1971 के युद्ध में कैसे रूस ने की थी भारत की मदद

1971 वो साल जब पाकिस्तान के टुकड़े हो गए थे जब पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान को भारत के सामने सरेंडर करना पड़ा था | लेकिन पाकिस्तान को हराना और पाकिस्तान के टुकड़े करना इतना आसान नहीं था |

ये वो समय था जब अमेरिका और दूसरे बड़े देश भारत के खिलाफ खड़े हो गए थे | ये वो समय था जब पूरी दुनिया में भारत अकेला पड़ गया था तब रूस ने भारत का साथ दिया था और भारत से अपनी दोस्ती निभाई थी |

हालाँकि रूस और अमेरिका एक दूसरे के कटटर विरोधी रहे हैं ये भी एक कारण था कि रूस ने पूरी दुनिया के खिलाफ भारत का साथ दिया |

आज मैं आपको हमारे मित्र देश रूस के बारे में बताने वाला हूँ जिसने 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में भारत का साथ दिया था और पूरी दुनिया के खिलाफ जाकर भी भारत से दोस्ती निभाई थी |

कहा जाता है कि रूस भारत का सबसे बड़ा मित्र है लेकिन क्या आप जानते हैं किस तरह से रूस ने 1971 की लड़ाई में भारत का साथ दिया था जिस समय पूरी दुनिया भारत के खिलाफ खड़ी हो गई थी उस समय रशिया ही था जो भारत से अपनी दोस्ती निभा रहा था |

बांग्लादेश की आजादी की जंग

bangladesh freedom fight 1971

पाकिस्तान ने भारत पर बार-बार हमला किया है पाकिस्तान हमेशा से ही भारत के टुकड़े करना चाहता है 1971 के युद्ध से पहले बांग्लादेश पाकिस्तान का हिस्सा हुआ करता था जिसे ईस्ट पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था |

पाकिस्तान के इस हिस्से में रहने वाले लोग हमेशा से ही पाकिस्तान के द्वारा कुचले जाते थे | ये लोग चाहते थे कि उन्हें पाकिस्तान के जुल्मों सितम से आजादी मिल जाए | पाकिस्तान के लोग ईस्ट पाकिस्तान में रहने वाले लोगों और वहां के नेताओं को बिल्कुल भी अहमियत नहीं देते थे |

इसीलिए सरकार में ज्यादातर लोग वेस्ट पाकिस्तान से ही चुने जाते थे जिसकी वजह से ईस्ट पाकिस्तान के लोग वेस्ट पाकिस्तान से छुटकारा पाना चाहते थे | यही नहीं ईस्ट पाकिस्तान में रहने वाले बंगाली लोगों को उर्दू को ही अपनी मुख्य भाषा चुनने के लिए कहा जाता था |

जिसके कारण वेस्ट पाकिस्तान यानी बांग्लादेश में विद्रोह होने शुरू हो गए पाकिस्तान ने इन विद्रोह को दबाने के लिए बल प्रयोग किया पाकिस्तान अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबा देना चाहता था |

पाकिस्तान जहां एक और ईस्ट पाकिस्तान के लोगों पर जुल्म ढा रहा था वहीं दूसरी और वह भारत पर हमले की फिराक में भी था पाकिस्तान को लगता था कि कि वह भारत को दोनों तरफ से घेर लेगा |

पाकिस्तान को ये डर भी था कि ईस्ट पाकिस्तान के विद्रोहियों को भारत मदद कर रहा है | भारत भी इस बात को भलीभांति जानता था कि पाकिस्तान का दोनों तरफ होना भारत के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है इस तरह से भारत दो तरफ से दुश्मन से घिर जाता |

पाकिस्तान को लगता था कि वो 1948 की भांति भारत के कुछ हिस्से पर अपना अधिकार कर लेगा तब तक अमेरिका बीच बचाव करेगा और जीता हुआ हिस्से उसके कब्जे में रह जाएगा |

