भी मौजूद है और जहाँ प्रेम करने अक्सर पहुँचते हैं |

आपने हीर रांझा और लैला मजनू की प्रेम कहानियाँ सुनी होंगी | लोरिक और चंदा की कहानी भी एक प्रेम कहानी थी |

लोरिकायन नमक कृति में लोरिक पहाड़ के बारे में वर्णन है | वीर लोरिक की इस कहानी का उल्लेख अलग अलग जगह पर अलग ढंग से किया गया है | लेकिन क्या ये कहानी मात्र कल्पना है या इसमें कुछ सच्चाई भी है | अगर आप इसके बारे में अधिक जानते हैं तो आप अजब गजब फैक्ट्स के दर्शकों के साथ ज़रूर शेयर करें |

Mohan

I love to write about facts and history. You can follow me on Facebook and Twitter

Leave a Comment