गांधी जयंती क्यों मनाया जाता है और कब मनाई जाती है?

2 अक्टूबर को हम सब लोग गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं , केवल भारत ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है | 

लेकिन स्कूल और अन्य संस्थानों में छुट्टी के अलावा गांधी जयंती क्यों मनाई जाती है इस बारे में शायद ही लोग जानते होंगे | तो चलिए थोड़ा उस इंसान के बारे में जान लेते हैं जिसे भारत का राष्ट्रपिता कहा जाता है | 

गांधी जी को मानने वाले पूरे विश्व में हैं जो आज भी गांधी जी के बताये रास्ते पर चल रहे हैं और कितने भी संकट हो , पर हिंसा नहीं अपनाते | 

गांधी जयंती

गांधी जी कहते थे के हिंसा को केवल अहिंसा से हटाया जा सकता है, हम सबको अहिंसा के रास्ते पर चलना चाहिए क्योंकि अगर पूरी दुनिया आंख के बदले आंख देना शुरू कर दे तो पूरी दुनिया ही अंधी हो जाएगी |

महात्मा गांधी जी ने भारत की स्वतंत्रता में जो योगदान दिया है वो भुलाया नहीं जा सकता, परन्तु आज समय अलग है | 

गांधी जयंती क्या है – What is Gandhi Jayanti in Hindi

गांधी जयंती भारत ही नहीं पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस यानी International Day of Non-Violence के रूप में मनाई जाती है | इस दिन 2 अक्टूबर 1869 को भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ था | 

गांधी जी अहिंसा के पुजारी थे | वो जानते थे कि हिंसा सिर्फ विनाश लाती है | हिंसा से कभी किसी समस्या का हल नहीं निकाला जा सकता |  

हिंसा एक ऐसा हथियार है जिसे सत्ता पर विराजमान लोग हमेशा अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं | हिंसा से भले ही कुछ देर के लिए कोई समस्या सुलझ जाए लेकिन दिलों की नफरत कभी खत्म नहीं होती |  

जो भारत पूरी दुनिया को अहिंसा का संदेश दिया करता था आज उसी भारत में बहुत ज्यादा हिंसा और लिंचिंग की खबरें आती रहती है | 

आज कोई भी अहिंसा के मार्ग पर नहीं चलता, सब लोग हिंसक हो गए हैं, हर जगह अत्याचार बढ़ रहा है, हम हर रोज़ ऐसी घटनाएं रोज अख़बारों में, रेडियो टीवी पर सुनते और देखते है जो हिंसा से भरी हुई है, कोई न कोई किसी न किसी पर अत्याचार कर रहा है | पर ऐसा क्यों ?

आज हमे गाँधी जी के अहिंसावादी विचारों की जरूरत है, उन पर अमल करने की जरूरत है पर माहौल इससे उल्ट है, आइये आज गाँधी जयंती पर नज़र डालते हैं भारत के बदलते हालातों पर, भारतीय की हिंसा वाली सोच पर भी | 

लिंचिंग के बढ़ते मामले

लिंचिंग शब्द का अर्थ क्या है, इसका अर्थ है किसी व्यक्ति को शक के आधार पर लोगों द्वारा गैर क़ानूनी तरीके से मार देना | सुने में थोड़ा अटपटा लगरहा होगा पर ये सच है, आप कोई भी अख़बार टटोल कर देख लीजिये , आपको दिन की 10 – 15 खबरें लिंचिंग की मिल ही जाएगी | पर लोगों के अंदर इतना आक्रोश क्यों ? इतना क्रोध आया कहाँ से ?

इसके लिए आपका ध्यान एक दो घटनाओं पर लाना चाहते हैं , कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल के एक गांव में एक 24 वर्षीय युवक को चोर समझ लिया , पहले तो उसे ज़ंजीरों से बंधा फिर उसे लोगों की भीड़ ने बुरी तरह पीटा और अधमरा कर दिया , पुलिस को खबर मिलने पर पुलिस वहां पहुंची और जब तक उस युवक को अस्पताल ले जाया गया तब तक वो मर गया था |

इसमें दोष किसका है ?

ऐसी ही दूसरी घटना जहां एक गौ तस्करी के शक में राजस्थान में एक युवक को भीड़ ने पीट पीट कर मर डाला |

ऐसे केस रोज हो रहे हैं | लोगों के अंदर इतना गुस्सा कहाँ से आया ? लोगों के अंदर हिंसक प्रवृत्ति को खत्म करने के लिए उन्हें गांधी जी के अहिंसावादी विचारों को समझना होगा |

असम दरांग केस : भारत के असम राज्य में पिछले दिनों एक बहुत भयानक हादसा हुआ . 

वह के एक गांव में अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए पुलिस पहुंची और साथ में मीडिया वाले भी पहुंचे , गाँव के लोगों की पुलिस के साथ हुई झड़प हो गयी जिसके बाद पुलिस ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी | 

जिसमे 2 निर्दोष गांव वाले मारे गए , और 20 के करीब गांव वाले इसमें घायल हो गए |  

क्रूरता की हदे उस समय पर हुई जब एक मीडिया का कैमरामैन एक अधमरे हुए व्यक्ति के ऊपर चढ़ कर कूदने लगा , और उस व्यक्ति को मारने लगा |  

सवाल वही , 

लोग इतने हिंसक क्यों हो गए है ? लोगों के अंदर इंसानियत , दया की भावना नहीं रही है , खुद को श्रेष्ठ और दूसरे को निम्न समझने का जो तुच्छ विचार है वो लोगों के दिमाग के अंदर घर कर गया है | लोग खुद को ही किसी भी न्यायलय से बड़ा समझने लगे हैं , 

एक ख्याल आता है के अगर आज भी हम अंग्रेज़ों के गुलाम होते तो क्या तब भी ऐसे लोग यही प्रवृति अपनाते ?

