अगर मुग़ल भारत नहीं आते तो हिन्दुस्तान कैसा होता | क्या हिन्दुस्तान ने मुगलों की गुलामी को सहा है या मुगलों ने भारत को सांस्कृतिक और व्यापारिक रूप से समृद्ध बनाने का काम भी किया है |
अगर बाबर पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को नहीं हरा पाता तो क्या भारत में किसी हिंदू सम्राट का राज होता | मुगलों के भारत आने की कहानी बाबर की महत्वकांक्षाओं के साथ शुरू हुई थी |

इसके अलावा इब्राहिम लोदी से रिश्ते खराब होने की वजह से दौलत ख़ान और राणा सांगा ने बाबर को भारत आने का निमंत्रण भी दिया था |
बाबर एक जबरदस्त मिलिटरी जनरल था | वो चंगेज ख़ान और तैमूर जैसे विजेताओं का वंशज था | अपने पिता की मृत्यु के बाद बाबर 12 वर्ष की आयु में ही फ़र्गना का सशक बन गया था |
14 साल की उमर में ही उसने एक दूसरे शहर पर कब्जा कर लिया था | लड़ते और जीतते हुए वो अब भारत की और आगे बढ़ रहा था | अब उसका मकसद भारत पर कब्जा करना था |
1526 में बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हरा कर दिल्ली से मुगल साम्राज्य की स्थापना की थी |
वो भी दूसरे बहुत से आक्रमणकारियों नादिर शाह, अब्दाली और तैमूर की तरह ही भारत को लूटने और जीतने के इरादे से ही आया था लेकिन भारत की खुशहाली और समृद्धि को देखकर उसने भारत में ही रहने का निर्णय किया |
मुगलों ने भारत पर 300 सालों तक राज किया है और उन्होने भारत को बहुत कुछ दिया भी है | भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर में उनका बहुत योगदान रहा है |
1526 में बाबर से शुरू होकर हुमायूँ, अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ और 1707 में औरंगजेब तक भारत में मुगल पुरे भारत पर अपना अधिकार कर चुके थे |
भारत को एक सूत्र में पिरोया था

उस समय के हिन्दुस्तान में मुगल साम्राज्य भारत, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान तक फैला हुआ था | लेकिन औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य का पतन शुरू हो गया था |
जब भारत में मुगल राज की शुरुवात हुई थी उस समय भारत छोटी छोटी रियासतों में बंटा हुआ था | इन सभी रियासतों में आपस में संघर्ष चलते रहते थे
क्यूंकी ये सभी रियासतें आज के भारत की तरह एक सूत्र में नहीं बँधी थी |
जिसका फायदा उठाकर भारत पर समय समय पर विदेशी आक्रमणकारी हमले करते रहते थे | इसी आपसी फुट का लाभ उठाकर मुगलों ने भारत में अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी |
उस समय भारत को एक सूत्र में पिरोने का काम अगर किसी ने किया था तो वो मुगल ही थे | पुरे भारत को एक करने के बाद अब भारत पहले की अपेक्षा बाहरी आक्रमणकारियों से अधिक सुरक्षित हो चुका था |
लेकिन भारत को एक सूत्र में पिरोने का लक्ष्य आसान नहीं था क्यूंकी इसे आप मुगलों की महत्वकाँक्षाओं से भी जोड़कर देख सकते हैं |
भय और मोहब्बत से भारत में मुग़लों ने किया राज

भारतीय रियासतों के लिए मुगलों के अधीन हो जाना स्वैच्छिक नहीं था | दक्षिण में मराठा, उत्तर में सिख और राजपूतो ने मुगलों का डट कर मुकाबला किया |
मुगलों ने अपने दुश्मनो को कुचलने का काम जारी रखा उन्होने डर और भय से भी शासन चलाने की परंपरा शुरू की | इसी के चलते कुछ राजपूतों ने संघर्ष का मार्ग ना चुनकर मुगलों की अधीनता को स्वीकार कर लिया |
बहुत से मुगलों ने भारतीय राजाओं के साथ संधियाँ करने के लिए उनके परिवारों की लड़कियों के साथ शादियाँ की |
1857 की क्रांति में भी राजपूत शासको ने मुगलों के साथ अपने पारिवारिक संबंधों के चलते ही कमजोर मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र को भारत का बादशाह मानकर उसके साथ उस क्रांति में भाग लिया था |
