जब अन्धविश्वास सफलता का रास्ता बन जाए

House of Secrets Burari Story in Hindi – कुछ साल पहले बुराड़ी में एक ऐसा हादसा हुआ था जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था | बुराड़ी में हुए उस दिल दहला देने वाले इंसिडेंट पर बेस्ड House of Secrets: The Burari Deaths नाम की वेब सीरीज नेटफ्लिक पर आ गयी है | आइये जानते हैं House of Secrets Burari Story in Hindi. 

2018 की सुबह हर रोज़ की आम सुबह जैसी नहीं थी। चारों तरफ अफरा तफ़री का माहौल था। पूरे देश की मीडिया दिल्ली के बुराड़ी नाम की जगह पर जमा हुई पड़ी थी और हरेक टीवी चैनल और रेडियो पर खबरें आ रही थी। 

दिल्ली के बुराड़ी इलाके में रह रहे एक परिवार के 11 सदस्यों की सामूहिक मौत हो गयी थी। जिसमें से 10 लाशें फांसी से लटकी मिली और 1 बुजुर्ग औरत जमीन पर मृत पायी गयी। 

जिसने भी ये देखा वो कई दिनों तक चैन से सो नहीं पाया।  पुलिस और डॉक्टर की टीम ये सुलझा नहीं पायी के ये आत्महत्या है या हत्या ?

house of secrets burari story in Hindi
House of Secrets Burari Story in Hindi

ये केस अभी तक पुलिस सुलझा नहीं पायी और इसी केस के ऊपर Netflix अपना Documentary show लेकर आया है | 

भारतीय दर्शकों के सामने पहली बार कोई ऐसी डॉक्यूमेंटरी आयी है जो सीधा किसी ऐसे केस पर बनी हो जिसने पूरे भारत को हिला दिया था। 

इस डॉक्यूमेंट्री में मृतक परिवार के बारे में अच्छे से बताया है और पुलिस और डॉक्टरों द्वारा की गयी सभी जांचों को पेश किया है के कैसे हरेक विभाग ने अपना काम किया और इस केस को सुलझाया। 

इस डॉक्यूमेंट्री में परिवार के इतिहास को टटोला गया है जिससे हमें इस केस के बारे में और भी महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। 

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बुराड़ी केस की कहानी House of Secrets Burari Story in Hindi

2007 में परिवार के सबसे बड़े सदस्य भोपाल सिंह की अचानक मृत्यु हो जाती है जिससे पूरा परिवार सदमे में डूब जाता है।  

बड़े का साया सर से उठ जाने से घर की आर्थिक हालत भी खराब हो जाती है। फिर एक दिन अचानक भोपाल सिंह का छोटा बेटा ललित, अचानक से भोपाल सिंह जैसे बात करना शुरू कर देता है।   

और बताता है के उसके अंदर भोपाल सिंह की आत्मा आती है, और आज से जैसा वो बोलेगा सबको वैसा ही करना पड़ेगा।  

सबके लिए ये समझना थोड़ा मुश्किल था, परन्तु समय के साथ साथ ललित का पूरे घर पर रोआब हो गया, उसकी कही बातें मानने से घर के हालत  ठीक  होने लगे और घर की आर्थिक हालत भी सुधर गयी। 

ललित जैसा जैसा कहता पूरा परिवार चुपचाप उसकी बात मानता। पर शर्त यह थी के घर में जो भी हो रहा है वो बाहर किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए।  और परिवार वालों ने ये बात भी मानी और लगभग 11 साल तक उन्होंने ये बात किसी को नहीं बताई।  

परिवार हर रोज़ एक डायरी लिखता था जिसमें ललित द्वारा बताई बातें हुआ करती थी और घर में जो भी हुआ उसका वर्णन हुआ करता था। 

20 जून 2018 को ललित के कहे मुताबिक सब लोग एक Ritual करने की तैयारी में लगे हुए थे , ललित के मुताबिक , आज की रात उनके जीवन के दुखों की आखिरी रात होगी क्योंकि भोपाल सिंह आज उनके सारे दुख दूर कर देगा।   

ललित से मिले निर्देशों अनुसार सब लोगों ने एक खास किस्म की पूजा की, परिवार के पास एक पालतू कुत्ता भी था जिसे छत पर बांधा गया , पूजा के बाद सबके हाथ पैर बांध दिए और मुँह पर टेप लगाकर मुँह को भी बंद किया गया।   

फिर डायरी के अनुसार , एक पैटर्न में छत से फंदे लगाए गए और सब लोग उन्हीं फंदो में लटक गए।

