एडोल्फ़ हिटलर के तानाशाह बनने की कहानी

Adolf Hitler Biography in Hindi – जर्मनी जैसे देश में हिटलर जैसा एक तानाशाह कैसे इस हद तक ताक़तवर हो जाता है कि लाखों लोग उसे फॉलो करने लगते हैं |

कैसे हिटलर जर्मनी की सत्ता के शिखर पर पहुँचकर लाखों लोगों की मौत का कारण बन जाता है | एडोल्फ़ हिटलर को दूसरे विश्व युद्ध के लिए ज़िम्मेवार माना जाता है जिससे विश्व युद्ध में हुई 5 करोड़ मौतों और 60 लाख यहूदियों की हत्या के लिए उसे दोषी माना जाता है |

आज भले ही हिटलर पूरी दुनिया और जर्मनी में सबसे ज़्यादा घृणित व्यक्ति है | लेकिन एक समय ऐसा था जब वो जर्मनी का हीरो बन गया था |

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हिटलर का जीवन परिचय

कुछ समय पहले अमेरिका में जिस तरह से डोनल्ड ट्रंप की लोकप्रियता में वृद्धि हुई थी उसे देखकर कहा जा सकता है कि दुनिया बहुत ख़तरनाक मोड़ पर खड़ी है |

यहाँ कोई भी हिटलर की तरह तानाशाह बनने की दिशा में बड़ी आसानी से आगे बढ़ सकता है | चीन और रूस जैसे ताक़तवर देशों में एक ही व्यक्ति सत्ता के शीर्ष पर सालों से काबिज है |

ऐसा लगता है विपक्ष और विरोध की आवाज़ों को पूरी तरह से दबा दिया गया है | ऐसा ही कुछ हिटलर के समय में भी हुआ था |

हिटलर का जीवन परिचय

हिटलर की संकीर्ण सोच के अनुसार आर्यन्स सर्वश्रेष्ठ थे और वोल्क्स यानी जर्मन्स को पूर्व के देशों पर कब्जा कर लेना चाहिए |

आपको बता दे कि हिटलर लोगों को बताता था कि आर्यन्स सबसे बड़ी रेस है, वही आर्यन्स जो सैंकड़ों साल पहले भारत में भी आए थे और यहीं बस गये थे |

हिटलर एक ऐसा शख्स था जो खुद को पवित्र साबित करने में लगा था | अपने जीवन के आख़िरी दिनों में उसने शराब और मीट से भी परहेज रखना शुरू कर दिया था |

यानी एडोल्फ़ हिटलर वेजिटेरियन बन गया था | 

अक्सर लोगों के मन में धारणा रहती है कि शाकाहारी इंसान उतना क्रूर नहीं होता जितना मासाहारी इंसान हो सकता है | लेकिन हिटलर ने इसे ग़लत साबित कर दिया था | 

क्यूंकी जान लेना उसके लिए बस एक खेल के समान था | हिटलर धर्म की आड़ लेकर लोगों को भ्रमित करने में भी लगा था | इसी कड़ी में उसने जर्मनी के लोगों को भी खुद को पवित्र बनाए रखने के लिए प्रेरित किया | उसने जर्मनी में एंटी स्मोकिंग कैंपेन तक चलाए थे | 

एडोल्फ़ हिटलर का बचपन

हिटलर एक साधारण से परिवार में पैदा हुआ था उसने 1933 से 1945 तक जर्मनी पर राज किया | वो जर्मनी का चांसलर और तानाशाह लीडर रहा | 

एडॉल्फ हिटलर का जन्म 20 अप्रैल 1889 को ऑस्ट्रीया के एक छोटे से कस्बे में हुआ था | हिटलर के पिता का नाम एलोइस हिटलर और माँ का नाम क्लारा पोल्ज़ था | पिता के साथ हिटलर की ज़्यादा पटती नहीं थी और हमेशा दोनो में कहा सुनी होती रहती थी |

लेकिन हिटलर माँ के बहुत करीब था | उसकी माँ उसे बहुत ज़्यादा प्यार करती थी और बचपन में अपनी माँ की वजह से वो बहुत बिगड़ैल भी हो गया था | 

एडॉल्फ फाइन आर्ट्स में करियर बनाना चाहता था लेकिन उसके पिता ने इसकी इजाजत नहीं दी | उसके पिता चाहते थे कि हिटलर सिविल सर्वीसज़ में अपना करियर बनाए |

