मेटावर्स क्या है ? इसलिए फेसबुक ने बदला नाम

तकनीक हर रोज़ बदल रही है और विज्ञान इतनी तरक्की कर रहा है जिसके बारे में हमने सोचा भी नहीं था | पहले टेलीफोन फिर मोबाइल, वीडियो गेम और अब समय आ गया है वर्चुअल रियलिटी का | पर आप सोच रहे होंगे के ये कोन सी रियलिटी है ?

धैर्य रखिये इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी |

ज्यादा तकनीकी भाषा न इस्तेमाल करके आपको अपने शब्दों में समझाता हूँ |

मेटावर्स क्या है

एक ऐसी दुनिया जो है तो डिजिटल पर वो बिलकुल हमारी असली दुनिया जैसी लगती है | उसे महसूस करने और उस दुनिया में जाने के लिए हमे खास किस्म के हार्डवेयर की जरूरत पड़ती है | उस दुनिया में हम गेम खेल सकते हैं , पलक झपकते ही हम ऐसे महसूस कर सकते हैं जैसे पेरिस का आइफ़िल टावर के पास खड़े हैं , हम अंतरिक्ष की सैर कर सकते हैं वो भी बिना घर से बाहर निकले| पर ये सब तो हम अपने फोन से भी कर सकते हैं तो दोनों में अंतर क्या है ?

सबसे बड़ा अंतर् यह है के इस तकनीक से हम खुद को उस जगह महसूस कर सकेंगे| हम उस जगह का 360 व्यू हासिल कर सकेंगे |

हाल ही में दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्क कंपनी फेसबुक कुछ इसी तरह की तकनीक पर काम कर रही है और बहुत जल्द ही हमारे समाने आने वाली है | इसे नाम दिया है मेटावर्स का | अब ये मेटावर्स क्या है ?

आइये जानते हैं |

मेटावर्स क्या है What is Metaverse in Hindi

मेटावर्स 2 शब्दों के मेल मेटा और वर्स से मिल कर बना है | जिसमे मेटा का अर्थ है परे और वर्स का अर्थ है ब्रह्माण्ड | सीधे शब्दों में ब्रह्माण्ड से परे को मेटावर्स कहा जाता है | ये इस बात की तरफ इशारा करता है के भविष्य में इंटरनेट की दुनिया हमारी कल्पना से परे हो जाएगी | आज हम इंटरनेट जैसे इस्तेमाल करते हैं उसके तरीके बदल जायेगे और संभावनाएं हमारी सोच से परे पहुंच जाएगी |

मेटवर्स शब्द का उपयोग सबसे पहले 1992 में लेखक   नील स्टीफेंसन ने अपने वैज्ञानिक उपन्यास स्नो क्रैश में किया था | इस किताब में लेखक ने मेटवर्स को वर्चुअल और आर्गुमेंट रियलिटी बताया जिसमे एक लम्बी सड़क पर लोग चल रहे हैं, असल में वो लोग असली नहीं हैं उनके डिजिटल अवतार घूम रहे हैं और इंसान उन अवतारों को किसी तरह के चश्मे और किसी और तरह के हार्डवेयर से कण्ट्रोल करेंगे |

इसका आइडिया कहां से आया ?

पिछले साल कोरोना महामारी से दुनिया भर में तहलका मच गया | लगभग पूरी दुनिया ही बंद पड़ गयी थी, लोगों का घरों से बाहर निकलना बंद हो गया था और रोज़ाना अपने दफ्तर जाने वालों, रोज़ाना मीटिंग में भाग लेने वालों को काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ा | 

ऐसे में मार्क जुकरबर्ग ने लोगों की मीटिंग को दिलचस्प बनाने के लिए  ये आइडिया सोचा के अगर ऐसा हो के वीडियो मीटिंग में हमारा एक वर्चुअल अवतार मीटिंग के अंदर हो और हमें ऐसा महसूस हो के जैसे हम सभी अलग अलग जगहों पर नहीं बल्कि इकट्ठे एक कॉन्फ्रेंस रूम में बैठे हों | 