गांधी जयंती कैसे मनाया जाता है?

गाँधी जयंती पर पूरे देश में छुट्टी होती है | दिल्ली में राजघाट पर बापू की प्रतिमा के सामने भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति उन्हें नमन करते हैं | महात्मा गाँधी की याद में रघुपति राघव राजा राम गीत जो उन्हें प्रिय था वो गाया जाता है |  

सोशल मीडिया के ज़माने में सभी नेता उन्हें बधाई देते हैं और गाँधी के जन्म दिन पर बहुत सी योजनाएं भी चलाई जाती है |  

जैसे की स्वच्छ भारत योजना के तहत भारत को स्वच्छ और सुन्दर बनाने की योजना चलाई जा रही है | पर गाँधी जी के हत्यारे नाथूराम के भक्तों की संख्या भी बढ़ती जा रही है | जिसके लिए हमें सोचना होगा | 

क्यूँ बढ़ रही है नाथूराम की भक्ति

आज दुनिया बदल गयी है , लोग पहले जैसे नहीं रहे और न ही सोच पहले जैसी रही है | आज कुछ लोग महात्मा गांधी जी से ज्यादा  नाथूराम गोडसे को मानते है, उसे अपना आदर्श मानते हैं , पर ऐसा क्यों ? 

नाथूराम उस समय में एक सक्रिय नेता था , कुछ लोग महात्मा गांधी की अहिंसा वादी सोच को नहीं मानते थे, वो लोग मानते थे के दुनिया में अहिंसा नाम की कोई चीज नहीं है जो व्यक्ति जैसा कर रहा है उसे वैसा ही जवाब देना चाहिए | 

अगर कोई अत्याचार कर रहा है तो उसका जवाब हिंसा ही होगी, अहिंसा करने वाले को कायर मानते हैं | परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं है |

नाथूराम भी उन कुछ लोगों में एक था जो गाँधी जी की अहिंसावादी सोच को सही नहीं मानता था, उनके मुताबिक गांधीजी ने हमेशा हिन्दुओं को कमज़ोर किया है जिससे आने वाली नस्लों पर गहरा असर पड़ेगा , जिस लिए उसने गाँधी जी को मार दिया और नाथूराम को इस बात का कोई अफ़सोस भी नहीं था |  

आज गाँधी जी के नाम पर बहुत सारे मज़ाकिया चित्र लोगों के साथ शेयर किये जाते हैं , कई जगह पर तो गाँधी जी केवल एक हास्य किरदार बन गए हैं परन्तु ये बिलकुल सही नहीं है |

गाँधी जी द्वारा दिए विचारों और किये कामों को गंभीरता से सोचने समझने की जरूरत है , आज गाँधी जी के विचारों पर अम्ल करने की सख्त जरूरत है नहीं तो हम अत्याचर और हिंसा के उस रस्ते पर चल पड़ेगे जिससे वापिस मुड़ पाना बेहद मुश्किल है |

हिंसा किसी भी मुश्किल का समाधान नहीं होती , हिंसा से पहले अहिंसा जरूरी है , दुनिया में कोई ऐसी मुश्कल नहीं है जिसका हल अहिंसा से न हो सके , शांत रहकर भी हम अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ सकते हैं और शांति से लड़ी लड़ाई मेंसफलता मिलनी लाज़मी है | 

आज पूरी दुनिया में बेशक लोग गांधी जयंती जो अलग अलग रूप में मनाते हैं परन्तु गांधी जी के बताये रास्ते  पर कोई नहीं चलता | हमारे अंदर हिंसा भर गयी है और आज हमें गांधी जी के मार्गदर्शन की बहुत जरूरत है | 

गाँधी जी के विचारों को समझने और उन पर अमल करने की जरूरत है , उनके जैसे शांत रहने की जरूरत है तभी हम ऐसे गंभीर मुद्दों पर कोई ठोस कदम उठा सकेंगे , नहीं तो हिंसा के बदले हिंसा की प्रवृत्ति से दुनिया की आबादी हम जल्दी खत्म कर देंगे |

आईये इस गाँधी जयंती पर हम लोग प्रण करते हैं, अहिंसा का रास्ता चुनने का , हिंसा को अपने अंदर से बाहर निकाल फेंकने का तभी हम एक अच्छे वर्तमान में जी सकेंगे और बेहतर भविष्य को बना पाएंगे |

Rahul Sharma

हमारा नाम है राहुल,अपने सुना ही होगा। रहने वाले हैं पटियाला के। नाजायज़ व्हट्सऐप्प शेयर करने की उम्र में, कलम और कीबोर्ड से खेल रहे हैं। लिखने पर सरकार कोई टैक्स नहीं लगाती है, शौक़ सिर्फ़ कलाकारी का रहा है, जिसे हम समय-समय पर व्यंग्य, आर्टिकल, बायोग्राफीज़ इत्यादि के ज़रिए पूरा कर लेते हैं | हमारी प्रेरणा आरक्षित नहीं है। कोई भी सजीव निर्जीव हमें प्रेरित कर सकती है। जीवन में यही सुख है के दिमाग काबू में है और साँसे चल रही है, बाकी आज कल का ज़माना तो पता ही है |

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