किसानों का नेता : चौधरी चरण सिंह

Chaudhary Charan Singh Biography in Hindi – भारत में किसी भी प्रधान मंत्री का कार्यकाल 5 साल का होता है। कई बार कोई मंत्री 5 साल में कुछ नहीं करता तो कई बार कोई मंत्री कुछ महीनों में ही देश की दशा सुधार देता है।  भारत की आज़ादी की लड़ाई बहुत लम्बी चली थी। कितने ही संघर्षों के बाद कितनी ही कुर्बानियों के बाद हमें आज़ादी मिली। 

आज़ादी के संग्राम में बहुत से नाम हम जानते है परन्तु बहुत ऐसे नाम है जिनके बारे में हम नहीं जानते। उन नामों में से एक है चौधरी चरण सिंह जी।  जिन्होंने आज़ादी के संघर्ष में अपना अमूल्य योगदान दिया। वो भारत के प्रधान मंत्री भी रहे और उन्होंने बहुत थोड़े कार्यकाल में बहुत अच्छा  काम किया। 

आज हम चौधरी चरण सिंह जी के बारे में जानेंगे। 

चौधरी चरण सिंह की जीवनी Chaudhary Charan Singh Biography in Hindi

जन्म और बचपन

चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर 1902 को हुआ था। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ था।  इनके पिता चौधरी मेरे सिंह बहुत गरीब थे और पेशे से वो किसान थे।  अत्यंत गरीबी के बावजूद भी उनके पिता जी ने पहला दर्जा पढ़ाई को दिया। 

उन्होंने चरण सिंह जी की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसा भी माना जाता है के ये राजा नाहर सिंह थे जिन्होंने 1857 की लड़ाई में हिस्सा लिया था। इनकी पिता जी की अध्ययन में बहुत रुचि थी और उनकी यह रुचि चरण सिंह जी के व्यवहार में साफ दिखाई देती थी।  

चरण सिंह जी ने प्राथमिक शिक्षा नूरपुर ग्राम  में हुई और इन्होंने मेरठ के उच्च विद्यालय से मेट्रिक की पढ़ाई की। इसके बाद वो 1923 में विज्ञान विषय में स्नातक हुए और 1925 में कला स्नातकोत्तर की परीक्षा पास की और उसके बाद  उन्होंने वकील की पढ़ाई की और गाजियाबाद में वकालत करनी शुरू की। 

इस दौरान ही इनका विवाह गायत्री देवी से हुआ और इनके 5 बच्चे हुए। 

आज़ादी की लड़ाई

1929 में चरण सिंह जी ने आज़ादी की लड़ाई शुरू की।  इन्होंने गाजियाबाद में रहते वहां कांग्रेस का गठन किया। इसके बाद वो 1930 में गाँधी जी के साथ जिद गए और उन्होंने “सविनय अवज्ञा आन्दोलन” में हिस्सा लिया। उन्होंने नमक कानून के खिलाफ आंदोलन किया। 

गाजियाबाद के पास बहने वाली हिंडन नदी पर नमक बनाया और गाँधी जी के साथ डांडी मार्च  में भाग लिया।  इस आंदोलन के लिए वो 6 महीनों के लिए जेल भी गए। फ़रवरी 1938 में इन्हें विधान सभा के लिए चुना गया और इसका बाद 31 मार्च 1938 में इन्होंने “कृषि उत्पाद बाजार विधेयक” पेश किया। 

यह बिल किसानों के हक़ में था और किसानों के हित्त में था। सबसे पहली बार इस बिल को 1940 पंजाब द्वारा अपनाया गया। 1940 में सत्याग्रह आंदोलन हुआ और इस आंदोलन के चलते ये फिर से जेल गए।  1941 में ये बाहर आये। 

आज़ादी के बाद 1952 में इन्हें उत्तरप्रदेश का राजस्व मंत्री बनाया गया। इन्होंने मंत्री पद पर रहके किसानों के लिए बहुत काम किया क्योंकि ये खुद किसान के बेटे थे तो किसानों की मुश्किलों उनके दर्द को अच्छे से समझते थे।

इन्होंने 1952 में “जमींदारी उन्मूलन विधेयक” पास किया जिससे नाराज़ होकर 27000 पटवारियों  ने अस्तीफ़ा दे दिया। चरण सिंह जी ने सबका अस्तीफ़ा स्वीकार किया और उन सबकी जगह नए पटवारी नियुक्त किये और इन नए पटवारियों में उन्होंने 18 % हरिजनों को नियुक्त किया। 

चौधरी चरण सिंह का राजनैतिक सफर

चौधरी चरण सिंह एक किसान के बेटे थे और किसानी उनके खून में थी। अक्सर ही जवाहर लाला नेहरू और चरण सिंह के बीच विचारों एवं कार्यप्रणाली को लेकर मतभेद होता रहता था।  जवाहर लाला नेहरू भारतीय किसानों को सोवियत पढ़ती के अनुसार चलना चाहते थे |

परन्तु चरण सिंह के अनुसार ऐसा करने से किसानों का विकास न होता बल्कि किसानों की मुश्किलें और बढ़ जाती।  इसी मतभेद को लेकर 1967 में चरण सिंह जी ने कांग्रेस छोड़ दी। 