इस आइडिया को लेकर फेसबुक ने Horizon Workrooms नाम के सॉफ्टवेयर को बनाया जो zoom जैसे ही वीडियो मीटिंग कर सकता था पर इसकी खास बात यह थी के इसके अंदर आप न होकर आपका एक डिजिटल अवतार मीटिंग के अंदर होता था |

शुरुआती टेस्ट में ये कुछ खास कमाल नहीं कर पाया पर मार्क ज़ुकरबर्ग का ये आईडिया संभावित रूप में आने वाले कुछ सालों में खरबों डॉलर की मार्किट बनाएगा |

क्या मेटावर्स की शुरुआत हो चुकी है ?

जी हाँ , मेटवर्स की शुरुआत हो चुकी है | प्लेस्टेशन की सबसे ज्यादा खेली जाने वाली गेम fortnite इस तकनीक में काम कर रही है | गेम खेलते समय आपको एक खास किस्म का हेडसेट पहनाया जाता है जिससे आपको ऐसा लगता है के आप गेम के अंदर है | 

आप दूसरे खिलाड़िओं के साथ आसानी से बात कर पा रहे हैं और अगर आप फिल्मों के fan हैं, फिल्मे देखना पसंद करते हैं तो आप हॉलीवुड के मशहूर फिल्म मेकर Steven Spielberg को जानते होंगे, 

इन्होने वर्चुअल रियलिटी को लेकर एक फिल्म बनाई थी जिसका नाम Ready Player One था | उस फिल्म में एक्टर एक हेडसेट पहन कर वीडियो गेम के अंदर पहुंच जाते हैं |

फेसबुक और मेटावर्स

2021 में मेटावर्स और फेसबुक ये दोनों नाम काफी चर्चा में रहे क्योंकि मार्क ज़ुकरबर्ग ने एलान किया था के वो अपनी कम्पनी का नाम बदल कर Meta Platforms Inc करने वाले हैं क्योंकि वो चाहते हैं के फेसबुक मेटावर्स में काम करे न के सिर्फ एक मोबाइल एप्प बनकर रहे |

फेसबुक कनेक्ट की एक प्रेजेंटेशन में मार्क ज़ुकरबर्ग ने इस तकनीक के ऊपर प्रेजेंटेशन दी और उन्होंने दिखाया के उनका डिजिटल अवतार, जिसने काली शर्ट पहनी हुई थी, वो बिना किसी रोक टोक के एक जगह से दूसरी जगह आराम से आ जा रहा था | मेटावर्स हमारी ही दुनिया का एक 3D रेंडर वर्ज़न है |

और कौन कौन है इस दौड़ में ?

सिर्फ फेसबुक ही ऐसी कम्पनी नहीं है जो इस तकनीक को बनाने की दौड़ में है इसके इलावा गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और कुछ गेमिंग कंपनियां  भी मेटावर्स को बनाने में लगी हुई है |

गूगल ने काफी समय पहले गूगल लेंस नाम की एप्प लांच की थी | इस एप्प से आप कोई भी फोटो खींचो तो गूगल उस फोटो को सर्वर पर अपलोड करके तुरंत उसके रिजल्ट आपकी सामने पेश कर देती है | इस तकनीक का इस्तेमाल मेटावर्स में इस्तेमाल होने वाले हेडसेट में होने वाला है |

दूसरी तरह माइक्रोसॉफ्ट ने भी अपनी कमर कस ली है | कम्पनी एज़्योर क्लाउड कंप्यूटिंग सेवा के लिए एंटरप्राइज़ मेटावर्स बना रही है | इसके इलावा Epic games अपनी गेम Fortnite में इसी तकनीक को लाने की हर सम्भव कोशिश कर रही है इसके इलावा क्प्म्पुटर ग्राफ़िक कंपनी Nvidia और गेमिंग कम्पनी Roblox भी इसी तरह की तकनीक पर काम कर रहे हैं |

मेटावर्स तकनीक के नुकसान :

