Subrata Roy Biography in Hindi स्कूटर से प्लेन और जेल का सफर

एक आदमी जिसने मात्र 2000 रुपए की इंवेस्टमेंट से शुरू की एक कंपनी, जिसने इस कदर लोगों का भरोसा जीता कि देश की करीब ग्यारह प्रतिशत जनसंख्या इसके scam की शिकार हो गयी.

भरोसा भी ऐसा कि लोग लगातार 30 सालों तक इस आदमी को पैसे देते रहे |

हम बात कर रहे हैं कुछ साल पहले तक खुद को भारत की आम जनता का सहारा बताने वाले, सहारा इंडिया कंपनी के मालिक सुब्रत रॉय सहारा की |

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सुब्रत रॉय की कहानी भी कमाल की है. क्योंकि इन्होंने महज 2000 रुपए से कंपनी की शुरुआत करके उसे इतना बड़ा बना दिया कि सालों तक हमने इंडियन टीम की जर्सी पर सहारा का नाम देखा है.

लेकिन इसी बड़ी कंपनी ने बाद में सैतालीस हजार करोड़ का scam कर दिया |

स्कूटर पर स्नैक्स बेचने से की शुरुआत (subrata roy biography in hindi)

गोरखपुर के दुर्गमालपुर में रहने वाले सुब्रत रॉय अपने Lambretta स्कूटर पर snacks बेचा करते थे. और इसी दौरान उन्होंने छोटे छोटे businessman जैसे चाय वाले, सब्जी वाले, या फिर दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर वर्ग को करीब से observe किया.

सुब्रत रॉय को ये समझ आया कि इन लोगों को बचत और इंवेस्टमेंट की ना तो इतनी समझ है और ना ही ये बड़ी पूँजी बचा पाते हैं. इसलिए 1978 में सुब्रत रॉय ने शुरुआत की सहारा इंडिया परिवार की. यानी सहारा कंपनी की.

उन्होंने लोगों को कहा कि वो उन्हें रोज एक रुपए दे और इसके बदले में वो उन्हें अच्छा return देंगे.

लोगों को सहारा की ये स्कीम काफी अच्छी लगी इसलिए धीरे धीरे लोगों ने अपनी जान पहचान के लोगों को भी सहारा में जोड़ना शुरू कर दिया.

और देखते ही देखते सहारा परिवार 13 करोड़ लोगों का परिवार बन गया.

जल्दी ही सुब्रत रॉय ने finance, infrastructure, hospitality, real estate, health care, media, entertainment, IT हर क्षेत्र में अपने business को बढ़ा लिया |

समाज कल्याण कर लोगों के दिलों में बनाई जगह

लेकिन उस time पर सुब्रत रॉय सिर्फ business नहीं कर रहे थे. वो अपने नेक कामों से लोगों के दिल में भी जगह बना रहे थे.

सुब्रत रॉय गरीब लड़कियों की शादियाँ करवाया करते, अल्कोहल consumption के अगेंस्ट तरह तरह के campaign चलवाते. इसी वजह से सुब्रत रॉय जल्दी ही देश के सबसे पसंदीदा लोगों में से एक बन गए.

दूसरी तरफ वो अपने businesses को भी तेजी से बढ़ा रहे थे. उन्होंने अमेरिका के New York में दो नये Hotels New York plaza और Dream New York को भी खरीदा. जिनकी कीमत लगभग 4400 करोड़ रुपए थी.

आपको बता दें कि ये Hotels आज भी दुनिया के सबसे popular hotels में गिने जाते हैं.

सुब्रत रॉय सिर्फ विदेशों में invest नहीं कर रहे थे. उनके पास देश के अलग अलग शहरों में कुल मिलाकर 764 एकड़ जमीन थी. जिसमें मुंबई के versova में 106 एकड़, lucknow में 191 एकड़ जमीन शामिल थी.

इस सब के अलावा सहारा ने सालों तक इंडियन क्रिकेट टीम और इंडियन हॉकी team को भी sponsor किया.

लेकिन सहारा की शोहरत की लिमिट यहीं तक सीमित नहीं थी. इन्होंने अपना खुद का एक शहर The Sahara City भी बना रखा था.

वो भी कोई ऐसा वैसा शहर नहीं, सहारा city एक luxuries से भरा हुआ शहर था. यहाँ वो हर सुविधा थी जो किसी luxurious शहर में होनी चाहिए.