मुग़ल भारत में आए ज़रूर आक्रमणकारियों की तरह थे लेकिन बाद में वो भारत में भारतीय बनकर ही रहे | उन्होने अपनी पहचान को भारत की परम्पराओ और संस्कृति के साथ इस तरह से मिला लिया जिसे कभी अलग नहीं जा सकता |
अकबर और उसके बाद के सभी मुगल शासक भारत की ज़मीन पर ही पैदा हुए थे यही नहीं बहुत से मुगलो की मातायें राजपूत स्त्रियाँ भी थी | इसलिए मुगलों को विदेशी कहना और उन्हें भारतीय ना मानना सही नहीं होगा |
इस तरह से हम कह सकते हैं कि अगर मुग़ल भारत नहीं आते तो हो सकता है कि भारत आज बहुत से छोटे छोटे देशों में बंटा होता | मुगलों ने भारत को एकजुट करने का काम किया था |
इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं कि आज केंद्र की तरफ से राज्यों से जीएसटी इकठ्ठा किया जाता है और बाद में राज्यों को दिया जाता है इससे केंद्र का राज्यों पर नियंत्रण बढ़ जाता है और सभी राज्य एकजुट रहते हैं |
क्रूरता और धर्मनिपेक्षता

मुग़ल शासको के साथ कुछ दूसरे राजाओं की बहुत सी कड़वी यादें भी जुड़ी हैं | जहाँ औरंगजेब के समय में धर्म परिवर्तन की कहानियाँ और हिंदू और सिखों पर अत्याचार ने मुगल शासको के प्रति नफ़रत को बढ़ाया वहीं अकबर जैसे मुगल शासको ने रामायण और महाभारत के दूसरी भाषाओ में अनुवाद को बढ़ावा दिया |
अकबर ने सभी धर्मों को मिलाकर एक धर्म बनाया था जिसे “दिन-ए-इलाही” कहा जाता था | जिससे अकबर ने सभी धर्मों के साथ सौहार्द बनाने और नफ़रत को कम करने की कोशिश की थी |
दारा शिकोह ने उपनिषदों का फ़ारसी में अनुवाद करवा कर इसे आगे बढ़ाया | ताकि मुस्लिम स्कॉलर्स भी उपनिषदों का अध्ययन कर सकें | फ़ारसी में अनुवाद किए गये उपनिषदों को सिर्र-ए-अकबर (यानी दी ग्रेटेस्ट मिस्टरी) भी कहा जाता है |
फ़ारसी में अनुवाद किए गये इन उपनिषदों को फ्रांसिस बर्नियर के द्वारा फ्रांस ले जाया गया, जिन्हें बाद में अनेकिटेल देपेर्रों (Anquetil Deperron) ने फ्रेंच और लैटिन में अनुवाद किया |
इसके बाद लैटिन भाषा में अनुवाद किए उपनिषद् जर्मन फिलोसफेर स्षोपन्षॉयार (Schopenhauer) के पास पहुँचे जो इनसे बहुत प्रभावित हुआ और उसने इन्हें “The Solace of his life” कहा |
इस तरह युरोपियन विचारकों में भी पोस्ट वैदिक संस्कृत साहित्य को लेकर रूचि बढ़ी | इस तरह कुछ मुग़ल शासको ने सभी धर्मों का सम्मान किया तो औरंगजेब जैसे कुछ कट्टर शासको ने इस्लाम की एक दूसरी ही छवि पेश की |
औरंगजेब के किए गये कामों को आधार बना कर आज भी हिंदू और मुसलमान धर्म के समान्य लोगों में नफ़रत का जहर घोल जाता है | इसलिए आप ये भी कह सकते हैं की अगर मुग़ल भारत नहीं आते तो भारत में हिंदू और मुसलमानो में सौहार्द को आसानी से नहीं बिगाड़ा जा सकता था |
क्यूंकी मुगलों के भारत में आने से पहले भी हिंदू और मुसलमान मिल जुल कर रहा करते थे |
हिन्दुस्तान का अर्थ नहीं है हिन्दू राष्ट्र
आज देश में बहुत जगह ये बहस चलती है की भारत हिंदू राष्ट्र है क्यूंकी भारत का नाम हिन्दुस्तान है वैसे भारत का ऑफिसियल नाम हिन्दुस्तान नहीं है भारत का ऑफिसियल नाम इंडिया या भारत है |
वैसे भी हिन्दुस्तान का मतलब हिंदुओं का देश नहीं है जैसा की आज के समय में जन मानस के दिल में बैठा हुआ है इसी को आधार बना कर लोगों के मन में
इस बात को बैठाया जाता है कि हिन्दुस्तान का मतलब हिन्दुओ का देश है |लेकिन ऐसा नहीं है जब फ़ारसी लोग हिन्दुस्तान में आए थे वो सिंधु नदी को अपनी फ़ारसी ज़ुबान में हिंदू बोलने लगे थे, और इस नदी और इसके पार के इलाक़े को हिन्दुस्तान कहकर पुकारने लगे और इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को हिंदू कहा जाने लगा |
