क्यों दी जाती है विजय हज़ारे ट्रॉफी Vijay Hazare Trophy Facts in Hindi

क्रिकेट के प्रति भारतियों का प्यार किसी से छुपा नहीं है। भारत में क्रिकेट को एक धर्म माना जाता है। जब भी भारतीय टीम कोई ट्रॉफी जीतती है तो उसे मोके को क्रिकेट प्रेमी एक त्यौहार की तरह मनाते है और हम आपको यह भी बता दें के भारतीय क्रिकेट बोर्ड यानी BCCI दुनिया की सबसे बड़ी और अमीर क्रिकेट एसोसिएशन है। भारतीय क्रिकेट टीम ने अपना पहला टेस्ट मैच 1932 को लंदन में खेला था और वो भी इंग्लैंड के विरुद्ध। 

Vijay Hazare Trophy Facts in Hindi
Vijay Hazare Trophy Facts in Hindi

आज पुरे देश में हर साल हज़ारों की क्रिकेट ट्रॉफी मैच करवाए जाते हैं। जैसे ICC, T20, रणजी ट्रॉफी, दुलीप ट्रॉफी, IPL इत्यादि।  पर आज हम जिस ट्रॉफी की बात करने जा रहे है उसका नाम है विजय हज़ारे ट्रॉफी। 

कौन था विजय हज़ारे ? Who was Vijay Hazare?

विजय हज़ारे एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर थे जिनका जन्म 1915 को सांगली, महाराष्ट्र में हुआ था। ऐसा कहा जाता था के जब विजय हज़ारे का मैच होता था तो लोग दूर दूर से उसे देखने आते थे और स्टेडियम पूरी तरह भर जाता था।

आज भी लोग विजय हज़रा को याद करते हैं क्योंकि उन्होंने केवल 4 मैचों में ही 1000 रन बना दिए थे। 1947 – 48 में जब भारतीय क्रिकेट टीम पहली बार विदेशी दौरे पर गयी थी ऑस्ट्रेलिया में तो उस समय विजय हज़रा जी ने हर रक इनिंग में सेंचुरी बना कर पूरी दुनिया का ध्यान अपनी और खिंच लिया था। 

हालाँकि इस सीरीज में भारतीय टीम जीत नहीं सकी पर विजय हज़रा का खेल देख कर बड़े से बड़ा खिलाडी उनका फैन हो गया था। 

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क्रिकेट में बनाए नए रिकॉर्ड 

विजय हज़रा को बचपन से ही क्रिकेट का शोक था। शुरुआत में हज़रा एक मध्यम पेसर के रूप में खेलते थे। देवास के राजा विक्रम सिंह जी ने ऑस्ट्रेलियन बॉलर Clarrie Grimmett को हज़ारे की स्पिनं सुधरने की जिम्मेवारी दी पर Clarrie ने हज़रा को बॉलिंग से ज्यादा बैटिंग पर ध्यान देने को कहा क्योंकि विजय बैटिंग में बहुत कमल करते थे। 

हज़रा ने 1934 में अपना रणजी ट्रॉफी डेब्यू किया और 1937 में लॉर्ड टेनीसन की तरफ से लाहौर में हुए टेस्ट मैच में भारत का परिनिध्त्व किया। साल 1933 में वो पुणे में हुए मैच में MCC के खिलाफ महाराष्ट्र की टीम से खेले। 

1946 में लॉर्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ खेल कर उन्होंने अपने टेस्ट मैच के करियर को शुरू किया। इस पुरे टेस्ट मैथ टूर में हज़रा ने 1300 से अधिक रन बनाये और 56 विकेट ली। 

इसके साथ ही विजय हज़रा जी ने क्रिकेट के मैदान में बहुत सारे रिकॉर्ड बनाये हैं। वो पहले ऐसे भारतीय क्रिकेट प्लेयर बने हैं जिन्होंने तीन टेस्ट मैचों में लगातार सेंचुरी बनाई है। 

एक दौर ऐसा भी आया था जब पूरी दुनिया में जंग का आलम था और पूरी दुनिया विश्व युद्ध 2 की आग में जल रही थी।  उस समय केवल विजय हज़ारा जी ही थे जिन्होंने भारत जैसे देश में क्रिकेट को जिन्दा रखा। 

