इसरो चीफ के. सीवन की सफलता की कहानी

चंद्रयान 2 मिशन जिस पर पूरी दुनिया अपनी नज़रे जमाए हुए थी | उस मिशन को करने में अहम भूमिका निभाने वाले थे डॉक्टर के. सीवन (K. Sivan) | आइए जानते हैं के. सीवन का जीवन परिचय ISRO chief K Sivan Biography in Hindi.

इसरो (Indian Space Research Organization) के चेयरमैन के. सीवन के लिए वो पल बहुत ही मुश्किल था जब चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर का संपर्क पृथ्वी से टूट गया | 

पूरा देश और दुनिया इस मिशन को लाइव देख रही थी | करोड़ों भारतीयों की उम्मीदें इस मिशन के साथ जुड़ गयी थी | 

लेकिन विक्रम लैंडर अपना काम पूरा नही कर सका और इसरो के चीफ के सीवन भी इस दुख की घड़ी में अपने आँसुओं को नही रोक पाए | 

हालाँकि के. सीवन ने पहले ही बताया था कि लैंडिंग के समय आख़िरी के 15 मिनिट बहुत मुश्किल भरे होंगे और वैसा ही हुआ भारत सफलता का वो मुकाम हासिल करते करते रह गया जिसे चीन ने इसी साल हासिल कर लिया था |

जबकि इजराइल ऐसी ही एक कोशिश में सफल नही हो पाया था | 

आज हम आपको चंद्रयान 2 और इसरो के बहुत से मिशन्स में अहम भूमिका निभाने वाले के. सीवन के बारे में बताने जा रहे हैं | 

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के. सीवन का जीवन परिचय ISRO chief K Sivan Biography in Hindi

ISRO chief K. Sivan Biography in Hindi
ISRO Chief K Sivan Biography in Hindi

के. सीवन का जीवन संघर्ष से भरा था | एक किसान का बेटा किस तरह से इसरो का चीफ बन गया | इसके पीछे सीवन की मेहनत और उनकी इच्छा शक्ति ही थी |

तमिलनाडु के कन्याकुमारी डिस्ट्रिक्ट के एक छोटे से गाँव Nagercoil में जन्मे  के सीवन का पूरा नाम Kailasavadivoo Sivan है |

सीवन का जन्म 14 अप्रैल 1957 को एक छोटे से किसान के घर में हुआ था | उनके पिता के पास केवल एक एकड़ जमीन थी | 

उनके परिवार में 6 लोग थे जिनका गुज़रा उस छोटे से जमीन के टुकड़े से बड़ी मुश्किल से चलता था |  सीवन अपने परिवार में ग्रेजुएशन करने वाले पहले सदस्य थे | 

के. सीवन की शिक्षा

सीवन ने अपने बचपन की पढ़ाई तमिल भाषा में गाँव के सरकारी स्कूल से ही की थी | इसके बाद उन्होने कॉलेज में एडमिशन लिया और बीएससी की पढाई पूरी की | 

वो जब स्कूल और कॉलेज में थे तब वो अपने पिता का खेतो में हाथ बँटाया करते थे | उन्होने अपने घर के पास ही कॉलेज में एडमिशन लिया था ताकि वो अपने पिता का खेती बाड़ी के काम में साथ दे सकें |  

स्कूल और कॉलेज तक वो धोती पहना करते थे और उनके पास सैंडल्स और चप्पलें भी नही हुआ करती थी | 

उन्हें घर में कोई उन्हें पढ़ाने वाला नही था और टयूशन लेना तो उनके लिए बहुत ही मुश्किल था | उन्होने अपनी पढ़ाई खुद ही की | उनके टीचर बताते हैं कि वो बहुत मेहनती थे और नयी नयी चीज़ें सीखने में रूचि लेते थे | 

1980 में उन्होने Madras Institute of Technology (MIT) से Aeronautical Engineering की डिग्री हासिल की | इसके बाद IISC Bangluru से Aerospace Engineering से मास्टर्स करने के बाद 1982 में सीवन ने इसरो ज्वाइन की | 

इसरो तक पहुँचने का उनका सफ़र आसान नही था | MIT में पढ़ाई करवाने के लिए उनके पिता को ज़मीन का हिस्सा भी बेचना पड़ा था | 

लेकिन उनके पिता को सीवन की मेहनत पर भरोसा था और वो जानते थे की शिक्षा सबसे ज़रूरी है इसी से जीवन स्तर को उँचा उठाया जा सकता है |

2006 में सीवन ने IIT Bombay से Phd की डिग्री हासिल की | इसके अलावा सीवन ने 2014 में सत्यभामा यूनिवर्सिटी से भी साइन्स में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की |

इसरो में के. सीवन का सफर

इसरो में आने के बाद के. सीवन ने PSLV यानी पोलर सेटिलाइट लॉंच व्हीकल प्रॉजेक्ट पर काम करना शुरू किया |

PSLV में मिशन प्लानिंग, डिज़ाइन, इंटीग्रेशन और एनालिसिस में उनका योगदान सराहनीय था | इसी कारण उन्हें रॉकेट मैन के नाम से भी जाना जाता है | 

के. सीवन ने इसरो में मुख्य रूप से 6D Trajectory Simulation Software और day-of launch wind biasing strategy पर काम किया |

6D Trajectory Simulation Software की मदद से रॉकेट के लॉंच से पहले रॉकेट का रास्ता निर्धारित किया जाता है | जबकि day-of launch wind biasing strategy की मदद से साल में किसी भी दिन और हर तरह के मुश्किल मौसम की परिस्थिति में भी रॉकेट को लॉंच किया जा सकता है | 

अपने 3 दशकों से लंबे कार्यकाल में सीवन ने PSLV, GSLV में योगदान दिया और GSLV Mark III के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भी काम किया | 

जनवरी 2018 को सीवन इसरो के चीफ बने | इससे पहले वो विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक के रूप में काम कर रहे थे | 

फरवरी 2017 में जब भारत ने एक साथ 104 सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में छोड़कर रिकॉर्ड बनाया था उसमें भी के सीवन का बड़ा योगदान था |

के. सीवन को मिले अवार्ड

  • 1999 में डॉ. विक्रम साराभाई रिसर्च अवॉर्ड
  • 2007 में इसरो मेरिट अवॉर्ड
  • 2011 में डॉ. बीरेन रॉय स्पेस साइंस अवॉर्ड
  • पंजाब यूनिवर्सिटी में विज्ञान रत्न अवॉर्ड
  • तमिलनाडु सरकार से डॉक्टर ए. पी. जे. अब्दुल कलाम अवॉर्ड

तो दोस्तों ये थी एक छोटे से गाँव के साधारण से लड़के की उँचाई तक पहुँचने की पूरी कहानी | अगर आपको के. सीवन की इस कहानी से प्रेरणा मिली तो इस वीडियो को लाइक और शेयर ज़रूर करें |

Mohan

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2 thoughts on “इसरो चीफ के. सीवन की सफलता की कहानी”

  1. K sivan ke bare me jaan ke bahut accha laga wo bahut hi jada hard working hume bahut kuch sikhne ki jarurat hai unse sikhne ki aur aap bhi bahut accha likhte hai

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