Darius I ने जब सिंधु घाटी पर अपना अधिकार कर लिया था तो उसने सिंधु नदी के पीछे वाली भूमि को हिन्दुस्तान कहकर पुकारा था | इसलिए हिन्दुस्तान का मतलब है भारत की सरजमी और हिंदू का अर्थ है इस ज़मीन पर रहने वाला हर व्यक्ति |
इसे धर्म से बाद में जोड़ा गया और अगर वो भी आप जानना चाहते हैं तो आप हमें कॉमेंट करके बतायें |
अब मुगल शब्द के बारे में जानते हैं मुगल शब्द फ़ारसी भाषा का शब्द है जिसे मंगोलों के लिए इस्तेमाल किया जाता था | मंगोल मध्य एशिया की एक जनजाति थी इसी जनजाति के नाम पर आज के मंगोलिया देश का नाम पड़ा है |
भारत को बनाया था सबसे अमीर
मुगलों ने भारत की समृद्धि के लिए बहुत कुछ किया उन्होने भारत को दुनिया का सबसे अमीर देश बना दिया था | भारत इतने सालों तक अँग्रेज़ों का गुलाम रहने के बावजूद दुनिया की 5वीं एकॉनमी बन चुका है और एक समय ऐसा भी था जब भारत को सोने की चिड़ियाँ कहा जाता था |
व्यापार को बढ़ाने में मुगलों का अहम योगदान रहा है मुगलों ने भारत में ट्रेड को बढाने के लिए सड़कों का निर्माण करवाया, नदियों और समुद्र में
जहाज़ चलवाए गये साथ ही बड़े बड़े बंदरगाह बनवाए गये | ट्रेड को बढ़ाने के लिए बहुत से बेकार के टैक्सेस को ख़तम किया गया |
जिससे उस समय भारत के बने हुए सामान जिनमें कॉटन का कपड़ा, नमक, मसाले, सिल्क और वूलेन के कपड़े भारत से बाहर एक्सपोर्ट किये जाने लगे |
जिससे भारत में रह रहे हिंदू धर्म के लोगों को बहुत फायदा हुआ | क्यूंकी व्यापार का बहुत ज़्यादा हिस्सा हिंदू व्यापारियों के हाथ में था | जिससे व्यापार के बढ़ने से हिंदुओं की समृद्धि हो रही थी |
हालाँकि बहुत बड़े बड़े सैन्य और प्रशासनिक पदों पर मुसलमान ही थे | मुगल बादशाह अकबर के कुशल प्रशासनिक नेतृत्व की वजह से व्यापार को बहुतबढ़ावा मिला था |
बादशाह अकबर ने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए टैक्स में बहुत छूट दी इसी छूट का बाद में अँग्रेज़ों ने ग़लत फायदा उठाया और इसे मुगलों और भारत के खिलाफ हथियार की तरह से इस्तेमाल किया |
16वीं से 18वीं शताब्दी के बीच मुगल साम्राज्य अपने शबाब पर था | उस समय में मुगल दुनिया के सबसे अमीर और सबसे ताक़तवर शासक थे | मुगलों की शानो शौकत को देखकर 17वीं शताब्दी में भारत आए फ्रांसीसी यात्री फ्रांसिस बर्नियर ने कहा था “दुनिया के हर कोने से सोना और चाँदी हिन्दुस्तान में आ गये हैं“
उस समय मुगल सल्तनत के सबसे अमीर होने का कारण पुर भारत से इकठ्ठा किया जाने वाला कर था उस समय में लोगों को कृषि, पानी और यहाँ तक की धर्म के नाम पर भी कर देना पड़ता था |
हालाँकि अकबर ने धर्म के नाम पर लिए जाने वाले टैक्स यानी जजिया कर को ख़तम कर दिया था | लेकिन अगर मुग़ल भारत नहीं आते तो भारत दुनिया का सबसे अमीर देश जो बड़ी तेजी से विकास कर रहा था नहीं बना होता |
अंग्रेजों ने मचाई थी अलसी लूट
भारत में समान्य जन में ये धारणा है कि मुगलों ने भारत को लूटा लेकिन भारत में असली लूट अँग्रेज़ों ने मचाई थी |
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत पर अधिकार जमाने के बाद 1870 में ही भारत की जीडीपी पुरे विशव की जीडीपी का 12.25% ही रह गयी थी |
जबकि 17वीं शताब्दी में भारत 24.44 % के साथ विश्व में पहले नंबर पर था | इस तरह मुगल शासन में भारत धन के मामले में पुर विशव में पहले नंबर पर था
हालाँकि 1000 ऐ.डी. तक ही भारत दुनिया में सबसे अमीर देश था और पूरी दुनिया की जीडीपी में भारत का शेयर 28.9% था लेकिन उस समय भारत की इस अर्थव्यवस्था की विकास दर नहीं के बराबर थी |