1947 को भारतीय क्रिकेट इतिहास में कुछ ऐसा हुआ और एक ऐसा रिकॉर्ड बना जिसे तोड़ पाना मुश्किल हो गया। विजय हज़ारा और गुल मोहमद बड़ोदा में रणजी ट्रॉफी का फाइनल मैच खेल रहे थे तो इन दोनों दिग्गज खिलाडियों ने इस मैच में 577 रनों की साझेदारी की जो एक रिकॉर्ड थी और इसे 2006 तक कोई भी तोड़ नहीं पाया थ। 2006 में कुमार संग्रकर्ता और महेला जयवर्धने ने 624 रन बना कर ये रिकॉर्ड तोडा था। 

विजय हज़ारा एक बढ़िया बैट्समैन थे और वो बॉलर नहीं थे पर फिर भी उन्होंने 1947-48 में डॉन ब्रैडमैन जैसे दिग्गज खिलाडी को 2 बार अपनी बॉलिंग से आउट कर दिया था। 

विजय हज़ारा जी एक अल्ल्रौन्देर प्लेयर थे और उन्होंने भारतीय क्रिकेट का नाम रोशन किया था और भारतीय टीम को मजबूती दी थी। 

विजय हज़ारा ट्रॉफी की शुरुआत Vijay Hazare Trophy Facts in Hindi 

1952 के समय भारत इतिहास के पन्नों पर एक और जीत दर्ज़ हुई। ये जीत थी भारतीय क्रिकेट टीम की। 1952 में चेन्नई में हुए टेस्ट मैच सीरीज में भारत ने पहली जीत हासिल की इंग्लैंड को हरा कर। विजय हज़ारा ट्रॉफी को रणजी वन डे ट्रॉफी भी कहा जाता है।  इसकी शुरुआत 2002-2003 में हुई थी।  

इस ट्रॉफी में ओवरों की गिनती बहुत सीमित होती है। 

कर्नाटका और तमिलनाडु राज्यों की टीमों ने विजय हज़ारा ट्रॉफी को सबसे ज्यादा बार जीता है और 2021 में हुए ट्रॉफी सीरीज मैच में मुंबई ने जीत हासिल की है। तिलक वर्मा, ऋषि धवन, राहुल दलाल, देवदत्त पडिकल, पृथ्वी शॉ  इस ट्रॉफी के कुछ जाने माने खिलाडी है। 

विजय हज़ारे ट्रॉफी राष्ट्र स्तर पर खेली जाने वाली ट्रॉफी है। ये सिर्फ राज्यों के बीच ही खेली जाती है। विजय हज़ारा जी भारतीय क्रिकेट के एक ऐसे खिलाडी थें जिन्होंने भारत में और भारत के लोगों के अंदर विश्व युद्ध जैसी कठिन स्थिति में भी क्रिकेट को जगा कर रखा और क्रिकेट के लिए लोगों को दीवाना बनाने के पीछे इनका बहुत बड़ा हाथ है। 

विजय हज़ारा जी की मृत्यु दिसंबर 2004 में 89 साल की उम्र में हुई थी। 

आज भी क्रिकेट के फैन विजय जी का नाम उतनी की इज़्ज़त से लेते हैं जितनी इज़्ज़त से बाकि दूसरे खिलाडियों का लिया जाता है।

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Rahul Sharma

हमारा नाम है राहुल,अपने सुना ही होगा। रहने वाले हैं पटियाला के। नाजायज़ व्हट्सऐप्प शेयर करने की उम्र में, कलम और कीबोर्ड से खेल रहे हैं। लिखने पर सरकार कोई टैक्स नहीं लगाती है, शौक़ सिर्फ़ कलाकारी का रहा है, जिसे हम समय-समय पर व्यंग्य, आर्टिकल, बायोग्राफीज़ इत्यादि के ज़रिए पूरा कर लेते हैं | हमारी प्रेरणा आरक्षित नहीं है। कोई भी सजीव निर्जीव हमें प्रेरित कर सकती है। जीवन में यही सुख है के दिमाग काबू में है और साँसे चल रही है, बाकी आज कल का ज़माना तो पता ही है |

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