उन्होंने राज नारायण और रम मनोहर लोहिया जैसे बड़े नेताओं के साथ मिल कर एक अलग पार्टी बनाई जिसका नाम ‘भारतीय क्रांति दल’ था और इसका चिन्ह एक हलदार था। 

1970 के समय जितने भी विरोधी नेता थे सबको इंदिरा गाँधी  सरकार ने जेल बंद कर दिया और 1975 तक वो जेल बंद रहे।  जेल में रह कर भी चरण सिंह जी ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

1975 में इंदिरा गाँधी ने आपातकाल घोषित किया और 1977 में हुए चुनाव में इंदिरा गाँधी की हर हुई और केंद्र में मोरारजी देसाई की सरकार बनी और उनकी पार्टी जनता पार्टी  का राज आया।  चरण सिंह जी इस समय ग्रह मंत्री और उप प्रधान मंत्री नियुक्त किये गए। 

चरण सिंह और मोरार जी देसाई जी के बीच भी मतभेद बढ़ने लगे। चरण सिंह जी ने उनकी पार्टी छोड़ दी और बगावत कर दी जिससे मोरार जी देसाई की सरकार गिर गयी और 1979 में चरण सिंह जी को कांग्रेस और दूसरी पार्टी का समर्थन मिला और वो प्रधान मंत्री के पद पर बैठे।

इस समय इंदिरा गाँधी , जिन्होंने चरण सिंह जी को जेल भिजवाया था | उन्होंने ने भी चरण सिंह जी का साथ दिया और समर्थन किया।  पर कुछ समय बाद अगस्त 1979 को इंदिरा सरकार ने अपना समर्थन वापिस ले लिए। 

क्योंकि वो चाहती थी की उनकी सरकार पर जितने भी मुकदमे हैं वो सब ख़ारिज किये जाएँ और चरण सिंह जी को ये मंजूर नहीं था।  चरण सिंह जी ने भी अपने पद से अस्तीफ़ा दे दिया। 

ये भी पढ़ें:

रचनाएँ

चौधरी चरण सिंह एक कुशल नेता होने के साथ साथ एक लेखक भी थे।  उन्होंने बहुत सारी किताबें लिखी जिन में से

  •  अबॉलिशन ऑफ़ ज़मींदारी
  •  लिजेण्ड प्रोपराइटरशिप
  •  इंडियास पॉवर्टी एण्ड इट्स सोल्यूशंस थी। 

चरण सिंह जी के कार्य

चरण सिंह जी के पिता जी अत्यंत गरीब थे , पेशे से वो किसान थे और उनका पूरा जीवन किसानी में बीता था। चरण सिंह जी ने किसानों के लिए बहुत काम किये हैं। उन्होंने हमेशा किसानों के बारे में सोचा और उनके भले की ही बात की। 

चरण सिंह जी के मुताबिक देश की असली तरक्की किसानों से ही होती है।  किसानों का विकास ही देश का विकास कर सकता है। उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद  भी गाँधी  जी के रास्ते पर चलते रहे। उन्होंने शांति पूर्वक काम किया।  देश के इतिहास में वो अकेले नेता थे जिन्होंने किसानी को और किसानों को इतना महत्व दिया। 

चौधरी चरण सिंह जी की

चौधरी चरण सिंह जी ने लोक भलाई का बहुत काम किया।  29 मई 1987 को इनकी मृत्यु हो गयी।  इनकी मृत्यु से पुरे देश के किसान सदमे में चले गए।  क्योंकि जितना वो किसानों के लिए सोचते थे उतना किसी नेता ने नहीं सोचा था। 

आज का जो माहौल है , उसे देखते हुए हमे चौधरी चरण सिंह जैसे नेताओं की यद् आती है। अगर आज के समय में चरण सिंह जैसे नेता होते तो शायद आज के किसानों को ये दिन देखने न पड़ते। 

गरीब परिवार में जन्मे और अपने बलबूते पर देश कर प्रधान मंत्री बने।  उनके द्वारा किये काम आज भी लोगों को याद हैं और लोग आज भी उम्मीद करते हैं के चरण सिंह जैसा नेता आए और उनकी मुश्किलों को दूर करे। 

Rahul Sharma

हमारा नाम है राहुल,अपने सुना ही होगा। रहने वाले हैं पटियाला के। नाजायज़ व्हट्सऐप्प शेयर करने की उम्र में, कलम और कीबोर्ड से खेल रहे हैं। लिखने पर सरकार कोई टैक्स नहीं लगाती है, शौक़ सिर्फ़ कलाकारी का रहा है, जिसे हम समय-समय पर व्यंग्य, आर्टिकल, बायोग्राफीज़ इत्यादि के ज़रिए पूरा कर लेते हैं | हमारी प्रेरणा आरक्षित नहीं है। कोई भी सजीव निर्जीव हमें प्रेरित कर सकती है। जीवन में यही सुख है के दिमाग काबू में है और साँसे चल रही है, बाकी आज कल का ज़माना तो पता ही है |

Leave a Comment