पानीपत की पहली लड़ाई का इतिहास – First Battle of Panipat in Hindi

भारत में मुग़ल शासन की शुरुआत पानीपत की पहली लड़ाई से हुई थी | पानीपत के मैदान में तीन लड़ाइयाँ लड़ी गयी थी | जिनमें पानीपत की पहली लड़ाई 21 अप्रैल 1526 को बाबर और इब्राहिम लोधी के बीच लड़ी गई |

वहीं दूसरी लड़ाई 5 नवंबर 1556 को हेमू और अकबर के बीच लड़ी गई थी | जबकि पानीपत की तीसरी लड़ाई मराठों और अहमद शाह अब्दाली के बीच 1761 में लड़ी गयी थी |

पानीपत की तीनो लड़ाइयाँ बहुत ही निर्णायक रही |

इस लेख में हम आपको बता रहे हैं पानीपत की पहली लड़ाई के बारे में | इस लड़ाई में बाबर जिसके पास बहुत थोड़ी सेना थी उसने इब्राहिम लोधी की war elephants से लैस सेना को प्राजित कर दिया था |

पानीपत की ये लड़ाई इतिहास की उन लड़ाइयों में थी जिनमें पहली बार गन पाउडर का इस्तेमाल हुआ था |

पानीपत की पहली लड़ाई का कारण – Causes of First Battle of Panipat in Hindi

इब्राहिम लोधी दिल्ली सल्तनत का आख़िरी सुल्तान था | अपने पिता सिकंदर लोधी की मृत्यु के बाद इब्राहिम लोधी राजा बना था | लोधी वंश दिल्ली सल्तनत का पांचवा और आख़िरी वंश था | सिकंदर लोधी की तरह इब्राहिम लोधी एक अच्छा सुल्तान नहीं बन सका |

वो अपने ही लोगों पर जूलम करने लगा था और लोगों को डरा कर शासन करना चाहता था | इसलिए कहा जाता है कि लोधी वंश के एक वफादार दौलत ख़ान और राणा सांगा ने ही बाबर को भारत बुलाया था |

राणा सांगा और दौलत खान को लगा की दूसरे विदेशी आक्रमणकारियों की तरह बाबर भी लूटकर वापिस चला जाएगा | लेकिन बाबर ने भारत में ही बसने का निर्णय लिया |

वहीं बाबर तैमूर और चंगेज ख़ान का वंशज था | अपने पिता की मृत्यु के बाद छोटी सी आयु में वो फ़र्गना का शासक बन गया था |

फ़र्गना में बाबर को अपने ही परिवार के खिलाफ लड़ना पड़ा जिसमें बार बार हारने की वजह से उसने भारत की ओर रुख़ किया |

बाबर की महत्वकांक्षा और इब्राहिम लोधी का कमजोर नेतृत्व पानीपत की लड़ाई का कारण बने |

पानीपत की लड़ाई का दिन – Day of First Battle of Panipat in Hindi

बाबर एक कुशल आर्मी जनरल था जिसे युद्ध लड़ने और युद्ध जीतने का अनुभव था | उसके पास 15000 के करीब आर्मी थी जबकि इब्राहिम लोधी के पास 1 लाख के करीब सैनिक थे |

लेकिन फिर भी इस लड़ाई में बाबर ने अपनी रणनीति के दम पर इस लड़ाई में जीत हासिल की |

इतिहास के अनुसार इस लड़ाई में पहली बार गन पाउडर का इस्तेमाल हुआ था | साथ ही वो अपने साथ तोपें लेकर आया था जिसे लोधी के सैनिको ने पहली बार देखा था |

इब्राहिम लोधी के पास सबसे बड़ा हथियार उसके हाथी थे | लेकिन पानीपत की लड़ाई में लोधी के हाथी तोपों की आवाज़ से अपने ही सैनिकों को कुचलने लगे |

बाबर को इस लड़ाई में इब्राहिम के विरोधियों का भी साथ भी मिल गया था |

लेकिन उसकी जीत की असली वजह उसकी युद्ध नीति थी | उसने लड़ाई के मैदान में अपनी सेना को फैला दिया था और लोधी की सेना को बीच में से ही आक्रमण करने के लिए मजबूर किया | बीच में रखी तोपों ने लोधी की सेना को बहुत नुक्सान पहुँचाया |

बाबर ने इस लड़ाई के लिए बहुत सी बेल गाड़ियों को लड़ाई के मैदान में खड़ा कर आपस में बाँध दिया और उनके बीच से तोप के गोले दागे गये |

वहीं लोधी के पास लड़ाई में लड़ने के लिए कोई रणनीति नही थी | उसने अपने हाथियों को बाबर की सेना पर छोड़ा पर हाथी तोपों के गोलों की आवाज़ से खुद की सेना को कुचलने लगे |

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इब्राहिम लोधी की मृत्यु बनी हार का कारण

लोधी ने अपनी मुख्य सेना अपने पीछे रखी थी जिससे वो खुद पहले ही मुख्य लड़ाई में उतर गया | लड़ाई में हारता देख इब्राहिम लोधी की सेना ने उससे कहा की वो भाग जाएँ लेकिन उसने लड़ते हुए मारना ज़्यादा बेहतर समझा |

इसे उसकी बहादुरी कम और बेवकूफी ज़्यादा माना जाता है क्यूंकी लोधी बाद में बाबर को आसानी से हरा सकता था |

लड़ाई के दिन भी अगर वो ज़्यादा देर तक लड़ाई में नहीं उतरता और अपनी पूरी सैन्य ताक़त का प्रयोग करता तो भी युद्ध का नतीजा कुछ ओर हो सकता था |

बाबर की जीत का बड़ा कारण ये भी थी कि उसके सैनिक अनुशासित और कुशल थे उन्हें लड़ाइयाँ लड़ने का लंबा अनुभव था | जबकि लोधी के सैनिकों के पास ऐसा कोई अनुभव नहीं था |

इस लड़ाई में लोधी की हार के बाद भारत में मुग़ल साम्राज्य की नींव पड़ी जिसने सैंकड़ों साल तक भारत पर राज किया |

अकबर ने मुगल साम्राज्य को भारत के कोने कोने तक फैलाया और बाद में औरागज़ेब जैसे शासकों ने भी भारत पर राज किया |

Mohan

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