रुस्तम ए हिंद The Great Gama

दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे पहलवान के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने हमारे देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया | आइए आपको बताते हैं The Great Gama Pehalwan History in Hindi.

इस पहलवान को रुस्तम ए हिंद और The Great Gama के नाम से भी जाना जाता था |

गामा पहलवान का पूरा नाम गुलाम मोहम्मद था | उनका जन्म 22 मई 1878 को अमृतसर में हुआ था |

उनके पिता मुहम्मद अजीज बक्श भी एक पहलवान थे | इसलिए पहलवानी इनके खून में थी | जब गामा सिर्फ़ 6 वर्ष के थे तब इनके पिता का देहांत हो गया था |

इसके बाद गामा को पहलवानी के गुर उनके चाचा इदा ने सिखाए थे | जब गामा केवल 10 साल का था तब जोधपुर के राजा ने कुश्ती का आयोजन करवाया | 10 साल का छोटा सा पहलवान अपनी फुर्ती और ताक़त के बल पर पहले 15 पहलवानो में चुना गया था |

लेकिन सिर्फ़ 10 साल की उमर में इतना अच्छा प्रदर्शन करने की वजह से उन्हें विजयी घोषित कर दिया गया |

गामा पहलवान की कहानी Gama Pehalwan History in Hindi

the great gama pehalwan history in hindi

गामा पहलवान की डाइट और ट्रेनिंग Gama Pehalwan Diet

मध्य प्रदेश के दतिया के राजा भवानीसिंह गामा के पिता को बहुत अच्छे से जानते थे | उस समय राजाओं के दरबारों में कुश्तियां होती थी |

उन्होने गामा और उनके भाई को अपने यहाँ पहलवानी के लिए रख लिया और गामा को अपने पहलवानो से ट्रैनिंग भी दिलवाई |

गामा सख़्त ट्रैनिंग करते थे, वो दिन में 5000 दंड और 3000 पुश अप्स किया करते थे |

गामा इतनी सख़्त ट्रैनिंग ही नहीं किया करते थे, बल्कि उनकी डाइट भी बहुत ज़्यादा थी |

वो दिन में 10 लीटर दूध, 6 किलो चिकन, आधा लीटर घी, 100 रोटी और बादाम व जूस पी जाया करते थे |

रुस्तम ए हिंद का खिताब Rustam e Hind Gama Pehlwan

अभी तक हमने आपको बताया कि गामा एक जबरदस्त पहलवान था | लेकिन गामा की हाइट कम थी वो सिर्फ़ 5 फीट 7 इंच के थे |

जब गामा सिर्फ़ 17 साल का था तो उसने भारत के सबसे बड़े पहलवान रुस्तम-ए-हिन्द रहीम बक्श सुल्तानीवाला को चैलेंज कर दिया |

रहीम बक्श की लंबाई 6 फुट 9 इंच थी वो गामा से करीब 2 फुट लंबा था | सबको लग रहा था कि रहीम बक्श आसानी से गामा को हरा देगा | लेकिन गामा ने जबरदस्त कुश्ती लड़ी और दोनो के बीच पहला मुकाबला ड्रॉ रहा |

1895 में भारत के सबसे बड़े पहलवान के साथ 17 साल के लड़के ने जो कुश्ती लड़ी उससे पूरे भारत में गामा प्रसिद्ध हो गया |

1910 में एक बार फिर से गामा का मुकाबला रहीम बक्श से हुआ | अभी तक गामा कोई भी कुश्ती नही हारा था बल्कि उसने दतिया के गुलाम मोहिउद्दीन, इंदौर के अली बाबा सेन, भोपाल के प्रताब सिंह और मुल्तान के हसन बक्श को हराया था |

लेकिन गामा और रहीम बक्श के बीच हुआ ये मुकाबला भी टाई रहा |

विश्व विजेता का ख़िताब

देश में अपने नाम का परचम लहराने के बाद गामा ब्रिटेन के पहलवानो से लड़ने पहुँचा | लेकिन कम हाइट की वजह से उसे वेस्टर्न फाइटिंग में शामिल करने से मना कर दिया गया |

तब गामा ने सभी पहलवानो को चैलेंज किया कि वो किसी भी भार वर्ग के 3 पहलवानो को 30 मिनट में पटखनी दे सकता है |

किसी ने उसकी चुनौती स्वीकार नही की | बाद में अमेरिका के पहलवान बैंजामिन रोलर ने गामा की चुनोती स्वीकार कर ली |

पहली फाइट में सिर्फ़ 1 मिनट 40 सेकेण्ड में गामा ने रोलर को पछाड़ दिया |

दूसरी फाइट में 9 मिनट और 10 सेकंड में गामा पहलवान ने रोलर को पूरी तरह से हरा दिया |

उससे अगले दिन गामा ने 12 पहलवानो को हराकर टूर्नामेंट में आधिकारिक रूप से प्रवेश किया |

10 सितंबर 1910 को लंदन में गामा का मुकाबला विश्व विजेता पोलैंड के स्टेनिस्लास जबिस्को से हुआ | इस मुक़ाबले में जीत का मतलब था ‘जॉन बुल बेल्ट’ यानी विश्व विजेता का खिताब |

मुकाबला शुरू होने के एक मिनट के भीतर ही गामा ने जबिस्को को पटक दिया था | ये मुकाबला 2 घंटे 35 मिनट तक चला | लेकिन कोई भी मुकाबला नही जीत पाया और मुक़ाबले को ड्रॉ करार दे दिया गया |

19 सितम्बर को दोबारा मैच की तारीख घोषित की गयी | लेकिन जबिस्को गामा से लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा सका |

और वो मैच लड़ने ही नहीं आया इसलिए गामा को विजेता मान लिया गया | इस तरह गामा वर्ल्ड हेवीवेट चैंपियन बन गया |

गामा विश्व विजेता बन चुका था लेकिन रुस्तम ए हिंद का खिताब वो नहीं जीता था | 1911 में एक बार फिर से गामा का मुकाबला रहीम बक्श से हुआ |

इस बार गामा ने रहीम बक्श को हराकर रुस्तम ए हिंद का खिताब अपने नाम कर लिया |

गामा पहलवान की मृत्यु Gama Pehlwan Death

गामा ने अपने जीवन में एक भी फाइट नही हारी थी जैसा कि हमें सभी सोर्सेज से पता चला है |

उन्होने अपनी आख़िरी लड़ाई 1927 में स्वीडन के पहलवान जेस पीटरसन से लड़ी |

गामा पहलवान ने 50 साल तक कुश्ती लड़ी और 1952 में इस खेल से सन्यास ले लिया |

भारत पाकिस्तान बँटवारे के बाद गामा पाकिस्तान में रह गये | कहते हैं कि उनके आख़िरी दिन ग़रीबी और बीमारी से जूझते हुए निकले थे |

उस समय पटियाला के राजा और बिड़ला ग्रूप ने भी गामा की मदद की पेशकस की थी | लेकिन ज़्यादा देर होने की वजह से 22 मई 1960 को गामा पहलवान की लाहौर में मौत हो गयी थी |

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Mohan

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