वो अपने माता पिता के छह बच्चों में चोथे नंबर पर था | सन 1900 में हिटलर के छोटे भाई एड्मंड की मृत्यु हो गई जिसके बाद हिटलर ने अकेला रहना शुरू कर दिया | छोटे भाई के चले जाने से हिटलर को बहुत दुख हुआ था |

हिटलर के पिता स्टेट कस्टम सर्विस से रिटाइर्ड हुए थे और 1903 में उनकी मृत्यु हो गई | पिता से अच्छे संबंध ना होने के बावजूद हिटलर बहुत रोया था | 

पढ़ने में हिटलर ज़्यादा अच्छा नहीं कर पा रहा था और बड़ी मुश्किल से पहले सेमेस्टर में पास हो पाया था | हिटलर ने फाइनल एग्जाम भी नहीं दिया और 16 साल की उम्र में ही पढ़ाई छोड़ दी |

लेकिन हिटलर ने खुद से पढ़ना जारी रखा पर उसकी रूचि केवल इतिहास और पॉलिटिक्स की किताबों में ही थी | हिटलर के दोस्तों ने बताया की वो बहुत मूडी इंसान था, अपने तर्क को सही साबित करने के लिए वो किसी भी हद तक जा सकता था |

1907 में हिटलर की माँ की भी मृत्यु हो गई जिससे वो बहुत ज़्यादा टूट गया | थोड़े समय में ही उसने अपना पूरा परिवार खो दिया था जिससे वो और ज़्यादा सख़्त बन गया |

माँ की मृत्यु के बाद हिटलर विएना आ गया |

विएना आने के बाद हिटलर ने अकादमी ऑफ फाइन आर्ट्स में दो बार अड्मिशन लेने की कोशिश की लेकिन दोनो बार वो एग्जाम में फैल हो गया |

अपने बचपन के सपने को भी पूरा नहीं कर पाने की वजह से वो डिप्रेशन में चला गया था | अब उसके पास रहने के लिए घर भी नहीं था और वो बड़ी मुश्किल से पेंटर का काम करके दो वक़्त के भोजन का इंतज़ाम कर पा रहा था |

सेना में भर्ती हुआ हिटलर

1913 में हिटलर विएना से म्युनिक आ गया | प्रथम विश्व युद्ध 1914 में शुरू हो चुका था, हिटलर ने जर्मन आर्मी में भर्ती होने के लिए अप्लाइ किया और उसका सेलेक्शन हो गया |

हिटलर ने प्रथम विश्व युद्ध की कुछ बड़ी लड़ाइयों में हिस्सा लिया | बैटल ऑफ द सॉम में वो घायल भी हो गया था | विश्व युद्ध में बहादुरी के लिए उसे आयरन क्रॉस फर्स्ट क्लास और ब्लैक वाउंड बैज दिया गया |   

प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की हार हुई थी, जाहिर है इस हार से जर्मनी के लोग खुश नहीं थे | जिस तरह जर्मनी ने पहले विश्व युद्ध में सरेंडर किया उससे हिटलर बहुत दुखी था, इस हार ने उसमें जर्मनी के प्रति उसकी देशभक्ति को और प्रबल कर दिया | 

वो भी जर्मनी के दूसरे राष्ट्रभक्त कहे जाने वाले लोगों की तरह मानता था कि जर्मनी की हार का कारण सिविलियन लीडर्स, मार्क्सिस्ट्स और ज्यूस हैं | जिन्होने ट्रीटी ऑफ वर्सलिएस पर हस्ताक्षर किए हैं |

युद्ध विराम के 7 महीने बाद 28 जून 1919 को हुई ट्रीटी ऑफ वर्सलिएस में जर्मनी को युद्ध भड़काने का जिम्मेवार माना गया | जर्मनी का 15% क्षेत्र छीन लिया गया और उस पर बड़ा आर्थिक दंड लगाया गया |

इस संधि से जर्मनी में एक रोष व्याप्त हो गया और हिटलर ने उसी नफ़रत को अपना सबसे बड़ा हथियार बना लिया | हिटलर के बोलने की खूबी इतनी जबरदस्त थी कि लोग उसकी बातों को मंत्र मुग्ध होकर सुनते थे |