तकनीक कोई भी हो, अगर उसके फायदे होते हैं तो नुकसान भी होते हैं और ऐसा ही इसके साथ भी है |

जब हम मेटावर्स के नुकसान के बारे में सोचते हैं तो एक टर्म दिमाग में आती है जिसे हाइपररियलिटी कहा जाता है | 

फ्रेंच दार्शनिक और समाजशास्त्री ज्यां बौद्रिलार्ड ने सबसे पहले इसके बारे में बताया | उनके मुताबिक ऐसी किसी तकनीक से लोगों के अंदर भरम पैदा हो जायेगा | 

लोग असल जिंदगी और कंप्यूटर की जिंदगी में फर्क नहीं कर पाएंगे | दो दुनियाएं बन जाएगी, एक काल्पनिक और दूसरी असली और ऐसे में काल्पनिक दुनिया हमारी असल दुनिया पर हावी हो जाएगी | लोग भरम में जीना शुरू कर देंगे| 

मेटावर्स से दुनिया में पैदा हुई डिजिटल दरार बढ़ जाएगी | आज इंटरनेट के कितने सालों बाद भी बहुत सारी  जगह ऐसी भी है जहाँ पर आज तक इंटरनेट नहीं पहुचं पाया है और मेटवर्स जैसी तकनीक बहुत महंगी होने वाली है जिससे ऐसे बहुत सारे  लोग होंगे जो इस तकनीक को इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे क्योंकि ये उनकी पहुंच से बाहर होगी | 

इस तकनीक की सबसे बड़ी कमी ये होगी के इससे व्यक्ति की निजता खत्म हो जाएगी यानि आम लोगों का निजी डाटा प्राइवेट कंपनियों तक पहुंच जायेगा जिससे भविष्य में कई तरह के खतरे उत्पन्न हो जायेंगे | मेटवर्स को सेंसर, संचार पर नियंत्रण जैसी मुश्किलें आएंगी और सबसे ज्यादा दिक्क्त इंटरनेट की स्पीड को लेकर होगी | आज इतने साल लगे हैं हमे 4G तक पहुंचने में , और 4G इंटरनेट केवल कुछ गेम्स और एप्प्स को अच्छी तरह चलने के लिए सक्षम है अगर हम इस इंटरनेट पर मेटावर्स का सपना देख रहे हैं तो ऐसा बिलकुल भी मुमकिन नहीं है | इसके लिए ज्यादा स्पीड इंटरनेट चाहिए होगा और जिसे हासिल करने में अभी काफी समय लगेगा |

मेटावर्स भविष्य की तकनीक है |अभी इसके ऊपर काम चल रहा है और बड़ी से बड़ी कंपनियां इस तकनीक में निवेश कर रही है और हर सम्भव कोशिश कर रही हैं के इसे सच बनाया जाये | अगर ऐसा होता है तो हम एक साथ 2 या इससे ज्यादा जिंदगियां जियेंगे , एक असली दुनिया में और एक डिजिटल दुनिया में | वो तो जब होगा तक देखा जाएगा , फ़िलहाल जो हमारी दुनिया में है हमे उसकी तरफ ध्यान देने की जरूरत है |  

Rahul Sharma

हमारा नाम है राहुल,अपने सुना ही होगा। रहने वाले हैं पटियाला के। नाजायज़ व्हट्सऐप्प शेयर करने की उम्र में, कलम और कीबोर्ड से खेल रहे हैं। लिखने पर सरकार कोई टैक्स नहीं लगाती है, शौक़ सिर्फ़ कलाकारी का रहा है, जिसे हम समय-समय पर व्यंग्य, आर्टिकल, बायोग्राफीज़ इत्यादि के ज़रिए पूरा कर लेते हैं | हमारी प्रेरणा आरक्षित नहीं है। कोई भी सजीव निर्जीव हमें प्रेरित कर सकती है। जीवन में यही सुख है के दिमाग काबू में है और साँसे चल रही है, बाकी आज कल का ज़माना तो पता ही है |

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