लेकिन पाकिस्तान का ये दांव उल्टा पड़ गया था क्यूंकि इंदिरा गाँधी एक सजग नेता थी और उन्होंने पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया जिसे पाकिस्तान आज तक नहीं भूल पाया है |

पाकिस्तान को अपनी आधी जमीन और सेना को खोना पड़ा | दूसरे विश्व युद्ध के बाद ये सबसे बड़ा मिलिट्री सरेंडर था |

1971 भारत पाकिस्तान युद्ध

पाकिस्तान युद्ध की तैयारी कर चुका था अमेरिका जानता था कि अगर भारत और पाकिस्तान में युद्ध होता है तो भारत आसानी से जीत जाएगा जिससे एशिया में उसका प्रभाव कम हो जाएगा |

पाकिस्तान भी इस बात को जान चुका था कि अमेरिका युद्ध में भारत का साथ नहीं देगा पाकिस्तान के हौसले बुलंद हो चुके थे भारत ने जब अमेरिका से मदद मांगी तो अमेरिका ने इसे साफ इंकार कर दिया |

3 दिसंबर की रात को पाकिस्तान की तरफ से भारत पर हमला कर दिया गया भारत इसके लिए पूरी तरह से तैयार था |

पाकिस्तान ने भारत की 11 airbases पर हमला कर दिया | 4 दिसंबर को भारत की तरफ से भी लड़ाई की घोषणा कर दी गयी |

ये पहली लड़ाई थी जिसमें भारत की तीनो सेनाएं एक साथ लड़ी थी और  बहुत जल्द पाकिस्तान का 15010 किलोमीटर का क्षेत्र अपने कब्जे में कर लिया था |

लेकिन ये लड़ाई भारत के लिए आसान नहीं थी क्यूंकि अमेरिका इस लड़ाई में पाकिस्तान के साथ था |

वहीँ वो चीन को भी अपने साथ मिलाकर भारत को दबाना चाहता था उसे डर था कि कहीं ईस्ट पाकिस्तान की आजादी में भारत का हाथ रहा हो तो भारत बड़ी शक्ति बन कर उभरेगा | साथ ही एशिया में रूस का प्रभाव भी बढ़ने लगेगा |

अमेरिका के द्वारा पाकिस्तान का साथ दिए जाने का एक कारण ये भी था कि पाकिस्तान अमेरिका के द्वारा बनाए गए दो मिलिट्री संगठनों CENTO and SEATO का हिस्सा था |

अमेरिका बांग्लादेश से भारत में आने वाले रिफ्यूजी की समस्या, वहां के लोगों पर हो रहे अत्याचार और उनकी आजादी को लेकर भारत का साथ नहीं दे रहा था बल्कि वो चीन के साथ मिलकर भारत पर दबाव बना रहा था कि वो ईस्ट पाकिस्तान यानि बांग्लादेश के मुद्दे से दूर रहे |

रूस और भारत के बीच संधि

ऐसे में इंदिरा गाँधी जी ने एक कठोर कदम उठाते हुए 9 अगस्त को सोवियत यूनियन के साथ शांति, भाईचारे और सहयोग की संधि पर हस्ताक्षर कर दिए |  जिससे अमेरिका पूरी तरह से भारत के खिलाफ हो गया | 

3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया | 4 दिसंबर 1971 को इंदिरा गाँधी ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी और सेना को पाकिस्तान को मुँह तोड़ जवाब देने को कहा |

इस लड़ाई के पहले दिन ही भारतीय नेवी के जहाज राजपूत ने एक पाकिस्तानी सबमरीन को डूबो दिया | नेवी की स्पीड बॉट्स ने 10 पाकिस्तानी बैटल शिप्स को ख़तम कर दिया | साथ ही 12 पाकिस्तानी तेल भण्डारों को आग के हवाले कर दिया गया | 