वो लोगों को बताता है कि जर्मन सरकार जिसे वाइमर रिपब्लिक कहते थे उसने संधि साइन करके उनके देश को नीचा दिखाया है | इस समय जर्मनी में जर्मन वर्कर्स पार्टी (DAP) सक्रिय थी जिसके संस्थापक ड्रेक्सलेर थे |

वो DAP के संस्थापक अंतोन ड्रेक्सलेर की राष्ट्रवादी और मार्क्सवाद विरोधी सोच से प्रभावित था | हिटलर ने इस पार्टी को ज्वाइन कर लिया और अब इसका नाम NSDAP रख दिया गया था जिसे नाज़ी पार्टी भी कहा जाता था |

हिटलर एक पेंटर तो था ही इसलिए उसने खुद ही नाज़ी पार्टी के बैनर को तैयार किया था और स्वास्तिक के निशान को पार्टी का सिंबल बनाया | उसने जर्मनी में जगह जगह भाषण दिए और लोगों के मन में पनप रही नफ़रत को एक दिशा दे दी |

उसके भाषणों में विरोधी राजनीतियों, यहूदियों और मार्क्सवादियों के प्रति नफ़रत होती थी | साल 1921 तक हिटलर नाज़ी पार्टी का चेयरमैन बन गया था | हिटलर लगातार भाषण देता जा रहा था जिसमें बियर-हॉल के भाषणों ने उसकी जैसी सोच रखने वाले बहुत से लोगों को प्रभावित किया | 

तख्ता पलट की कोशिश

नवंबर 1923 में हिटलर ने क्रांति की घोषणा कर दी और एक नयी सरकार के गठन की एलान भी | 8 नवंबर के दिन हरमन गोरिंग के आदेश पर नाज़ी पार्टी के लोग सरकार के तीन बड़े नेताओं को बंदी बना लेते हैं. वो उन्हें सरेंडर करने और नयी सरकार का हिस्सा बनने के लिए कहते हैं |

उस समय वो अधिकारी मान जाते हैं लेकिन बाद में वो अपनी बात से पलट जाते हैं | हिटलर की तख्तापलट की ये कोशिश कामयाब नहीं हो सकी और उसे गिरफ्तार कर लिया गया |

हिटलर द्वारा तख्ता पलट की इस कोशिश को बियर हाल पुच कहा जाता है | सरकार विरोधी गतिवधियों के लिए उसे 5 साल जेल की सज़ा सुनाई गई लेकिन हिटलर 9 महीने ही जेल में रहा |

हिटलर की आत्मकथा

जेल में रहते हुए हिटलर ने अपनी ऑटोबायोग्राफ़ी डिकटेट की जिसे Mein Kampf कहा जाता है | इस किताब का पहला भाग 1925 और दूसरा भाग 1927 में पब्लिश हुआ |

दोनो भागों को मिलकर बनाई गई किताब को 11 भाषणों में ट्रांसलेट किया गया | शुरू में इस किताब की ज्यादा बिक्री नहीं हुई लेकिन हिटलर के सत्ता में आने के बाद 1940 तक इस किताब की 60 लाख से ज़्यादा कॉपियां बिक चुकी थी |

अपनी इस किताब के मध्यम से हिटलर ने जर्मनी को एक ही रेस पर आधारित एक समाज बनाने का प्रोपेगंडा फैलाया | 1929 में ग्रेट डिप्रेशन नाम की घटना हुई जिसके बाद जर्मनी में बेरोज़गारी अपने चर्म पर पहुँच चुकी थी |

जिस कारण हिटलर को राजनीति में पैर जमाने का मौका मिल गया | 1930 में हिटलर ने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा जिसमें हिटलर की पार्टी 107 सीट्स लेकर दूसरे स्थान पर रही | 

राजनीतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए हिटलर को 1933 में जर्मनी का चांसलर नियुक्त कर दिया गया | 

तानाशाह के रूप में उदय

हिटलर को चांसलर के रूप में चुन लिया गया था और उसने अपनी इसी पोज़िशन का इस्तेमाल जर्मनी में लीगल डिक्टेटरशिप स्थापित करने में किया | इसके लिए हिटलर ने जर्मनी की संसद पर हुए एक हमले को आधार बनाया | 

27 फ़रवरी 1933 को बर्लिन में रेचसटैग यानी जर्मन पार्लिमेंट में आग लगने की घटना हुई जिसे रेचसटैग फायर कहा गया |