स्मारकों से मिला टूरिज्म को फायदा

मुगल काल में इस अर्थव्यवस्था को रफ़्तार मिली थी | मुगलों ने भारत में बहुत निवेश किया है उन्होने भारत में बहुत से समारकों में बहुत धन लगाया अगर मुगल भारत में ना आए होते तो शायद 2019 में ट्रेवल और टूरिसम सेक्टर भारत की जीडीपी में 108.3 बिलियन यु एस डॉलर्स का सहयोग नहीं कर पता |
मुगलों के द्वारा बनाए गये मीनारों और दूसरे स्मारकों को देखने के लिए हर साल लाखों लोग भारत आते हैं जिससे भारत को बहुत जॉब्स और धन का लाभ होता है |
प्यार की निशानी ताज महल की चर्चा दुनिया के हर कोने में होती है जिसे 1632 में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज़ महल की याद मेंबनवाया था |
जब भी कोई बड़े देश का मेहमान भारत आता है तो वो भी ताज महल को देखने ज़रूर पहुँचता है | ताज महल भारत में देशी विदेशी सैलानियों के लिए सबसे ज़्यादा पसंदीदा स्थान है | भारत सरकार ने लोकसभा में माना की ताज महल की सालाना औसतन टिकट बिक्री की कीमत 21 करोड़ से ज़्यादा है |
इसके अलावा दिल्ली सल्तनत के पहले सुल्तान क़ुतब-ऐ-दिन-ऐबक के द्वारा बनवाए गये क़ुतुब मीनार कॉंप्लेक्स से 10 करोड़ की कमाई होती है | साथ ही शाहजहाँ के द्वारा बनवाए गये लाल किले और हुमायूँ के मक़बरे से भी 6 करोड़ की कमाई होती है |
इस तरह से आप कह सकते हैं की अगर मुग़ल भारत नहीं आते तो भारत के पास लाल किला, आगरा का किला और दुनिया भर में प्रसिद्ध ताज महल नहीं होता |
मुगलों ने कला और शिल्प में भी अपना योगदान दिया था चाहे वो शानदार पैंटिंग की बात हो या फिर बुनाई और दूसरे मेटल वर्क्स हों | ब्रिटिश और इंडियन म्यूजियम में रखे मुगल काल के हीरे, पेंटिंग्स, कला और शिल्प से जुड़ी चीज़ें इस बात की प्रमाण हैं की मुगलों ने इस क्षेत्र में भी अपना अहम योगदान दिया था |
मुगलों ने भारत को खाने के कई व्यंजनो से भी परिचित करवाया जिसमें बिरयानी, कीमा और कबाब जैसे व्यंजन लोगों के पसंदीदा हैं | यही नहीं मुगलों ने भारत को लड़ने वाले नये हथियारों से भी अवगत करवाया |
नए हथियारों से करवाया रूबरू
पानीपत की पहली लड़ाई में बाबर ने भारत में पहली बार किसी जंग में तोपों का इस्तेमाल किया था | इस तरह मुगलों ने भारत को नये हथियारों और रणनीतियों से अवगत करवाया था |
मुगल काल में भारत में सबसे ज़्यादा हथियारों बनाए जाते थे और भारत से दुनिया भर के देशों में ये सप्लाइ किए जाते थे तो दोस्तों मुगलों ने भारत को बहुत समृद्ध करने का काम किया था |
मुगलों के बाद अँग्रेज़ों ने असल में भारत को लूटने का काम किया था | अँग्रेज़ों ने भारत में इतनी लूट मचाई थी जो इतिहास में पहले किसी ने नहीं मचाई होगी | अंग्रेज भारत से बहुत कुछ लूट कर ले गये थे जिनमें कोहिनूर जैसे हीरे भी शामिल हैं |
तो दोस्तों अगर मुग़ल भारत नहीं आते तो ज़रूरी नहीं की भारत पर किसी हिंदू राजा का अधिकार होता, हो सकता है की भारत अलग अलग रियासतों में बंटा रहता और अंग्रेज और भी आसानी से भारत पर कब्जा कर लेते |
लेकिन उस समय के हिसाब से जिन रियासतों ने जो किया वो उनके लिए सबसे सही कदम थे चाहे वो शिवाजी महाराज का सपना हो या सिख साम्राज्य के विकास का महाराणा रणजीत सिंह का सपना |
लेकिन आज के समय में हमें आपस में मिल जुल कर रहना होगा क्यूंकी आज संविधान के हिसाब से हम सब भारतीय हैं और सबको समान अधिकार प्राप्त है |
इतिहास की किताबों से कुछ चैप्टर्स हटा देने से इतिहास बदला नही जा सकता | इतिहास के सभी पहलुओं को समझना और जानना सबके लिए ज़रूरी है |