ललित और डायरी के अनुसार, जब सभी सदस्य फंदे पर लटकेंगे , उस समय भोपाल सिंह आएगा और सबकी जान बचाएगा , जिससे उनके सारे दुःख दर्द हमेशा के लिए खत्म हो जायेंगे और उनका  जीवन खुशियों से भर जायेगा।  पर ऐसा नहीं हुआ और परिवार के 11 सदस्य मारे गए। 

बीमार मानसिकता वाले व्यक्ति के कारण हुआ हादसा 

परिवार एक किराना स्टोर चलाता था, हर रोज की तरह अगली सुबह ,लोग उनकी किराना दुकान पर सामान लेने पहुंचे तो देखा के दुकान बंद है।  

पड़ोसी जब उन्हें घर से बुलाने आये तो सामने लटकी 10 लाशें और फर्श पर पड़ी एक लाश को देखके सबके होश उड़ गए और उसी समय पुलिस को फोन किया गया।  

पुलिस भी ये मंज़र देख कर कांप गयी और  पुलिस भी कोई अंदाज़ा नहीं लगा पायी के ये मर्डर है या आत्महत्या। 

इस डॉक्यूमेंट्री में हमें इसी केस को सुलझाते हुए दिखाया गया है। हमें बताया है के अंध विश्वास की वजह से कैसे एक ही परिवार के लोगों की जान गयी।  

इस परिवार में 77 साल की बुज़ुर्ग महिला से लेकर मात्र 14 साल की छोटी उम्र के बच्चे भी थे जो फंदे पर लटक  कर मर गए।  पर इतना अंध विश्वास क्यों ? 

हैरत की बात यह है के इस परिवार में जो कुछ भी हो रहा था उसका पता बाहर किसी को भी नहीं था , ललित द्वारा दिए निर्देशों की पालना पूरा परिवार कितनी शांति से कर रहा था।  

सालों की लम्बी तहकीकात के बाद पुलिस इस नतीजे पर पहुंची के ये न तो एक मर्डर था और न ही आत्महत्या , यह बस एक हादसा था जो एक बीमार मानसिकता वाले व्यक्ति की लापरवाही से हुआ। 

मनोवैज्ञानिक और सामाजिक नजरिए से दिखाया गया है 

इस डॉक्युमेंट्री में इस केस को क्राइम के नज़रिये से न देखकर बल्कि मनोवैज्ञानिक और सामाजिक नज़रिये से देखा गया है। बहुत बड़े और प्रसिद्ध मनोचिकितस्क और एक्सपर्ट्स, बड़े पुलिसवाले और पत्रकारों से बातचीत हमें इस में दिखाई है और बताने की कोशिश की है के आखिर पूरा हादसा  हुआ कैसे और हम ऐसे हादसों से कैसे बच सकते हैं।  

इस डॉक्यूमेंट्री की सबसे अच्छी बात यह है के इसमें किसी भी तरह का नाट्य रूपांतरण नहीं किया गया और न ही किसी तरह के अभिनेताओं का इस्तेमाल किया है।  जो भी पुलिस वाले , पत्रकार , चिकित्सक इत्यादि इस केस को देख रहे थे , उनको ही इस डॉक्यूमेंट्री में लिया गया है। 

ऐसी घटनाएँ आम नहीं होती , पर जब भी होती है हमें एक सबक देकर जाती है। हमारे देश में अंध विश्वास की जड़ें इतनी मजबूत हैं के उसे उखाड़ फेंकना लगभग  न मुमकिन है।  आये दिन सैंकड़ों ही ऐसी खबरें आती है जिसमें अंध विश्वास को लेकर कोई न कोई हादसा जरुर हुआ हो। 

जरूरत है हमें अंधविश्वास को रोकने की। लोगों को जागरूक करने की।  

हमारे देश में लोग मानसिक बीमारियों के बारे में नहीं जानते , जरूरत है आम लोगों को इन परेशानियों से रूबरू कराने की।  तभी हम ऐसे बड़े और गंभीर हादसे एक हद तक रोक सकेंगे। 

Rahul Sharma

हमारा नाम है राहुल,अपने सुना ही होगा। रहने वाले हैं पटियाला के। नाजायज़ व्हट्सऐप्प शेयर करने की उम्र में, कलम और कीबोर्ड से खेल रहे हैं। लिखने पर सरकार कोई टैक्स नहीं लगाती है, शौक़ सिर्फ़ कलाकारी का रहा है, जिसे हम समय-समय पर व्यंग्य, आर्टिकल, बायोग्राफीज़ इत्यादि के ज़रिए पूरा कर लेते हैं | हमारी प्रेरणा आरक्षित नहीं है। कोई भी सजीव निर्जीव हमें प्रेरित कर सकती है। जीवन में यही सुख है के दिमाग काबू में है और साँसे चल रही है, बाकी आज कल का ज़माना तो पता ही है |

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