जैसे कि एक Helipad, cricket stadium, golf court, एक सौ चौबीस सीटों वाला सिनेमा theatre, Health care से जुड़ी सभी सुविधाएँ और कई petrol pumps भी. इतना ही नहीं यहाँ 11 किलोमीटर लम्बा एक lake भी था.

इसके अलावा उन्होंने मुंबई से थोड़ी ही दुरी पर दस हज़ार छह सौ एकड़ की ज़मीन पर फैली हुई Aamby Valley नाम की एक township भी बनवाई.

यहाँ पाँच से बीस करोड़ तक की कीमत वाले करीब आठ सौ luxury bungalow हैं. इसके अलावा इस town में भी तमाम luxury सुविधाएँ दी गयी थी.

सुब्रत रॉय की life में सब कुछ sorted चल रहा था. उनका business तेजी से बढ़ रहा था. बड़े बड़े नेताओं और अभिनेताओं के साथ उनका बैठना था इसलिए सुब्रत रॉय सहारा को उनसे भी सहारा मिल ही रहा था |

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इनकम टैक्स अफसर ने फोड़ा भांडा

लेकिन 1996 में सहारा की नाव पहली बार तब डगमगाई जब Prasenjit Singh नाम के एक income tax officer की नज़र उनके business पर पड़ी.

जब officer ने सुब्रत रॉय से जवाब माँगे तो सुब्रत रॉय ने कुछ नेताओं का नाम आगे कर दिया.

नेताओं को भी अपनी पोल खुलने का डर था और इसलिए सुब्रत रॉय पर inquiry करने वाले income tax officer का ही transfer करवा दिया गया.

और सहारा की जो गाड़ी पटरी से उतरती हुई नज़र आ रही थी एक बार फिर पटरी पर आ गयी.

लेकिन ये गाड़ी ज्यादा दिनों तक पटरी पर नहीं रही 2008 में एक बार फिर सहारा का down fall शुरू हुआ और फिर कभी नहीं थमा.

उस समय सहारा group में 4799 कंपनियाँ थी जिसमें से 4 ही listed थी.

> Sahara Housing finance Ltd

> Sahara One Media and entertainment Ltd

> Sahara Infrastructure and Housing Ltd

> Master Chemicals Ltd

सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन अब सहारा saturation state पर आ पहुँची थी. यानी जो भी लोग सहारा में जुड़ने के लिए interested थे लगभग वो सभी सहारा से जुड़ चुके थे.

ये संख्या कुछ कम भी नहीं थी. सुब्रत के सहारा परिवार में 13 करोड़ लोग जुड़े हुए थे. लेकिन अब और नये लोग सहारा से नहीं जुड़ रहे थे. और जो लोग पहले से जुड़े थे वो अपना पैसा निकालने का plan कर रहे थे |

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आईपीओ लांच करना पड़ा महंगा

इसलिए आमदनी बढ़ाने के लिए सहारा ने decide किया कि वो अपना IPO launch करेंगे.

अब कोई भी company जिसे अपना IPO लाना हो, उसे SEBI यानी Securities and Exchange Board of India जो कि भारत में security market को control करने वाली statutory body है, को DRHP देना पड़ता है.

DRHP यानी Draft Red Herring Prospectus. Basically ये एक document होता है जिसमें कंपनी अपनी पूरी जानकारी SEBI को देती है.

SEBI इसे verify करती है और सारी जानकारी सही होने पर SEBI कंपनी का IPO launch करने की permission दे देती है.

30 सितंबर 2009 को सुब्रत रॉय की कंपनी ने भी DRHP दाखिल की. लेकिन SEBI को सहारा की DRHP में कुछ गड़बड़ियाँ दिखाई दी.

जैसे कि इन्होंने OFCD यानी Optionally Fully Convertible Debentures के through cash में पैसे लिए थे जो कि गलत था. साथ ही इन्होंने OFCD issue करने के rules को भी follow नहीं किया था.

Actually अगर कोई कंपनी 50 से कम लोगों को OFCD issue करती है तो उसे ragistrar से permission लेनी पड़ती है.

वहीं अगर कंपनी 50 से ज्यादा लोगों को OFCD issue करती है तो उसे इसके लिए SEBI से permission लेनी पड़ती है.