हिटलर ने आरोप लगाया की ये कम्युनिस्टों की सरकार को अस्थिर करने की कोशिश थी, जबकि नाज़ी पार्टी ने ही इसे अंज़ाम दिया था | इस घटना को आधार बनाकर हिटलर ने लोगों के अधिकारों को ख़तम कर दिया और बिना ट्रायल के डिटेन्शन का अधिकार दे दिया |

इसके बाद हिटलर ने सारी शक्तियाँ अपने हाथों में ले ली और खुद को नेता घोषित कर दिया | सरकार की लेजिस्लेटिव और एग्ज़िक्युटिव ब्रांचेस को उसने पूरी तरह से अपने कंट्रोल में कर लिया |

एनेबलिंग एक्ट को पास कर दिया गया जिससे चार सालों तक उसकी कैबिनेट के पास सारी लेजिस्लेटिव पावर्स आ गइ, यही नहीं संविधान को बदलने की पावर्स भी अब उसके पास आ गइ थी | 

हिटलर ने सिस्टेमेटिक तरीके से सभी विरोधी पार्टियों को ख़तम कर दिया | 1933 तक जर्मनी में सिर्फ़ नाज़ी पार्टी ही इकलौती पार्टी थी जिसके पास क़ानूनी मान्यता थी | 

इसके बाद हिटलर ने उसके खिलाफ खड़ी हो सकने वाली हर आवाज़ को भी कुचल दिया | उसने अपनी ही पार्टी के उन लोगों को टारगेट करना शुरू कर दिया जो भविष्य में उसके लिए ख़तरा हो सकते थे | 

जर्मनी में जगह जगह हिटलर के सभावित विरोधियों को ढूँढ ढूँढ कर मारा गया | इतिहास में इस घटना को नाइट ऑफ लोंग नाइव्स के नाम से जाना जाता है |

1934 में जर्मनी के राष्ट्रपति हिनडन्ब्र्ग की मृत्यु  के बाद एक क़ानून पास करके राष्ट्रपति पद को ही समाप्त कर दिया गया | इसके बाद हिटलर जर्मनी में सबसे ताक़तवर शख्स बन गया |

यहूदियों के प्रति नफ़रत

जिस नफ़रत को हथियार बना कर हिटलर सत्ता के शीर्ष पर पहुँचा था अब वो उसी हथियार का इस्तेमाल कमजोर लोगों के खिलाफ करने लग गया था | यहूदियों को समाज में नीचा दिखाने और जर्मनी से निष्कासित करने के लिए हिटलर ने सैंकड़ों क़ानून बनाए | 

उसे यहूदियों से नफ़रत थी क्यूंकी यहूदी बड़े बड़े बिज़्नेसस के मालिक थे, वो बहुत मेहनती और पढ़े लिखे थे जिससे हिटलर को ईर्ष्या होती थी और हिटलर को अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए लोगों की नफ़रत को किसी दिशा में लगाना भी था, ताकि वो खुद को जर्मन्स का मसीहा घोषित कर सके |

हिटलर ने लोगों से यहुदिओं के बिज़्नेस को बाय्कॉट करने और उन्हें सरकारी नौकरियों में जगह नहीं देने जैसे क़ानून बना दिए | 

स्कूलों और यूनिवर्सिटीस में यहूदी बच्चों की संख्या को सीमित कर दिया गया | हिटलर जर्मनी में इस कदर राष्ट्रवाद को हावी कर देना चाहता था की उसने स्टूडेंट्स को जर्मनी से बाहर की सभी किताबों को जलाने के लिए कह दिया | 

उसके प्रोपेगंडा के शिकार लोगों ने 25000 से ज़्यादा किताबों को आग लगा दी | हिटलर नहीं चाहता था की उसके प्रोपेगंडा में फँसे लोग ऐसी किताबें पढ़ें जिनसे उन्हें सोचने और समझने की शक्ति आए | 

यहूदी एक्टर्स को फिल्मों में काम करने की भी मनाही थी | साथ ही नुरिमबर्ग लॉ के तहत यहूदी और गैर यहूदी की शादी पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया | 

हिटलर ने यहूदियों पर बहुत ज़ुल्म किए | हिटलर ने और क्या क्या किया और कैसे जर्मनी को दूसरे विश्व युद्ध में धकेल दिया उसके लिए इस लेख का दूसरा भाग जल्दी ही प्रकाशित किया जाएगा |

Mohan

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