अमेरिका इस युद्ध में भारत को अलग थलक करना चाहता था | इसलिए अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन ने चीन को भारत पर हमले के लिए उकसाया |

लेकिन रूस चीन को पहले ही आगाह कर चूका था कि अगर चीन ने भारत पर हमला किया तो उसे इसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा |

पाकिस्तान के सैनिक इस आस से लड़ रहे थे और उन्हें कहा गया था कि चीन भारत पर हमला कर देगा तो भारत की सेना का उनकी ओर आगे बढ़ना मुश्किल हो जाएगा |  लेकिन चीन ने इस लड़ाई में कभी भाग नहीं लिया |

अमेरिका का भारत पर दबाव

9 दिसंबर को अमेरिका के राष्ट्रपति निक्सन ने एयरक्राफ्ट करियर USS Enterprise को बंगाल की खाड़ी में भेज दिया ताकि भारत को डराया जा सके | उस समय तक अमेरिका को लग रहा था कि चीन भारत पर अटैक करेगा जिससे भारत को चारों ओर से घेरा जा सकेगा |

इस तरह भारत पाकिस्तान की ओर बढ़ना बंद कर देगा | लेकिन चीन रूस की धमकी की वजह से युद्ध में नहीं कूदा |

10 दिसंबर को ब्रिटेन का एयरक्राफ्ट कैरियर ईगल भी भारत को घेरने की रणनीति से चल पड़ता है |

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1971 की जंग में रूस का आक्रामक रुख

तब रूस अपने जहाजों के बेड़े के साथ बंगाल की खाड़ी में उतर जाता है और ब्रिटेन के एयरक्राफ्ट करियर ईगल पर नजर रखता है |

रूस ईगल का मुकाबला करने के लिए अपने न्यूक्लिर सबमरीन, एंटी शिप मिसाइल्स को भी उतार देता है | रूस के इस रुख को देखकर ब्रिटिश सेना पीछे हट जाती है | 

रूस अमेरिका के एयरक्राफ्ट करियर का रास्ता भी पूरी तरह से रोक लेता है उनका एक ही लक्ष्य रहता है कि अमेरिकी जहाज किसी भी भारतीय मिलिट्री बेस को निशाना ना बना सकें | रूस की हर मिसाइल के निशाने पर अमरीकी एयरक्राफ्ट था |

रूस के मिलिट्री कमांडर अपने सबमरीन और जहाजों को अमरीकी एयरक्राफ्ट के बिलकुल नजदीक ले जाते हैं ताकि अमेरिका के जासूसी सैटेलाइट्स उन्हें अच्छे से देख लें और उन्हें अंदाजा हो जाए कि रूस अपने न्युक्लेअर सबमरीन के साथ उनके सामने हैं |

इस तरह अमेरिका भी रूस के आक्रामक रवैये को देखकर वापिस चला जाता है |

श्री लंका की भूमिका

इस लड़ाई में श्री लंका ने भी पाकिस्तान की मदद की थी | पाकिस्तान के जहाज श्री लंका के एयर बेस पर फ्यूल भरवाते थे |

लेकिन जब अमेरिका, चीन, ब्रिटेन जैसे दुनिया की महाशक्ति शाली सेनाएं भारत के खिलाफ थी उस समय रूस ने ना केवल भारत का साथ दिया बल्कि पूरी दुनिया को अपनी ताक़त का लोहा मनवा दिया |

पाकिस्तान का आत्मसमर्पण

वहीँ भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने भी दुश्मन के दुश्मन को दोस्त बना कर अपनी कुशल राणिनीति का परिचय दिया था |

16 दिसंबर को पाकिस्तान ने भारत की सामने आत्म समर्पण कर दिया लेकिन उस लड़ाई के जखम पाकिस्तान कभी नहीं भूल पाया | 

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Mohan

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4 thoughts on “1971 के युद्ध में कैसे रूस ने की थी भारत की मदद”

  1. ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे, तोडेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे::
    जय भारत जय रुस

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