लेकिन सहारा ने देशभर में अंधाधुंध OFCD बाँटी और इसके बारे में SEBI को कुछ अता पता ही नहीं था.

बस यहीं से सुब्रत रॉय और सहारा के बुरे दिन शुरू हुए. SEBI ने उनपर किसी भी और कंपनी के नाम पर investment लेने के लिए ban लगा दिया. यानी अब सहारा किसी भी कंपनी के लिए investment नहीं ले सकती थी.

सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत

But सुब्रत रॉय इतनी आसानी से हार कहाँ मानने वाले थे उन्होंने SEBI के इस फैसले के खिलाफ allahabad high court में गुहार लगाई.

पहले तो High court ने SEBI के फैसले पर restriction लगाई. लेकिन बाद में सुब्रत रॉय गलत निकले और high court ने  SEBI का साथ दिया और सहारा को सभी का पैसा पंद्रह percent interest के साथ वापस लौटाने को कहा.

High court से भी झटका खाने के बाद सुब्रत रॉय ने supreme court का दरवाजा खटखटाया लेकिन वहाँ से भी उन्हें कोई सहारा नहीं मिला.

क्योंकि जब Supreme Court ने सहारा से उनके द्वारा जुटाए गए पैसों का हिसाब माँगा तो सहारा कोई भी justification देने में असक्षम रहे.

अगस्त 2012 में supreme Court का फैसला आया जिसके बाद सहारा के investors को उम्मीद की किरण जरूर मिली. Supreme Court ने Sahara SEBI fund बनाया.

पैसा लौटाने का अल्टीमेटम

सहारा को कहा गया कि वो SEBI को पैसे देगा और SEBI को ये जिम्मेदारी दी गयी कि वो सभी investors का पैसा वापस लौटाए.

और सहारा को ये हिदायत की दी गयी कि वो investors का पैसा तीन महीने के अन्दर 15 percent interest के साथ लौटा दे.

सहारा को तीन installment में सारा पैसा SEBI को देना था.

सहारा को ये भी कहा गया कि वो OFCD से जुड़े सभी investors की details SEBI को provide करवाए ताकि SEBI उन्हें पैसे लौटा सके.

Supreme Court के इस आदेश के बाद सहारा ने 127 truck भर के document SEBI के office में भेजे जिसमें investors की information थी.

लेकिन इसमें सभी investors की details नहीं थी. जिसके बाद इस मामले को money laundering के तौर पर देखा जाने लगा.

साथ ही साथ सहारा ने SEBI को तीन में से एक installment  के 5120 crore रुपए तो दिए. लेकिन बाकी की दो installment देने में वो असफल रहे.

जिसके बाद Sahara के सारे accounts और assets freeze कर दिए गए और 26 जनवरी 2014 को सहारा group के chairman सुब्रत रॉय सहारा को arrest कर लिया गया.

लेकिन मई 2016 में उनकी माँ की मौत के बाद सुब्रत रॉय जमानत पर बाहर आ गए और तब से वो बाहर ही है.

सहारा के बेसहारा investors के हालात ये हैं कि सहारा द्वारा दिए गए 5120 करोड़ में से SEBI investors को 138 करोड़ रुपए वापस कर चुका है.

Investors का पैसा वापस ना मिलने की बात पर SEBI का कहना है कि कोई investors उनके पास पैसा मांगने ही नहीं आ रहे.

और जो आ भी रहे हैं सहारा द्वारा दिए गए documents में उनका डाटा trace नहीं हो पा रहा.

और सहारा का कहना ये है कि वो बाईस हज़ार करोड़ रुपए SEBI को लौटा चुका है. और अब वो SEBI को ना तो investors से जुड़ी कोई information दे रहे हैं और ना ही बाकी की बची हुई installment. और बीच में फंसे हैं investors.

सुब्रत रॉय अब अपनी एक नई कंपनी सहारा evolves शुरू कर चुके हैं जो electric automobiles बनाती है. आपको क्या लगता है सरकार को सहारा के investors के पैसे निकलवाने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए comment करके बताइये.

Shubham

नमस्ते! मेरा नाम शुभम जैन है। मैं मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में रहता हूं और मैंने Physics में M. Sc. की है। मुझे साइंस से जुड़े फैक्ट्स, महान लोगों की जीवनियां और इतिहास से जुड़ी घटनाओं के बारे में लिखने का अनुभव है |

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